नई दिल्ली: कोरोना का गरीब मजदूरों पर कितना गहरा असर पड़ा है, इसे इस बात से ही समझा जा सकता है कि जो मजदूर 30 साल से भी ज्यादा समय से एक ही फैक्ट्री में काम कर रहे थे, उन्हें कोरोना काल में हुए लॉकडाउन के दौरान नौकरी से निकाल दिया गया. हद तो ये है कि अब ऐसे मजदूरों को राहत देने के बजाए श्रम कार्यालय भी इन्हें सिर्फ तारीख ही दे रहा है.
साहनी रबर इंडस्ट्री के वर्करों का कहना है कि 30 साल से भी ज्यादा समय से कंपनी में काम कर रहे थे. लॉकडाउन के दौरान जब देश की सभी आर्थिक गतिविधियां रुकी तो कंपनी का काम भी रुक गया. लेकिन कंपनी लॉकडाउन तो दूर उससे पहले के महीने का वेतन भी नहीं दे रही है और ना ही अब इन्हें काम पर ही रख रही है.
नहीं हो रही सुनवाई
लोगों का कहना है कि कंपनी द्वारा काम से निकाले जाने के बाद इन्होंने उप श्रमायुक्त के कार्यालय में शिकायत भी दी है, लेकिन वहां से भी इन्हें राहत मिलने के बजाए सिर्फ तारीख ही मिल रही है. वर्करों का कहना है कि सभी मजदूरों का परिवार है, जिसमें चार से पांच सदस्य हैं. अब काम से इस तरह निकाले जाने के बाद उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि कैसे वे अपने परिवार के लिए रोटी का इंतजाम करें और अपने लिए न्याय की गुहार लगाने किसके पास जाएं. इस मामले में फ़िलहाल कंपनी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है.