नई दिल्ली: दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा शनिवार को मिशन बुनियाद पर आधारित रिपोर्ट जारी की गई. इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मनीष सिसोदिया, डीसीपीसीआर के चेयरमैन रमेश नेगी, आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
बच्चों के सर्वांगीण विकास पर देना होगा जोर: मनीष सिसोदिया - उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
रिपोर्ट जारी करते हुए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमारे पास डायरेक्टर है, इंस्पेक्टिंग पावर है. लेकिन सब मिलकर कहते हैं कि सिलेबस खीच देना. पढ़ाना किसी के जेहन में है ही नहीं.
मिशन बुनियाद
नई दिल्ली: दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा शनिवार को मिशन बुनियाद पर आधारित रिपोर्ट जारी की गई. इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मनीष सिसोदिया, डीसीपीसीआर के चेयरमैन रमेश नेगी, आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
Intro:नई दिल्ली : दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा आज मिशन बुनियाद पर आधारित रिपोर्ट जारी की गई. इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, डीसीपीसीआर के चेयरमैन रमेश नेगी, आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
Body:रिपोर्ट जारी करते हुए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमारे पास डायरेक्टरेट है, इंस्पेक्टिंग पावर है. लेकिन सब मिलकर कहते हैं कि सिलेबस खीच देना. पढ़ाना किसी के जेहन में है ही नहीं. टीचर की समस्या यह है कि वह बच्चों को पढ़ाए या सिलेबस पूरा कराएं. अगर शिक्षक द्वारा सिलेबस पूरा नहीं कराया जाता है तो शिक्षक की काबिलियत पर भी सवाल खड़े किए जाते हैं.
हम सबके लिए है ये रिपोर्ट:
मनीष सिसोदिया ने कहा की यह रिपोर्ट टीचर के लिए नहीं है. यह हम सब के लिए है. हमारी डायरेक्टरेट के लिए है, पॉलिसीमेकर्स के लिए हैं. सिलेबस बनाने वालों के लिए है. क्या फायदा है सिलेबस खींचने का. अगर शिक्षक पढ़ाएंगे नहीं तो बच्चा पढ़ना कैसे सीखेगा. अगर बच्चा अक्षर को नहीं समझ सकता, उसे पढ़ना नहीं आता तो आप सिलेबस पूरा करके क्या कर लेंगे.
Conclusion:माता पिता हम पर विश्वास करके भेजते हैं बच्चों को पढ़ने :
मनीष सिसोदिया ने कहा कि 3 या 4 साल के बच्चों के माता-पिता हम पर विश्वास करके अपने बच्चों को हमारे पास पढ़ने के लिए भेजते हैं. उन्हें सिलेबस पूरा करने से कोई मतलब नहीं होता. 4 साल के बच्चे की कोई उपेक्षा नहीं होती कि सिलेबस पूरा हो. वह सीखने के लिए आता है. उन्होंने कहा कि कहीं ना कहीं हम फेल हो रहे हैं और हम इसे स्वीकार भी करते हैं. लेकिन अच्छी बात यह है कि हम अपनी गलतियों से सीख रहे हैं. आने वाले समय में हम इस पूरी रिपोर्ट का अध्ययन करके इसे स्कूलों में भी लागू करेंगे.
Body:रिपोर्ट जारी करते हुए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमारे पास डायरेक्टरेट है, इंस्पेक्टिंग पावर है. लेकिन सब मिलकर कहते हैं कि सिलेबस खीच देना. पढ़ाना किसी के जेहन में है ही नहीं. टीचर की समस्या यह है कि वह बच्चों को पढ़ाए या सिलेबस पूरा कराएं. अगर शिक्षक द्वारा सिलेबस पूरा नहीं कराया जाता है तो शिक्षक की काबिलियत पर भी सवाल खड़े किए जाते हैं.
हम सबके लिए है ये रिपोर्ट:
मनीष सिसोदिया ने कहा की यह रिपोर्ट टीचर के लिए नहीं है. यह हम सब के लिए है. हमारी डायरेक्टरेट के लिए है, पॉलिसीमेकर्स के लिए हैं. सिलेबस बनाने वालों के लिए है. क्या फायदा है सिलेबस खींचने का. अगर शिक्षक पढ़ाएंगे नहीं तो बच्चा पढ़ना कैसे सीखेगा. अगर बच्चा अक्षर को नहीं समझ सकता, उसे पढ़ना नहीं आता तो आप सिलेबस पूरा करके क्या कर लेंगे.
Conclusion:माता पिता हम पर विश्वास करके भेजते हैं बच्चों को पढ़ने :
मनीष सिसोदिया ने कहा कि 3 या 4 साल के बच्चों के माता-पिता हम पर विश्वास करके अपने बच्चों को हमारे पास पढ़ने के लिए भेजते हैं. उन्हें सिलेबस पूरा करने से कोई मतलब नहीं होता. 4 साल के बच्चे की कोई उपेक्षा नहीं होती कि सिलेबस पूरा हो. वह सीखने के लिए आता है. उन्होंने कहा कि कहीं ना कहीं हम फेल हो रहे हैं और हम इसे स्वीकार भी करते हैं. लेकिन अच्छी बात यह है कि हम अपनी गलतियों से सीख रहे हैं. आने वाले समय में हम इस पूरी रिपोर्ट का अध्ययन करके इसे स्कूलों में भी लागू करेंगे.