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रीति-रिवाज के साथ हुआ होलिका दहन, जानिए...कैसे शुरू हुई प्रथा

होलिका दहन को देखने के लिए सड़कों और चौराहों पर लोगों की भीड़ उमड़ती दिखी. इसमें बच्चे और महिला भी शामिल थे. छोटे बच्चों में ज्यादा उत्सुकता थी. कुछ लोग होलिका दहन के बाद राख घर ले गए.

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Published : Mar 21, 2019, 7:20 AM IST

Updated : Mar 21, 2019, 8:21 AM IST

रीति-रिवाज के साथ हुआ होलिका का दहन

नई दिल्ली: बुधवार की रात पूर्वी दिल्ली सहित पूरे देश में होलिका दहन किया गया. इसके लिए पहले से ही लोगों ने जगह-जगह लकड़ियों के ढेर इकट्ठा कर रखे गए थे. 9 बजकर 28 मिनट से 11 बजकर 58 मिनट के बीच अलग-अलग इलाके में पूरे रीति रिवाज से होलिका दहन किया गया.

होलिका दहन को देखने के लिए सड़कों व चौराहों पर लोगों की भीड़ उमड़ती दिखी. इसमें बच्चे और महिला भी शामिल थे. छोटे बच्चों में ज़्यादा उत्सुकता थी. कुछ लोगों होलिका दहन के बाद रख घर ले गए.

जानिए...कैसेशुरू हुई प्रथा
होलिका दहन भक्त प्रह्लाद की याद में किया जाता है. मान्यता है हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लादभगवान विष्णुका भक्त था. इस बात का हिरण्यकश्यप को क्रोध था. इसी क्रोध में उसने अपनी बहनहोलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि भस्म नहीं कर सकती.

वरदान काम नहीं आया

लेकिन भाई केआदेश पर जब होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि पर बैठी तो होलिका का वरदान काम नहीं आया. आग में होलिका भस्म हो गई और प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ. इसके बाद से ही होलिका दहन करने का विधान शुरू हुआ.


नई दिल्ली: बुधवार की रात पूर्वी दिल्ली सहित पूरे देश में होलिका दहन किया गया. इसके लिए पहले से ही लोगों ने जगह-जगह लकड़ियों के ढेर इकट्ठा कर रखे गए थे. 9 बजकर 28 मिनट से 11 बजकर 58 मिनट के बीच अलग-अलग इलाके में पूरे रीति रिवाज से होलिका दहन किया गया.

होलिका दहन को देखने के लिए सड़कों व चौराहों पर लोगों की भीड़ उमड़ती दिखी. इसमें बच्चे और महिला भी शामिल थे. छोटे बच्चों में ज़्यादा उत्सुकता थी. कुछ लोगों होलिका दहन के बाद रख घर ले गए.

जानिए...कैसेशुरू हुई प्रथा
होलिका दहन भक्त प्रह्लाद की याद में किया जाता है. मान्यता है हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लादभगवान विष्णुका भक्त था. इस बात का हिरण्यकश्यप को क्रोध था. इसी क्रोध में उसने अपनी बहनहोलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि भस्म नहीं कर सकती.

वरदान काम नहीं आया

लेकिन भाई केआदेश पर जब होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि पर बैठी तो होलिका का वरदान काम नहीं आया. आग में होलिका भस्म हो गई और प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ. इसके बाद से ही होलिका दहन करने का विधान शुरू हुआ.



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पुर्वी दिल्लीः रंगों का महापर्व होली होलिका दहन के साथ आरंभ हो गया । 
बुधवार की रात रात पुर्वी दिल्ली सहित पूरे देश में होलिका दहन किया गया। इसके लिए पहले से ही लोगों ने जगह-जगह लकडि़यों के ढ़ेर इकट्ठा कर रखे गए थे। 9 बजकर 28 मिनट से 11 बजकर 58 मिनट के बीच अलग अलग इलाके में पूरे रीतिरिवाज से होलिका दहन किया गया ।
होलिका दहन को देखने के लिए सड़कों व चौराहों पर लोगों की भीड़ उमड़ती दिखी। इसमें बच्चे और महिला भी शामिल थे । छोटे बच्चों में ज़्यादा उत्सुकता थी । कुछ लोगों होलिका दहन के बाद रख घर ले गए।

होलिका दहन भक्त प्रह्लाद की याद में किया जाता है । मान्यता है हिरण्यकश्यप का पुत्र विष्णु भगवान का भक्त था । इस बात का हिरण्यकश्यप को क्रोध था । इसी क्रोध में उसने अपनी बहन  होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि भस्म नहीं कर सकती। लेकिन भाई ले आदेश पर जब होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि पर बैठी तो होलिका का वरदान काम नहीं आया । आग में गोलिक भस्म हो गयी और प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ । इसके बाद से ही होलिका दहन करने का विधान शुरू हुआ।



Last Updated : Mar 21, 2019, 8:21 AM IST
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