नई दिल्ली: दुनियाभर में तबाही मचाने वाले कोरोना वायरस यानी कोविड 19 को लेकर फेमस डाइटीशियन डॉ. विश्वरूप चौधरी ने खुलासा किया है. उनका कहना है कि ये कोविड 19 नहीं बल्कि कोविड 1981 है. रविवार को डॉ. विश्वरूप चौधरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महामारी को फार्मास्युटिकल बाजार की देन करार देते हुए वैक्सीन पर गंभीर सवाल उठाए. साथ ही उन्होंने कोरोना का मात्र तीन दिन में अपने डाइट से इलाज करने का भी दावा किया.
कोरोना की एचआईवी एड्स से की तुलना
डॉ. चौधरी ने अपने दावे को एक किताब की शक्ल भी दी है. इसके जरिए उन्होंने कोरोना की 1981 में आए एचआईवी एड्स से तुलना की है. उनका तर्क है कि जिस तरह से एड्स को लेकर दुनियाभर में डर फैलाया गया था और वास्तविकता उससे अलग निकली. वैसी ही स्थिति 38 साल बाद फिर पैदा की गई है. उनका आरोप है कि यह सब कुछ फार्मास्युटिकल बाजार की शह पर किया जा गया है. जिसमें मीडिया भी साथ दे रहा है. अपने तर्कों को उन्होंने टेस्टिंग किट, पीपीई किट और रैमदेसिवियार दवा का सहारा दिया.
सभी तरह की वैक्सीन पर उठाए सवाल
डॉ. चौधरी ने कोविड 19 वैक्सीन समेत अब तक इस्तेमाल में आ रही सभी बीमारियों के वैक्सीन पर सवाल उठाया. उनका दावा है कि बीमारियों से बचाव का एक मात्र तरीका अच्छी डाइट से इम्यूनिट बढ़ाना है. उनका आरोप है कि वैक्सीन बीमारी से बचाने में कोई मदद नहीं करती. इसके समर्थन में उन्होंने अपनी किताब में कुछ आंकड़े भी दिए हैं. उनका ये भी कहना है कि वैक्सीन स्वस्थ करने की बजाए दूसरी कई परेशानियां और बीमारियां पैदा करती हैं. अपने दावे में दम भरने के लिए डॉ. विश्वरूप चौधरी ने दुनिया को एक खुला चैलेंज देते हुए कहा कि अगर कोई साबित कर दे कि अभी तक किसी वैक्सीन ने इंसान की मदद की हो तो वे उसे एक लाख रुपए देंगे.
वैक्सीन के विरोध की अपील की
डॉ. चौधरी ने वैक्सीन के निर्माण की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए. उनका कहना है कि वैक्सीन निर्माण में गाय के अजन्मे जीवित बच्चे के दिल के खून का इस्तेमाल होता है. इसलिए उन्होंने लोगों से इसका विरोध करने की अपील की. अपनी अपील को असरदार बनाने के लिए उन्होंने राम सेना के एक प्रतिनिधि को प्रेसवार्ता में शामिल किया.