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Delhi waterlogging: इस साल भी मॉनसून में डूबेगी दिल्ली, देखें MCD और PWD की रिपोर्ट - Monsoon 2023

दिल्ली में हर साल मॉनसून से पहले नालों की सफाई किया जाता है. लेकिन इस साल मॉनसून से पहले केवल 21 प्रतिशत नाले ही साफ हुए हैं. ऐसे में एक बार फिर राजधानी में लोगों को जलजमाव की समस्या देखने को मिल सकता है.

मॉनसून में डूबेगी दिल्ली
मॉनसून में डूबेगी दिल्ली
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Published : Jun 13, 2023, 1:52 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मॉनसून जल्द दस्तक देने वाला है. जानकारी के अनुसार राजधानी में एक बार फिर होने बारिश के दौरान लोगों को जलभराव की समस्या से सामना करना पड़ सकता है. नगर निगम अभी तक केवल 21% ही नालों की सफाई पूरी कर पाया है. निगम के कर्मचारी जिन नालों की सफाई कर चुके हैं या जिनकी सफाई चल रही है, उन नालों से कुल 55% ही गाद निकाली गई है. वहीं पीडब्ल्यूडी विभाग के अंतर्गत आने वाले करीब 90% नालों की सफाई पूरी की जा चुकी है. ये जानकारी पीडब्ल्यूडी और एमसीडी की रिपोर्ट में सामने आई है.

MCD की 553 नालों की सफाई का काम बाकी: राजधानी में पीडब्ल्यूडी और नगर निगम के पास छोटे-बड़े कुल 1800 नाले है. वहीं कुछ नाले फ्लड विभाग के पास भी है. नगर निगम के अंतर्गत 700 नाले आते हैं, जिनकी गहराई 4 फीट या इससे अधिक है. शाहदरा (नॉर्थ) में 119, शाहदरा (साउथ) 105, वेस्ट जोन 76, सेंट्रल जोन 70 और साउथ जोन में 62 नाले हैं. जबकि बाकी जॉन में 30 तो कहीं पर 20 नाले हैं. नगर निगम के अंतर्गत आने वाले सभी 700 नालों में से अभी तक केवल 143 नालों की सफाई की जा चुकी है. जबकि अभी तक 553 नालों की सफाई का काम शुरू भी नहीं हुआ है. मॉनसून से पहले निगम जिस रफ्तार से नालों की सफाई कर रही है उसे देखकर नहीं लगता की समय पर पूरा काम हो पाएगा. ऐसे में मानसून में एक बार फिर दिल्लीवासियों को जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें: जल्द मिलेगी गर्मी से राहत, केरल पहुंचा मानसून, अब महाराष्ट्र पहुंचने का इंतजार: IMD

PWD की 90 प्रतिशत नालों की सफाई पूरी: दिल्ली में पीडब्ल्यूडी विभाग के करीब 1100 नाले हैं, जिनकी लंबाई कुल 2255 किलोमीटर है. पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों का दावा है कि विभाग मॉनसून से पहले 90% से ज्यादा नालों की सफाई पूरी चुका है. बाकी 10% नालों की सफाई का काम 15 जून तक पूरा हो जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि मॉनसून के दौरान दिल्ली वालोें को जलभराव की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा.। साथ ही बताया कि मॉनसून के दौरान इस साल जो पॉइंट चिह्नित किए गए वहां भी जलभराव की समस्या नहीं होगी. हालांकि उनका ये भी कहना है कि रेजिडेंशियल इलाकों में जलभराव की समस्या हो सकती है.

ये भी पढ़ें: India Weather Update: केरल में बारिश का येलो अलर्ट, दिल्ली में तापमान गिरा, इन राज्यों में हीट वेव

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मॉनसून जल्द दस्तक देने वाला है. जानकारी के अनुसार राजधानी में एक बार फिर होने बारिश के दौरान लोगों को जलभराव की समस्या से सामना करना पड़ सकता है. नगर निगम अभी तक केवल 21% ही नालों की सफाई पूरी कर पाया है. निगम के कर्मचारी जिन नालों की सफाई कर चुके हैं या जिनकी सफाई चल रही है, उन नालों से कुल 55% ही गाद निकाली गई है. वहीं पीडब्ल्यूडी विभाग के अंतर्गत आने वाले करीब 90% नालों की सफाई पूरी की जा चुकी है. ये जानकारी पीडब्ल्यूडी और एमसीडी की रिपोर्ट में सामने आई है.

MCD की 553 नालों की सफाई का काम बाकी: राजधानी में पीडब्ल्यूडी और नगर निगम के पास छोटे-बड़े कुल 1800 नाले है. वहीं कुछ नाले फ्लड विभाग के पास भी है. नगर निगम के अंतर्गत 700 नाले आते हैं, जिनकी गहराई 4 फीट या इससे अधिक है. शाहदरा (नॉर्थ) में 119, शाहदरा (साउथ) 105, वेस्ट जोन 76, सेंट्रल जोन 70 और साउथ जोन में 62 नाले हैं. जबकि बाकी जॉन में 30 तो कहीं पर 20 नाले हैं. नगर निगम के अंतर्गत आने वाले सभी 700 नालों में से अभी तक केवल 143 नालों की सफाई की जा चुकी है. जबकि अभी तक 553 नालों की सफाई का काम शुरू भी नहीं हुआ है. मॉनसून से पहले निगम जिस रफ्तार से नालों की सफाई कर रही है उसे देखकर नहीं लगता की समय पर पूरा काम हो पाएगा. ऐसे में मानसून में एक बार फिर दिल्लीवासियों को जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ेगा.

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PWD की 90 प्रतिशत नालों की सफाई पूरी: दिल्ली में पीडब्ल्यूडी विभाग के करीब 1100 नाले हैं, जिनकी लंबाई कुल 2255 किलोमीटर है. पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों का दावा है कि विभाग मॉनसून से पहले 90% से ज्यादा नालों की सफाई पूरी चुका है. बाकी 10% नालों की सफाई का काम 15 जून तक पूरा हो जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि मॉनसून के दौरान दिल्ली वालोें को जलभराव की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा.। साथ ही बताया कि मॉनसून के दौरान इस साल जो पॉइंट चिह्नित किए गए वहां भी जलभराव की समस्या नहीं होगी. हालांकि उनका ये भी कहना है कि रेजिडेंशियल इलाकों में जलभराव की समस्या हो सकती है.

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