नई दिल्ली : नॉर्थ कैंपस स्थित पटेल चेस्ट इलाके में 100 से ज्यादा प्रिंट आउट निकालने ओर प्रोजेक्ट तैयार करने वाले लोगों की दुकान है. इनका काम दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के ऊपर आश्रित है. बीते दो सालो में कोरोना महामारी के चलते इन दुकानदारों का काम बाधित रहा. अब नए सत्र की शुरुआत हुई है, कॉलेजों में बच्चे पढ़ने के लिए आ रहे हैं. दुकानदारों को भी उम्मीद है कि नए सत्र के साथ पहले की तरह काम खुलेगा और एक बार फिर दुकान पर काम कराने वाले लोगों की भीड़ होगी.
नॉर्थ कैंपस इलाका अपनी सुंदरता और दिल्ली विश्वविद्यालय को लेकर मशहूर है. यहां पर एक से एक आलीशान मार्किट है. जब बात दिल्ली विश्वविद्यालय की होती है तो कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के प्रोजेक्ट तैयार करने, प्रिंट आउट निकालने वाले की दुकानें भी पटेल चेस्ट मार्केट में बहुत ज्यादा है. ज्यादातर दुकानों का काम डीयू के नार्थ कैंपस के कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के ऊपर निर्भर करता है. कॉलेज के स्टूडेंट अपने प्रोजेक्ट और थिशिस तैयार करने से लेकर प्रिंट आउट या फोटोकॉपी निकलने तक के लिए दुकानदारों के पास आते हैं. अब दो साल के लंबे इंतजार के बाद सत्र शुरू हुआ है.
कोरोना महामारी ने इन दुकानदारों की हालत पतली कर दी थी. इसको लेकर सभी दुकानदारों की अलग-अलग राय है. दुकानदारों का कहना है कि कोरोना महामारी में हालात बद से बदतर हो गया था. घर चलाने के लिए भी मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ रहा था. आमदनी पर ब्रेक लग गया था, दुकान का किराया निकालना भी मुश्किल हो गया था.
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उन्होंने कहा कि मार्केट में दुकानों के आकार पर किराया तय होता है, छोटी से छोटी दुकान का किराया भी 30 से 40 हजार रुपये तक है. जितनी बड़ी दुकान होगी, उसका किराया भी उतना ही ज्यादा होगा. अब मार्किट में कंपटीशन भी ज्यादा बढ़ गया है. मार्किट में ज्यादातर दुकानदार किराए की दुकान पर बैठे हैं. कुछ लोगों की अपनी भी दुकानें हैं. सभी को महामारी के दौरान बहुत कुछ झेलना पड़ा ओर अबतक उस दौर से निकलने की कोशिश कर रहे हैं.
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