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किसान आंदोलन: किसानों के फटे कपड़े सिलने के लिए लगाई गईं सिलाई मशीनें - सिंघु बॉर्डर पर किसानों के लिए सिलाई मशीनें

दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान बीते 35 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. अब यहां उनके फटे कपड़े सिलने के लिए सिलाई मशीनें भी लगवा दी गई हैं. इससे पहले रोटी बनाने वाली मशीन, सौर पैनल, देसी गीजर और वाशिंग मशीनें भी लगाई जा चुकी हैं.

Sewing machines for sewing clothes
कपड़े सिलने के लिए सिलाई मशीनें
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Published : Dec 29, 2020, 5:17 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर करीब 35 दिनों से किसान आंदोलन चल रहा है. वो सरकार से अपनी मांगों को पूरी करने के लिए अड़े हुए हैं. अब आंदोलन में किसानों के कपड़े भी फट चुके हैं. जिनको सिलने के लिए एक संस्था ने यहां सिलाई मशीन भी लगवा दी हैं और कपड़े सिलने के लिए दर्जी भी आए हुए हैं.

किसानों के फटे कपड़े सिलने के लिए लगाई गईं सिलाई मशीनें

फटे कपड़े सिलने के लिए लगाई गई सिलाई मशीन

ईटीवी भारत की टीम ने सिंघु बॉर्डर पर जाकर किसानों के फटे कपड़े सिलने के लिए आए दर्जी और लोगों से बात की. उन लोगों का कहना है कि बॉर्डर पर किसानों की जरूरत ओर फटे कपड़ों को देखते हुए किसानों ने एक संस्था के माध्यम से सिलाई मशीन लगा दी. अब सभी लोग अपने कपड़े सिलवाने ओर बटन लगवाने के लिए आ रहे है. आंदोलन में हजारों लोग आए हुए हैं. लंबे समय से सभी को जरूरत थी इसीलिए यहां मशीन लगाई गई है.

ये भी पढ़ें- कृषि कानून गतिरोध : पटना में किसानों और पुलिस के बीच झड़प, पंजाब में किसान की मौत

काम करवाने के लिए आ रहे हैं किसान
एक बुजुर्ग शख्स ने बताया कि उनके कोट के बटन टूटे हुए हैं. उन्हें लगवाने के लिए वो यहां आए हैं. यहां पर लोग काम करवाने के लिए आ रहे हैं और दर्जी अपना काम कर रहे हैं. कपड़े सिलने वाले शख्स का कहना है कि यहां जो लोग आ रहे हैं. यह उनकी निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं और आंदोलन के चलने तक ये लोग यहीं रुके रहेंगे.

नई दिल्ली: दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर करीब 35 दिनों से किसान आंदोलन चल रहा है. वो सरकार से अपनी मांगों को पूरी करने के लिए अड़े हुए हैं. अब आंदोलन में किसानों के कपड़े भी फट चुके हैं. जिनको सिलने के लिए एक संस्था ने यहां सिलाई मशीन भी लगवा दी हैं और कपड़े सिलने के लिए दर्जी भी आए हुए हैं.

किसानों के फटे कपड़े सिलने के लिए लगाई गईं सिलाई मशीनें

फटे कपड़े सिलने के लिए लगाई गई सिलाई मशीन

ईटीवी भारत की टीम ने सिंघु बॉर्डर पर जाकर किसानों के फटे कपड़े सिलने के लिए आए दर्जी और लोगों से बात की. उन लोगों का कहना है कि बॉर्डर पर किसानों की जरूरत ओर फटे कपड़ों को देखते हुए किसानों ने एक संस्था के माध्यम से सिलाई मशीन लगा दी. अब सभी लोग अपने कपड़े सिलवाने ओर बटन लगवाने के लिए आ रहे है. आंदोलन में हजारों लोग आए हुए हैं. लंबे समय से सभी को जरूरत थी इसीलिए यहां मशीन लगाई गई है.

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काम करवाने के लिए आ रहे हैं किसान
एक बुजुर्ग शख्स ने बताया कि उनके कोट के बटन टूटे हुए हैं. उन्हें लगवाने के लिए वो यहां आए हैं. यहां पर लोग काम करवाने के लिए आ रहे हैं और दर्जी अपना काम कर रहे हैं. कपड़े सिलने वाले शख्स का कहना है कि यहां जो लोग आ रहे हैं. यह उनकी निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं और आंदोलन के चलने तक ये लोग यहीं रुके रहेंगे.

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