नई दिल्ली: दिल्ली में सार्वजनिक तौर पर छठ महापर्व दो साल बाद खुले मैदानों में मनाया जा रहा है. इसके लिए 1100 छठ घाट तैयार किये जा रहे हैं, जिनकी तैयारियों को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से भी बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं. नरेला इलाके में भी बड़े स्तर पर छठ महापर्व का आयोजन जनहित पूर्वांचल सोसायटी करा रहा है.
छठ महापर्व मनाने के लिए व्रतधारी हजारों की संख्या में डूबते हुए और उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देने यहां पहुंचते हैं. साथ ही रात भर रुकने वाले व्रतधारियों और उनके परिवार वालों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम भी कराए जाते हैं. इलाके का बड़ा कार्यक्रम होने के कारण यहां पर पुलिस अधिकारी से लेकर नेता तक सभी शिरकत करते हैं.
नरेला के मैदान में छठ महापर्व को लेकर तैयारियां पुरजोर तरीके से की जा रही हैं. यहां पर दो बड़े-बड़े तालाब बनाए गए हैं, जिनमें दिल्ली जल बोर्ड का पानी भरा जा रहा है. तालाबों में व्रतधारी खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देंगे, इनके लिए लाइट ओर टेंट की व्यापक व्यवस्था की जा रही है. दिल्ली में छठ महापर्व के कार्यक्रम को लेकर ज्यादातर छठ समिति में रोष है कि दिल्ली सरकार अपने दावे पर खरा नहीं उतर रही है.
वहीं जनहित पूर्वांचल सोसाइटी छठ महापर्व कार्यक्रम में दिल्ली सरकार की ओर से व्यवस्था कराई जा रही है. इसको लेकर संस्था के अध्यक्ष विनीत कुमार ने बताया कि कार्यक्रम में 50,000 से ज्यादा लोग शिरकत करते हैं, बड़े स्तर पर यह कार्यक्रम पिछले 20 सालों से कराया जा रहा है. कार्यक्रम में पुलिस व प्रशासन भी व्यवस्था बनाने में सहयोग करती है. इलाके के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा राजनेता भी कार्यक्रम में शिरकत करते हैं. सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए नामी-गिरामी कलाकारों को बुलाया जाता है, जो रात भर लोगों का कार्यक्रम में समा बांधकर रखते हैं.
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जहां दिल्ली में छठ महापर्व के कार्यक्रम को लेकर दो दिन पहले भी संस्थाएं परेशान हैं और समितियों ने दिल्ली सरकार के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की है. दिल्ली में यमुना घाट पर भी छठ महापर्व बनाने को लेकर लोगों में संशय है. संस्थाएं व लोग अपने खर्च से घाट तैयारियां कर रहे हैं ओर सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि सरकार कार्यक्रम से महज एक या दो दिन पहले ही लाइट और टेंट की व्यवस्था कराती है. लेकिन नरेला की छठ पूजा में वीवीआईपी मूवमेंट को लेकर सारी तैयारियां व्यवस्थित रूप से की जा रही हैं.
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