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यहां पिछली क्लास की किताबें देने पर नई क्लास की किताबें मिलती हैं फ्री! - Pranav New Way Marketing

किराड़ी विधानसभा में न्यू वे मार्केटिंग नाम की एक किताब की दुकान ने सराहनीय कदम उठाया है, जहां छात्रों द्वारा पिछली क्लास की किताबें देने पर नई क्लास की किताबें मुफ्त में दी जाती हैं.

New Way Marketing new class books are free on giving books of previous class
न्यू वे मार्केटिंग
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Published : Oct 22, 2020, 7:13 PM IST

नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली के किराड़ी विधानसभा में न्यू वे मार्केटिंग के नाम से एक दुकान खोली गई, जिसका मकसद उन बच्चों की मदद करना है, जो बच्चे बुक्स खरीदने में सक्षम नहीं हैं. इस दुकान पर पहली क्लास से 12वीं क्लास तक की बुक मिल जाती हैं. यहां आठवीं क्लास की बुक देकर नौवीं की बुक फ्री में मिल जाती हैं. दसवीं की बुक देने पर ग्यारहवीं की किताबें फ्री में मिल जाती हैं.

न्यू वे मार्केटिंग की अच्छी पहल!

न्यू वे मार्केटिंग दुकान के ओनर उमेश ने बताया किराड़ी विधानसभा में कई दुकानें ऐसी है, जो पुरानी बुक लेकर 50% या 70% पर बच्चों को बुक देते हैं. मैंने देखा कि लॉकडाउन के समय लोगों के पास इनकम का स्रोत नहीं रहा. बच्चों की शिक्षा पर भी काफी असर पड़ रहा था, इसलिए मैंने लॉकडाउन के समय घर-घर जाकर जरूरतमंदों के बीच अगली क्लास की बुक बांटने का निर्णय लिया.

स्थानीय निवासी प्रणव ने बताया कि पिछले 20 साल से मैं किराड़ी में रह रहा हूं, जब मैं खुद पढ़ता था तो नई किताबें खरीदना बहुत मुश्किल हुआ करता था. मैंने देखा किराड़ी में बहुत बच्चे ऐसे हैं, जो अपनी फीस तक नहीं दे पाते. तभी मेरे दिमाग में एक प्लान आया और उस प्लानिंग के तहत, जब हमने काम किया तो सफलता मिली. उन्होंने बताया कि अब तक 120 बच्चों से ज्यादा छात्र यहां से बुक ले जा चुके हैं.

नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली के किराड़ी विधानसभा में न्यू वे मार्केटिंग के नाम से एक दुकान खोली गई, जिसका मकसद उन बच्चों की मदद करना है, जो बच्चे बुक्स खरीदने में सक्षम नहीं हैं. इस दुकान पर पहली क्लास से 12वीं क्लास तक की बुक मिल जाती हैं. यहां आठवीं क्लास की बुक देकर नौवीं की बुक फ्री में मिल जाती हैं. दसवीं की बुक देने पर ग्यारहवीं की किताबें फ्री में मिल जाती हैं.

न्यू वे मार्केटिंग की अच्छी पहल!

न्यू वे मार्केटिंग दुकान के ओनर उमेश ने बताया किराड़ी विधानसभा में कई दुकानें ऐसी है, जो पुरानी बुक लेकर 50% या 70% पर बच्चों को बुक देते हैं. मैंने देखा कि लॉकडाउन के समय लोगों के पास इनकम का स्रोत नहीं रहा. बच्चों की शिक्षा पर भी काफी असर पड़ रहा था, इसलिए मैंने लॉकडाउन के समय घर-घर जाकर जरूरतमंदों के बीच अगली क्लास की बुक बांटने का निर्णय लिया.

स्थानीय निवासी प्रणव ने बताया कि पिछले 20 साल से मैं किराड़ी में रह रहा हूं, जब मैं खुद पढ़ता था तो नई किताबें खरीदना बहुत मुश्किल हुआ करता था. मैंने देखा किराड़ी में बहुत बच्चे ऐसे हैं, जो अपनी फीस तक नहीं दे पाते. तभी मेरे दिमाग में एक प्लान आया और उस प्लानिंग के तहत, जब हमने काम किया तो सफलता मिली. उन्होंने बताया कि अब तक 120 बच्चों से ज्यादा छात्र यहां से बुक ले जा चुके हैं.

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