नई दिल्ली। पूत कपूत सुने है जग में, माता नहीं कुमाता. इस कहावत को राजधानी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में हुई एक घटना ने मानों झुठला ही दिया.अपने प्रेमी के इश्क में अंधी मां ने अपने 5 साल के बेटे और 2 साल की बेटी को कश्मीर गेट के पास एक बस स्टॉप पर बेसहारा छोड़ दिया और चुपचाप चली गई. उसे अपने प्रेमी के साथ नया घर जो बसाना था. यह मां जब दोनों बच्चों को लेकर घर से निकली तो न उसके पैर कांपे और न ही उसका कलेजा फटा. दरअसल, महिला के प्रेमी ने कहा था कि दो बच्चों के रहते उससे शादी नहीं करेगा. इसलिए उसने बच्चों को ही रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया.
मां से बेसहारा बच्चे बने एक दूसरे का सहाराः निर्दयी मां तो उनको छोड़कर चली गई थी मगर सड़क पर भटकते पांच साल के बच्चे ने अपनी छोटी बहन का हाथ नहीं छोड़ा. मां ने भले ही दोनों को बेसहारा छोड़ दिया हो मगर भाई अपनी दो साल की बहन का कई दिनों तक सहारा बना रहा. बच्चे को एक मकसद मिल गया कि बहन को हर हाल में सहारा देना है.
हालांकि, उसे खुद अपने सहारे की तलाश थी और यह भी नहीं जानता था कि उसके साथ यह क्यों हुआ है. भटकते हुए दोनों बच्चे जब एक दूसरे का सहारा बने हुए थे तभी सीताराम बाजार की रहने वाली एक महिला ने उन्हें देखा और अपने साथ ले गई. पांच साल का बच्चा अपने घर के पते के नाम पर सिर्फ बुराड़ी बता पाया. महिला में पुलिस को सूचना दी. इसके बाद पुलिस ने मां को तलाशा और बच्चे उसके हवाले किए.
महिला गैरइरादतन हत्या की आरोपी हैः जांच में पुलिस को पता चला कि महिला पर गैर इरादतन हत्या का मामला चल रहा है. उसने अपने पिता को छह साल पहले कथित रूप से सीढ़ियों से धकेल दिया था, जिससे गिरकर उनकी मौत हो गई थी. महिला तब दो साल तिहाड़ जेल में भी रही थी. उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद वह बाहर आई थी.
महिला ने बताया कि दो साल पहले उसका पति छोड़कर चला गया था. फिर उसका एक युवक से प्रेम संबंध हुआ और उसी से अब वह शादी करना चाहती है. इसीलिए बच्चों को रास्ते से हटाने का प्रयास किया.
जिस मां पर इतने गंभीर आरोप हैं, उसके पास बच्चों को नहीं छोड़ना चाहिए था. हो सकता है कि भविष्य में वह फिर से ऐसा कुछ करे जिससे बच्चों की जान को खतरा हो सकता है. महिला के आपराधिक रिकॉर्ड से भी उसके ऊपर विश्वास नहीं किया जा सकता है. ऐसे माहौल में रहने से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है. बच्चों को ऐसी मां के पास रखने की बजाय उन्हें किसी सामान्य महिला के साथ रखना चाहिए, जो उनकी देखभाल कर सकें. क्योंकि नकारात्मक बातों का बाल मन पर बहुत बुरा असर पड़ता है.
- प्रो. डॉ. गुरविंदर अहलूवालिया, साइकोलॉजिस्ट
2 बच्चों के गायब होने की सूचना मिलने पर जिला पुलिस की ओर से उनकी तलाश शुरू की गई थी. इस दौरान पुलिस को सूचना मिली थी कि बच्चे सीताराम मार्केट में एक महिला के पास हैं. महिला ने खुद पुलिस से संपर्क किया था. पुलिस ने महिला से संपर्क कर बच्चों को उसकी मां के हवाले कर दिया है. बच्चों की मां की काउंसलिंग की गई है और उसे समझाया गया है. फिलहाल बच्चे स्वस्थ और सुरक्षित हैं.
- सागर सिंह कालसी, डीसीपी, उत्तरी जिला
मार्मिक पल थाः बच्चों को अपने घर लाई दूसरी महिला ने बताया कि 17 अप्रैल की रात को बच्चे उसे बाजार में सड़क पर रोते हुए मिले थे. उस दौरान दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए थे और बस रोये जा रहे थे. बच्चों ने कुछ खाया नहीं था. वे काफी भूखे थे. वे अपने बारे में कुछ बता नहीं पा रहे थे. यह काफी भावुक पल था. इसलिए वह अपने पास ले गई.