नई दिल्लीः दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग के खुले नाले पिछले कई सालों से लगातार हादसों को दावत दे रहे हैं. जहांगीरपुरी इलाके में देखा जाए तो ज्यादातर नाले पीडब्ल्यूडी विभाग के हैं और सभी खुले हुए हैं. इनके ऊपर ना तो स्लैब है और ना ही आस-पास कोई सुरक्षा चक्र है, जिससे हादसा होने से बचाया जा सके.
जहांगीरपुरी इलाके में पिछले कुछ महीने पहले दो बच्चों के नाले में गिरने से मौत हो गई थी और लगातार एक महीने में करीब तीन से चार बच्चों ने नाले में गिरने से अपनी जान गंवाई थी. उसके बावजूद दिल्ली सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया. यदि औपचारिकता पूरी की तो नाले के चारों तरफ बड़े-बड़े पत्थर रख दिए, उसके बावजूद भी हादसा हो सकता है.
धुंध में बढ़ सकते हैं हादसे
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह बड़े-बड़े नाले इसी तरह सालों से हादसों को दावत दे रहे हैं. अब सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है. धुंध पड़ेगी तो हादसे भी होंगे. दिल्ली सरकार इन लोगों की समस्या पर ध्यान नहीं दे रही है. यदि समय से नालों को ढक दिया जाए, तो हादसों को टाला जा सकता है, लेकिन कोई भी काम करने के लिए तैयार नहीं है.
पहले भी हो चुके हैं हादसे
आदर्श नगर विधानसभा के जहांगीरपुरी इलाके में इसी साल अप्रैल में बच्चे खेलते हुए नाले में गिर गए, जिनकी एक हफ्ते बाद डेड बॉडी बाहर आई. खुले नालों के लेकर प्रशासन से शिकायत की गई. हादसों के बाद भी प्रशासन ने महज खानापूर्ति करते हुए नाले के आसपास पत्थर लगा दिए, लेकिन पूरी तरह से उन्हें कवर नहीं किया गया.
विभाग का नहीं है ध्यान
जरूरत है संबंधित विभाग चाहे दिल्ली नगर निगम हो या पीडब्ल्यूडी सभी अपने नालों को कवर करें, ताकि इलाके में होने वाले हादसों को टाला जा सके. यदि कोई हादसा होता है, तो सबंधित विभाग पर जुर्माना लगाना चाहिए. जिससे लोग सड़कों पर सुरक्षित चल सके और अब सर्दी के मौसम में धुंध पड़ने के साथ हादसे भी होंगे, तो सरकार को लोगों की सुरक्षा के लिए नाले के सामने रिफ्लेक्टर बोर्ड भी लगाने चाहिए.