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यमुना का जलस्तर बढ़ने से किसान परेशान, लाखों की फसल बर्बाद - farmers upset due to rising water level of yamuna

उत्तरी भारत में हो रही बारिश के बाद दिल्ली में यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. हरियाणा से यमुना नदी में पानी छोड़ा जा रहा है. दिल्ली में यमुना किनारे खेती करने वाले किसान चिंतित हैं. यमुना किनारे किसानों ने सीजन की सब्जियां और ज्वार की फसल उगाई हुई है. ऐसे में किसान सरकार से मुआवजे मांग रहे हैं.

बाढ़ से परेशान किसान
बाढ़ से परेशान किसान
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Published : Jul 30, 2021, 4:19 PM IST

नई दिल्ली: हरियाणा से यमुना में करीब साढ़े तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. लिहाजा जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. किसानों की फसलें डूब रही हैं. कई जगहों पर पानी का स्तर इतना बढ़ चुका है कि गाय-भैसों के लिए बोई गई फसल भी डूबती जा रही है. किसानों के सामने जलस्तर का संकट गहरा गया है. हालांकि, अभी तक यमुना में आये पानी से आसपास के इलाकों को कोई खतरा नही है.

वजीराबाद, जगतपुर, बुराड़ी, सलेमपुर, सहित कई गांवो और यमुना के बीच बना पुस्ता पानी से बहुत दूर है. इन गांवों में रहने वाले किसान अपनी डूबती फसल को लेकर चिंतित हैं. किसानों का कहना है कि इस बार दिल्ली सरकार और फ्लड विभाग की ओर से कोई खास इंतजाम नही किया गया. यदि इसी तरह से यमुना में पानी छोड़ा जाता रहा तो हालात और बिगड़ सकते हैं.

यमुना का जलस्तर बढ़ने से किसान परेशान

आपको बता दें कि साल 1978 में यमुना पूरी तरह से उफान पर थी. हालात बेकाबू हो गए थे और बाहरी रिंगरोड ओर यमुना के किनारे बसे गांव महीनों तक पानी डूबे थे. उस समय यमुना में पानी का जलस्तर 209 मीटर से ज्यादा था. किसानों का कहना है कि सरकार गरीब किसानों के लिए मदद नही करती, हर साल यमुना में बाढ़ का पानी आने से किसान मारे जाते है. किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

इसे भी पढ़ें: यमुना का जलस्तर बढ़ा: दिल्ली के लिए राहत, किसानों की फसल होगी खराब

इसे भी पढ़ें: दिल्ली में खतरे के निशान के पार बह रही है यमुना नदी

नई दिल्ली: हरियाणा से यमुना में करीब साढ़े तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. लिहाजा जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. किसानों की फसलें डूब रही हैं. कई जगहों पर पानी का स्तर इतना बढ़ चुका है कि गाय-भैसों के लिए बोई गई फसल भी डूबती जा रही है. किसानों के सामने जलस्तर का संकट गहरा गया है. हालांकि, अभी तक यमुना में आये पानी से आसपास के इलाकों को कोई खतरा नही है.

वजीराबाद, जगतपुर, बुराड़ी, सलेमपुर, सहित कई गांवो और यमुना के बीच बना पुस्ता पानी से बहुत दूर है. इन गांवों में रहने वाले किसान अपनी डूबती फसल को लेकर चिंतित हैं. किसानों का कहना है कि इस बार दिल्ली सरकार और फ्लड विभाग की ओर से कोई खास इंतजाम नही किया गया. यदि इसी तरह से यमुना में पानी छोड़ा जाता रहा तो हालात और बिगड़ सकते हैं.

यमुना का जलस्तर बढ़ने से किसान परेशान

आपको बता दें कि साल 1978 में यमुना पूरी तरह से उफान पर थी. हालात बेकाबू हो गए थे और बाहरी रिंगरोड ओर यमुना के किनारे बसे गांव महीनों तक पानी डूबे थे. उस समय यमुना में पानी का जलस्तर 209 मीटर से ज्यादा था. किसानों का कहना है कि सरकार गरीब किसानों के लिए मदद नही करती, हर साल यमुना में बाढ़ का पानी आने से किसान मारे जाते है. किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

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