नई दिल्ली: उत्तरी भारत में सर्दी का प्रकोप जारी है और किसान पंजाब से आंदोलन करने के लिए दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर रुके हुए हैं. इस आंदोलन में युवा, बुजुर्ग और बच्चे सभी भाग लेने के लिए पंजाब से आए हैं. अलाव से सहारे बुजुर्ग आंदोलनकारी किसान सर्द रातों में किसी तरह अपनी जान बचा रहे हैं. इनकी उम्र 80 वर्ष के आसपास है, हौसले बुलंद है लेकिन अपने गांव जाने को तैयार नहीं है.
सर्द रातों में भी आग के सहारे बॉर्डर पर डटे हुए है बुजुर्ग किसान
ईटीवी भारत की टीम ने सिंघु बॉर्डर पर बीती रात करीब 11 बजे ठंड में अलाव के सहारे रात काट रहे बुजुर्ग किसानों से बात की. उनका कहना है कि यहां पर बुजुर्ग बच्चे और युवा सभी सरकार से कृषि बिल को वापस कराने को लेकर आंदोलन में भाग लेने के लिए आए हुए हैं. दिल्ली की इस सर्दी से आंदोलनकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि यह आंदोलन इन लोगों के अंदर गर्मी पैदा करता है. वही बुजुर्ग किसान अलग-अलग जगह पर अलाव पर हाथ ताप रहे हैं, ताकि दिल्ली की कड़कड़ाती सर्दी से इन लोगों को निजात मिल सके.
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उम्र के आखरी पड़ाव में भी हौसले बुलंद
बुजुर्ग आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि इन लोगों की उम्र 80 साल के आसपास है, उम्र के आखरी पड़ाव में भी इरादे मजबूत और यह लोग घर से शहीद होने के लिए बॉर्डर पर आंदोलन में भाग लेने के लिए आए हैं. सरकार ने जो कृषि बिल बनाया है, वह किसानों के खिलाफ है और इस बिल के माध्यम से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा. जब तक सरकार कृषि बिल को वापस नहीं लेती है. लोग यहां से वापस जाने वाले नहीं हैं. खासकर बुजुर्ग तो आंदोलन में शहीद होने के लिए ही आए हैं, इन लोगों का कहना है कि इस सर्दी से इन लोगों का कुछ नहीं बिगड़ने वाला. पंजाब में इससे भी कहीं ज्यादा भयंकर सर्दी राते होती है और उसी सर्द रात के बीच यह लोग अपनी खेती करते हैं.
नही निकला कोई समाधान तो रहेगा हाइवे जाम
इन लोगों को अब इंतजार है कि आंदोलन करते हुए 20 दिन से ज्यादा का समय हो गया है. सरकार अभी तक किसान नेताओं के साथ हुई बातचीत के बाद किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. अब उम्मीद लगा रहे हैं कि यह आंदोलन जल्द से जल्द खत्म हो जाए ताकि लोगों को इस तरह अपने घर-बार को छोड़कर सड़कों पर ना रहना पड़े. यदि अभी भी कोई रास्ता नहीं निकलता तो ये लोग इसी तरह सड़कों पर डटे रहेंगे ओर हाईवे को जाम रखेंगे, चाहे उसके लिए कितना भी समय लग जाए.