नई दिल्ली: दिल्ली टैक्सी एंड टूरिस्ट ट्रांसपोर्टस एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल ने सांसद मनोज तिवारी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. यूनियन ने उनसे मिलकर ऑल इंडिया टूरिस्ट टैक्सी-बसों से स्पीड लिमिट डिवाइस (स्पीड गवर्नर) हटाने की मांग की. ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सम्राट ने उन्हें बताया कि हाईवे और एक्सप्रेस वे पर प्राइवेट गाड़ियों की स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटा है, लेकिन ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट की टैक्सी बसों की स्पीड को सिर्फ 80 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड की अनुमति है. सरकार ने गाड़ियों में स्पीड डिवाइस लगाकर उन सारी टैक्सी बसों में लगाम लगा दी है.
यूनियन पदाधिकारियों का कहना है कि हम करोड़ों रुपए टोल टैक्स के रूप में प्राइवेट टोल कंपनियों के माध्यम से केंद्र सरकार को दे रहें हैं. इसके बावजूद हमारे हाथ बांधे जा रहे हैं. भारत के करोड़ों टैक्सी बस वालों के साथ यह बहुत बड़ा भेदभाव है, जबकि भारत का संविधान हमें बराबरी का दर्जा देता है. उन्होंने कहा कि ये मुद्दा महिला सुरक्षा और देशी-विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा से भी जुड़ा है. बदमाश रात के समय में हमारी टैक्सी बसों को ओवरटेक करके बड़ी लूटपाट और महिला पर्यटकों से बलात्कार जैसी घटनाओं को भी अंजाम दे सकते हैं. कुछ चालकों ने बताया कि काफी बार बदमाशों ने टूरिस्ट गाड़ियों का पीछा किया है, लेकिन उन्होंने अपनी तेज चलाकर पर्यटकों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया.
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चूंकि ये टूरिस्ट टैक्सी दूसरे राज्यों की थी और उनमें स्पीड लिमिट डिवाइस नहीं था, इसलिए वे ऐसा कर पाए. दुर्भाग्य की बात है कि स्पीड लिमिट डिवाइस सिर्फ दिल्ली की टूरिस्ट टैक्सी बसों में ही लगाया जाता है, जबकि दूसरे राज्यों में ऐसा नहीं है. वहीं दूसरी तरफ दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग भी हर साल गाड़ियों की फिटनेस के समय इस स्पीड लिमिट डिवाइस को चेक करने के बहाने 500 से लेकर 3 हजार रुपए तक वसूलता है. इसपर सांसद मनोज तिवारी ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे जल्द ही सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर इन समस्याओं का समाधान कराएंगे.
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