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किराड़ीः दिहाड़ी मजदूरों को नहीं मिल रहा काम, खाना और रहना मुश्किल - किराड़ी के दिहाड़ी मजदूर परेशान

पहले कोरोना महामारी और अब किसान आंदोलन की वजह से दिहाड़ी मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से ये लोग भुखमरी के कगार पर आकर खड़े हो चुके हैं.

Workers in search of work
काम की तलाश में खड़े मजदूर
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Published : Feb 13, 2021, 1:10 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना महामारी और किसान आंदोलन के चलते दिहाड़ी मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है. वह सुबह 6 बजे किराड़ी विधानसभा के त्रिपाठी एनक्लेव लेबर चौक पर आकर बैठ जाते हैं. काम ना मिलने की वजह से मायूस होकर घर वापस लौटना पड़ता है. ऐसे में इन डेली वेज मजदूरों की जिंदगी में घर चलाने का संकट खड़ा हो चुका है. इनके लिए दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करना और घर का किराया निकालना भी मुश्किल हो रहा है.

मजदूरों को नहीं मिल रहा काम

कई दिनों तक नहीं मिलता काम

इन दिहाड़ी मजदूरों को पहले कोरोना महामारी और अब किसान आंदोलन की वजह से रोजगार नहीं मिल पा रहा है. सभी बॉर्डर सील होने की वजह से, जो मटेरियल दिल्ली में आया करता था, उस पर रोक लगा पड़ा है. इस कारण भी मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है. इनका कहना है परिवार के लिए दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल हो रहा है. रोजाना सुबह 6 बजे आ जाते हैं. कई-कई दिन हो जाते हैं, काम नहीं मिलता है. महीने में 10 से 12 दिन ही काम मिल पाता है. उसी से परिवार का पालन पोषण करते हैं. पहले लॉकडाउन और अब किसान आंदोलन की वजह से रोजगार खत्म हो चुका है. दाने-दाने को मोहताज हो चुके हैं. जो लेबर कार्ड बनवाया था, उसका भी सरकार की तरफ से कोई लाभ नहीं मिला. काम ना मिलने के कारण उधार लेकर परिवार का खर्चा उठाना पड़ रहा है. इस वजह से कर्जे में डूबते जा रहे हैं.

ये भी पढ़ेंःदिल्ली में भूकंपः रेड जोन में आती है राजधानी, विशेषज्ञ जता चुके अनहोनी की आशंका

भुखमरी के कगार पर मजदूर

दिहाड़ी मजदूर कहते हैं कि लाॅकडाउन ने हम जैसे गरीब लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है. काम ना होने की वजह से पूरा परिवार भुखमरी के कगार पर खड़ा हो गया है. जैसा काम पहले था, वैसा अब नहीं है. कोरोना काल और किसान आंदोलन की वजह से काम खत्म हो चुका है.

नई दिल्ली: कोरोना महामारी और किसान आंदोलन के चलते दिहाड़ी मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है. वह सुबह 6 बजे किराड़ी विधानसभा के त्रिपाठी एनक्लेव लेबर चौक पर आकर बैठ जाते हैं. काम ना मिलने की वजह से मायूस होकर घर वापस लौटना पड़ता है. ऐसे में इन डेली वेज मजदूरों की जिंदगी में घर चलाने का संकट खड़ा हो चुका है. इनके लिए दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करना और घर का किराया निकालना भी मुश्किल हो रहा है.

मजदूरों को नहीं मिल रहा काम

कई दिनों तक नहीं मिलता काम

इन दिहाड़ी मजदूरों को पहले कोरोना महामारी और अब किसान आंदोलन की वजह से रोजगार नहीं मिल पा रहा है. सभी बॉर्डर सील होने की वजह से, जो मटेरियल दिल्ली में आया करता था, उस पर रोक लगा पड़ा है. इस कारण भी मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है. इनका कहना है परिवार के लिए दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल हो रहा है. रोजाना सुबह 6 बजे आ जाते हैं. कई-कई दिन हो जाते हैं, काम नहीं मिलता है. महीने में 10 से 12 दिन ही काम मिल पाता है. उसी से परिवार का पालन पोषण करते हैं. पहले लॉकडाउन और अब किसान आंदोलन की वजह से रोजगार खत्म हो चुका है. दाने-दाने को मोहताज हो चुके हैं. जो लेबर कार्ड बनवाया था, उसका भी सरकार की तरफ से कोई लाभ नहीं मिला. काम ना मिलने के कारण उधार लेकर परिवार का खर्चा उठाना पड़ रहा है. इस वजह से कर्जे में डूबते जा रहे हैं.

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भुखमरी के कगार पर मजदूर

दिहाड़ी मजदूर कहते हैं कि लाॅकडाउन ने हम जैसे गरीब लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है. काम ना होने की वजह से पूरा परिवार भुखमरी के कगार पर खड़ा हो गया है. जैसा काम पहले था, वैसा अब नहीं है. कोरोना काल और किसान आंदोलन की वजह से काम खत्म हो चुका है.

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