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शिकायतकर्ता वकील की मांग, हिंदू आस्था को ठेस पहुंचाने वाले को हो दो से पांच साल की सजा

डीयू के हिंदू कॉलेज के प्रोफेसर रतन लाल की आपत्तिजनक पोस्ट पर शिकायत करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने मामले दो से पांच साल तक सजा का प्रावधान करने की मांग की है. उनका कहना है कि हिंदू धर्म की आस्था को आहत करने वाले रतन लाल जैसे लोगों पर कार्रवाई किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो केस लड़ने के संकेत दिए.

शिकायतकर्ता वकील की मांग
शिकायतकर्ता वकील की मांग
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Published : May 22, 2022, 12:31 PM IST

नई दिल्ली: उत्तरी जिले के साइबर पुलिस टीम ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज में इतिहास के प्रोफेसर रतनलाल के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें शुक्रवार रात गिरफ्तार किया गया था. जिस पर शिकायतकर्ता सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने कहा कि उन्होंने अपने आपत्तिजनक पोस्ट से हिंदू धर्म की आस्था को आहत किया है, जो कानूनन जुर्म है. पुलिस ने शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 153 ए और 295 ए के तहत मामला दर्ज किया है. दोनों ही धाराओं के तहत सजा का प्रावधान है और यह जुर्म भी गैरजमानती है. धारा 153 के तहत 2 साल व धारा 295 ए के तहत 3 साल की सजा का प्रावधान है.

बता दें कि आरोपी प्रोफेसर रतन लाल का विवादों से पहले से भी नाता रहा है. वह पहले भी इस तरह की टिप्पणी करते रहे हैं, अब पुलिस ने कानूनी कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि तीस हजारी कोर्ट ने उन्हें 50 हजार के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया है.

हिंदू आस्था को ठेस पहुंचाने वाले को हो सजा

ईटीवी से बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विनीत जिंदल ने कहा कि पुलिस ने अपना काम किया है. प्रोफेसर रतन लाल दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के हिस्ट्री के प्रोफेसर हैं. उनका फेसबुक पर कमेंट काफी विवादास्पद था. उन्होंने सिर्फ ज्ञानवापी मंदिर के शिवलिंग को टारगेट नहीं किया बल्कि हर उस शिवलिंग और भगवान शिव को टारगेट किया है जिनमें हिंदू धर्म के लोगों की आस्था है. जिस तरह से आरोपी रतन लाल ने विवादित पोस्ट किया है यह उनकी विकृत मानसिकता और विचारधारा को दर्शाता है.। जब इस तरह के विवादास्पद पोस्ट किए जाते हैं उनका अंजाम भुगतने के लिए भी उन्हें तैयार रहना चाहिए, जो किसी भी धर्म या समुदाय की आस्था को ठेस पहुंचाता है. उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी चाहिए, जो धारा 153 ए और 295 के तहत बनती है. इस मामले में रतन लाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, दोनों मामले non-bailable हैं. धारा 153 ए में 2 साल व धारा 295 ए में 3 साल की सजा का प्रावधान है और उन्हें जल्दी बेल (जमानत) भी नहीं मिलेगी.

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नई दिल्ली: उत्तरी जिले के साइबर पुलिस टीम ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज में इतिहास के प्रोफेसर रतनलाल के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें शुक्रवार रात गिरफ्तार किया गया था. जिस पर शिकायतकर्ता सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने कहा कि उन्होंने अपने आपत्तिजनक पोस्ट से हिंदू धर्म की आस्था को आहत किया है, जो कानूनन जुर्म है. पुलिस ने शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 153 ए और 295 ए के तहत मामला दर्ज किया है. दोनों ही धाराओं के तहत सजा का प्रावधान है और यह जुर्म भी गैरजमानती है. धारा 153 के तहत 2 साल व धारा 295 ए के तहत 3 साल की सजा का प्रावधान है.

बता दें कि आरोपी प्रोफेसर रतन लाल का विवादों से पहले से भी नाता रहा है. वह पहले भी इस तरह की टिप्पणी करते रहे हैं, अब पुलिस ने कानूनी कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि तीस हजारी कोर्ट ने उन्हें 50 हजार के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया है.

हिंदू आस्था को ठेस पहुंचाने वाले को हो सजा

ईटीवी से बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विनीत जिंदल ने कहा कि पुलिस ने अपना काम किया है. प्रोफेसर रतन लाल दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के हिस्ट्री के प्रोफेसर हैं. उनका फेसबुक पर कमेंट काफी विवादास्पद था. उन्होंने सिर्फ ज्ञानवापी मंदिर के शिवलिंग को टारगेट नहीं किया बल्कि हर उस शिवलिंग और भगवान शिव को टारगेट किया है जिनमें हिंदू धर्म के लोगों की आस्था है. जिस तरह से आरोपी रतन लाल ने विवादित पोस्ट किया है यह उनकी विकृत मानसिकता और विचारधारा को दर्शाता है.। जब इस तरह के विवादास्पद पोस्ट किए जाते हैं उनका अंजाम भुगतने के लिए भी उन्हें तैयार रहना चाहिए, जो किसी भी धर्म या समुदाय की आस्था को ठेस पहुंचाता है. उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी चाहिए, जो धारा 153 ए और 295 के तहत बनती है. इस मामले में रतन लाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, दोनों मामले non-bailable हैं. धारा 153 ए में 2 साल व धारा 295 ए में 3 साल की सजा का प्रावधान है और उन्हें जल्दी बेल (जमानत) भी नहीं मिलेगी.

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