नई दिल्ली: राजधानी की सबसे बड़ी भलस्वा झील आज अपना अस्तित्व खोने की कगार पर है. पहले झील का क्षेत्रफल 92 एकड़ का था जो शालीमार बाग से लेकर भलस्वा गांव तक फैला था. लेकनी भलस्वा गांव में बसी भैसों की डेरियों का मल मूत्र झील में फैले जाने की वजह से झील में गंदगी का अंबार लगा हुआ है.
झील की मछलियां मर रही है. झील की गंदगी का मुद्दा सांसद हंसराज हंस ने सदन में भी उठाया लेकिन हालात नहीं सुधरे.
लगातार गंदी होती जा रही है झील
झील में गंदगी के मुद्दे पर सांसद हंसराज हंस का कहना है कि झील को दिल्ली सरकार गंदा कर रही है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि भैसों की डेरियों से निकलने वाला मल मूत्र सीधे झील में डाल जा रहा है. जिसकी वजह से झील अपना अस्तित्व खोते जा रही है.
पहली बार भलस्वा झील साल 1982 में अस्तित्व में आई जब भारत में एशियाई खेलों का आयोजन किया गया. उस समय यहां पर कई प्रतियोगिताएं भी हुई लेकिन उसके बाद झील के हालात लगातार बिगड़ते चले गए.