नई दिल्ली: दिल्ली की साहित्य अकादमी में प्रसिद्ध कश्मीरी लेखक हरिकृष्ण कौल पर परिसंवाद का आयोजन किया गया है. जहां तमाम कश्मीरी लेखकों और अन्य लेखकों समेत हरिकृष्ण कौल के साथी लेखकों ने उनसे जुड़ी बात और उनकी कई रचनाओं पर चर्चा की.
हरीकृष्ण कौल कश्मीरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं जिनके द्वारा कई रचनाएं कहानियां यहां तक की नाटक और रेडियो कहानियां भी लिखी गई है.
हरिकृष्ण कौल को साल 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
कश्मीरी लेखक के दोस्त ने बताए कई किस्से
कश्मीरी लेखक हरिकृष्ण कौल पर परिसंवाद कर रहे उनके क्लासमेट और दोस्त अवतार किशन रहबर ने बताया कि वह कॉलेज के समय उनके सीनियर थे, हालांकि दोनों एक ही कॉलेज में होने के कारण अच्छे दोस्त बन गए थे और उन्होंने साथ में कई रचनाएं और कहानियां साथ में लिखें हैं.
अवतार किशन का कहना था कि पहले हरिकृष्ण कौल केवल कश्मीरी भाषा में लिखते थे, लेकिन फिर उन्होंने हिंदी में लिखना शुरू किया. जो आगे चलकर काफी प्रचलित हुआ.
हर वर्ग के लिए की हैं रचनाएं
अवतार किशन ने बताया कि हरी किशन कौल ने मुखपृष्ठ, उपन्यास, कहानी, विविध, कविताएं, अनुवाद, बाल साहित्य समेत कई ऐसी रचनाएं लिखी जिससे कश्मीर का साहित्य हर वर्ग के व्यक्ति तक पहुंचा.
AMU में कश्मीरी लेखक पर शुरू होगी रिसर्च थिसिस
परिसंवाद में शामिल हुए AMU के कश्मीरी प्रोफेसर ने बताया कि कश्मीरी लेखक हरिकृष्ण कौल को एक सम्मान देने के लिए वह AMU में रिसर्च थिसिस की शुरुआत करने जा रहे हैं. जिससे कि यूनिवर्सिटी में छात्र कश्मीरी लेखक हरिकृष्ण कौल के साहित्य और तमाम रचनाओं के बारे में गहराई से पढ़ सकें.