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गंदे नाले में तब्दील होते तालाबों पर भूमाफिया कर रहे कब्जा, कोर्ट के आदेश की हो रही अनदेखी

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कच्चे तालाबों की हालत बहुत खराब है. कई तालाबों पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया है. बुराडी गांव के कच्चे तालाब सालों से अपने सौंदर्यीकरण की राह देख रहें हैं. उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद नेता से लेकर संबंधित विभाग के अधिकारी जोहड़ों यानी कच्चे तालाब के रखरखाव व सौंदर्यीकरण करने को लेकर सुस्त रवैया अपनाये हुए हैं. पढ़ें ये रिपोर्ट...

गंदे नाले में तब्दील होते तालाब
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Published : Feb 6, 2019, 10:51 AM IST

नेता व अधिकारियों की मिलीभगत के चलते गांव के कुछ भूमाफियाओं को जोहड़ की आवंटित की गई जमीन के आवंटन को रद्द करने व अवैध कब्ज़ों को रोकने के कोर्ट के निर्देश की अधिकारी भी अनदेखी कर रहे हैं.

सालों से जोहड़ों के बचाव के लिए संघर्ष कर रहे एकता एन्क्लेव कॉलोनी के प्रधान राम अवतार त्यागी का कहना है कि गांव के जोहड़ खसरा नम्बर 148, 149, 193/2 में जोहड़ की जमीन कुछ दबंग लोगों को अलॉट कर दी गई और बाकि बची जोहड़ की जमीन को इधर-उधर से कुछ लोग भी घेर रहे हैं. इससे गांव की सालों पुरानी धरोहरों का अस्तित्व खतरे में है.

कॉलोनी के प्रधान ने बताया कि वे साल 2010 से जोहड़ों के बचाव के लिए भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. जोहड़ों के बचाव के लिए काफी जद्दोजहद करने के बाद ही इनके चारों ओर दीवार बनाई गई है.

कोर्ट के आदेश की जा रही अनदेखी
प्रधान त्यागी का कहना है कि गांव के जोहड़ों के बचाव के लिए सालों तक संघर्ष करने के बाद भी इनका सौन्दर्यीकरण नहीं किया जा रहा है. जबकि उच्च न्यायालय ने 31 अक्टूबर 2013 में साफ़तौर पर निर्देश दिए है कि भूमाफियाओं को जोहड़ की जमीन का आवंटन रदद् कर इस जमीन को वापिस जोहड़ में मिला दिया जाए और फिर जोहड़ों के सौंदर्यीकरण किया जाए. इसके बावजूद जमीनी स्तर पर कुछ होता नजर नहीं आ रहा है. इससे कोर्ट के आदेश की अनदेखी हो रही है.

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नेता से लेकर अधिकारी सब को कर चुके शिकायत
प्रधान त्यागी ने बताया कि वे स्थानीय नेता से लेकर प्रधानमंत्री और संबंधित विभाग तक के अधिकारियों को जोहड़ों के अस्तित्व को बचाने हेतु शिकायत पत्र दे चुके हैं. बावजूद इसके अभी तक कुछ कार्रवाई होती नहीं दिख रही.

जहरीला हो रहा जोहड़ों का जल
गांव के लोगों का कहना है कि सालें से उपहार में मिलती आ रही ये धरोहरें अपना अस्तित्व खो चली हैं. रखरखाव के अभाव में इनका पानी काफी दूषित हो चुका है. यहां अक्सर अपनी प्यास बुझाने को आने वाले जीव पानी पीकर अपनी जान गवा रहे हैं.


बीमारी फैलने का सताता है डर
स्थानीय लोगों का कहना है कि जोहड़ों की स्थिति बेहद खराब हो गई है, यदि सरकार इनका रखरखाव व सौंदर्यीकरण नहीं करवा सकती तो अच्छा होगा कि इन जोहड़ों को खत्म करें, कम से कम यहां दिनों दिन गंदगी से फ़ैलने वाली बदबू से तो राहत मिलेगी. साथ ही, तमाम तरह की बीमारियों के फैलने का खतरा भी कम होगा.

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लोगों की मांग, सरकार ध्यान दे जोहड़ों पर
गांव के ज्यादातर लोग यही चाहते हैं कि सरकार इन धरोहरों के अस्तित्व को सुरक्षित बनाए रखने पर पूर्ण रूप से ध्यान दें. सरकार जोहड़ों को झील बनाने की बात तो करती है, लेकिन इन जोहड़ों के सौंदर्यीकरण को लेकर कुछ नहीं करती. इसलिए हमारी मांग है कि जल्द जोहड़ों का बचाव कर, इनका रखरखाव उचित प्रकार से किया जाए.

नेता व अधिकारियों की मिलीभगत के चलते गांव के कुछ भूमाफियाओं को जोहड़ की आवंटित की गई जमीन के आवंटन को रद्द करने व अवैध कब्ज़ों को रोकने के कोर्ट के निर्देश की अधिकारी भी अनदेखी कर रहे हैं.

सालों से जोहड़ों के बचाव के लिए संघर्ष कर रहे एकता एन्क्लेव कॉलोनी के प्रधान राम अवतार त्यागी का कहना है कि गांव के जोहड़ खसरा नम्बर 148, 149, 193/2 में जोहड़ की जमीन कुछ दबंग लोगों को अलॉट कर दी गई और बाकि बची जोहड़ की जमीन को इधर-उधर से कुछ लोग भी घेर रहे हैं. इससे गांव की सालों पुरानी धरोहरों का अस्तित्व खतरे में है.

कॉलोनी के प्रधान ने बताया कि वे साल 2010 से जोहड़ों के बचाव के लिए भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. जोहड़ों के बचाव के लिए काफी जद्दोजहद करने के बाद ही इनके चारों ओर दीवार बनाई गई है.

कोर्ट के आदेश की जा रही अनदेखी
प्रधान त्यागी का कहना है कि गांव के जोहड़ों के बचाव के लिए सालों तक संघर्ष करने के बाद भी इनका सौन्दर्यीकरण नहीं किया जा रहा है. जबकि उच्च न्यायालय ने 31 अक्टूबर 2013 में साफ़तौर पर निर्देश दिए है कि भूमाफियाओं को जोहड़ की जमीन का आवंटन रदद् कर इस जमीन को वापिस जोहड़ में मिला दिया जाए और फिर जोहड़ों के सौंदर्यीकरण किया जाए. इसके बावजूद जमीनी स्तर पर कुछ होता नजर नहीं आ रहा है. इससे कोर्ट के आदेश की अनदेखी हो रही है.

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नेता से लेकर अधिकारी सब को कर चुके शिकायत
प्रधान त्यागी ने बताया कि वे स्थानीय नेता से लेकर प्रधानमंत्री और संबंधित विभाग तक के अधिकारियों को जोहड़ों के अस्तित्व को बचाने हेतु शिकायत पत्र दे चुके हैं. बावजूद इसके अभी तक कुछ कार्रवाई होती नहीं दिख रही.

जहरीला हो रहा जोहड़ों का जल
गांव के लोगों का कहना है कि सालें से उपहार में मिलती आ रही ये धरोहरें अपना अस्तित्व खो चली हैं. रखरखाव के अभाव में इनका पानी काफी दूषित हो चुका है. यहां अक्सर अपनी प्यास बुझाने को आने वाले जीव पानी पीकर अपनी जान गवा रहे हैं.


बीमारी फैलने का सताता है डर
स्थानीय लोगों का कहना है कि जोहड़ों की स्थिति बेहद खराब हो गई है, यदि सरकार इनका रखरखाव व सौंदर्यीकरण नहीं करवा सकती तो अच्छा होगा कि इन जोहड़ों को खत्म करें, कम से कम यहां दिनों दिन गंदगी से फ़ैलने वाली बदबू से तो राहत मिलेगी. साथ ही, तमाम तरह की बीमारियों के फैलने का खतरा भी कम होगा.

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लोगों की मांग, सरकार ध्यान दे जोहड़ों पर
गांव के ज्यादातर लोग यही चाहते हैं कि सरकार इन धरोहरों के अस्तित्व को सुरक्षित बनाए रखने पर पूर्ण रूप से ध्यान दें. सरकार जोहड़ों को झील बनाने की बात तो करती है, लेकिन इन जोहड़ों के सौंदर्यीकरण को लेकर कुछ नहीं करती. इसलिए हमारी मांग है कि जल्द जोहड़ों का बचाव कर, इनका रखरखाव उचित प्रकार से किया जाए.

Intro:बुराडी गांव के जोहड़ वर्षों से अपने सौंदर्यीकरण की राह देख रहें हैं। उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद नेता से लेकर सम्बन्धित विभाग के अधिकारी जोहड़ों के रखरखाव व सौंदर्यीकरण करने को लेकर सुस्त रवैया अपनाये हुए हैं। नेता व अधिकारियों की मिलीभगत के चलते गांव के कुछ भूमाफियाओं को जोहड़ की आबंटित की गई जमीन के आबंटन को रद्द करने व अवैध कब्ज़ों को रोकने के कोर्ट के निर्देश की अधिकारी भी अनदेखी कर रहे हैं।


वर्षो से जोहड़ों के बचाव को सँघर्ष कर रहे एकता एन्क्लेव कॉलोनी के प्रधान राम अवतार त्यागी का कहना है कि गांव के जोहड़ खसरा नम्बर 148, 149, 193/2 में जोहड़ की जमीन कुछ दबंग लोगों को अलॉट कर दी गयी। और बाकि बची जोहड़ की जमीन को इधर उधर से कुछ लोग भी घेर ले रहे हैं। इससे गांव की वर्षो पुरानी धरोहरों का अस्तित्व खतरे में है।


कॉलोनी के प्रधान ने बताया कि वे वर्ष 2010 से जोहड़ों के बचाव के लिये भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई को लड़ाई लड़ रहे हैं। और इनके बचाव को काफी जद्दोजहद करने के बाद ही जोहड़ों के चारों ओर चार दीवारी की गयी है।


कोर्ट के आदेश की जा रही अनदेखी

प्रधान त्यागी का कहना है कि गांव के जोहड़ों के बचाव को वर्षो तक सँघर्ष करने के बाद भी इनका सौन्दर्यकरण नही किया जा रहा हैं। जबकि उच्च न्यायालय ने 31 अक्टूबर 2013 में साफ़तौर पर निर्देश दिए है कि भूमाफियाओं को जोहड़ की जमीन का आबंटन रदद् कर इस जमीन को वापिस जोहड़ में मिला दिया जाए और फिर जोहड़ों के सौंदर्यीकरण किया जाए।
लेकिन ज़मीनी स्तर पर कूछ होता नजर नही आ रहा है। इससे माननीय कोर्ट के आदेश की अनदेखी हो रही है।








Body:नेता से लेकर अधिकारी सब को कर चुके शिकायत

प्रधान त्यागी ने बताया कि वे स्थानीय नेता से लेकर प्रधानमंत्री व सम्बन्धित विभाग तक के अधिकारियों को जोहड़ों के अस्तित्व को बचाने हेतु शिकायत पत्र दे चुके हैं। बावजूद इसके अभी तक कुछ कार्रवाई होती नही दिख रही।


जहरीला हो रहा जोहड़ों का जल

गांव के लोगों का कहना है कि वर्षों से उपहार में मिलती आ रही ये धरोहरें अपना अस्तित्व खो चली हैं। वर्षो से यहां रखरखाव के अभाव में इनका पानी काफी दूषित हो चुका है। यहां अक्सर अपनी प्यास बुझाने को आने वाले जीव पानी पीकर अपनी जान गवा रहे हैं। जोहड़ों का पानी फ़ैलती गन्दगी व कचरे से काफी अधिक दूषित हो गया है।


बीमारी फैलने का सताता है डर।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जोहड़ों की स्थिति बेहद ही दयनीय हो गयी है यदि सरकार इनका रख रखाव व सौंदर्यीकरण नही करवा सकती तो अच्छा होगा कि इन जोहड़ों को खत्म करें, कम से कम यहां दिनों दिन गंदगी से फ़ैलने वाली बदबू से तो राहत मिलेगी। साथ ही, तमाम तरह की बीमारियों के फैलने का खतरा भी कम होगा ।



Conclusion:लोगों की मांग, सरकार ध्यान दे जोहड़ों पर

गांव के ज्यादातर लोग यही चाहते है कि सरकार इन धरोहरों के अस्तित्व को सुरक्षित बनाये रखने पर पूर्ण रूप से ध्यान दें। सरकार जोहड़ों को झील बनाने की बात तो करती है लेकिन इन जोहड़ों के सौंदर्यीकरण को लेकर कुछ नही करती। इसलिए हमारी मांग है कि जल्द जोहड़ों के बचाव को इनका रखरखाव उचित प्रकार से किया जाए।
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