नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल की कोर्ट में दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में ताहिर हुसैन व अन्य 10 आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया. हत्या से जुड़े इस मामले में पुलिस द्वारा ताहिर को मुख्य आरोपी बताया गया है, क्योंकि घटना के समय ताहिर ने अपने मकान को अन्य अपने साथियों को उपयोग करने के लिए दिया था ताकि वारदात को अंजाम दिया जा सके.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने आरोपी ताहिर पर कई एफआईआर दर्ज की हुई है. इसमें से एक मामले में गवाह के रूप में क्राइम ब्रांच से एसआई ईश्वर सिंह को बुलाया गया था. उसने कोर्ट को बताया कि दिल्ली दंगों को दौरान ताहिर और उसके साथियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले मकान व एक अन्य मकान की फोटोग्राफी करके उसने ही सबूत इकट्ठा किए थे. ये सारी तस्वीरें मामले से जुड़ी केस फाइल में सलग्न हैं, जिनकी गवाह द्वारा पहचान भी की गई है.
वहीं, बचाव पक्ष के वकील राजीव मोहन ने गवाह से मामले से संबंधित जुड़े दोनों मकानों की तस्वीरों से संबंधित सवाल पूछे. वकील ने पूछा कि वो कितनी मंजिल का मकान है और उसके आसपास कितने मकान बने हैं. साथ ही तस्वीरें लेने के वक्त मकान खुला था या बंद था. इस पर गवाह ने कोर्ट को बताया कि वो ऊंचा मकान है और तीनों ओर से अन्य मकानों से घिरा हुआ है. मकान के आगे 70 से 80 फीट की रोड है. हालांकि वह मकान की चौड़ाई नहीं नहीं बता पाया.
बचाव पक्ष ने गवाह से यह भी पूछा कि भारत वाटिका में कितना और कैसा सामान था और उसकी पार्किंग कौन सी मंजिल पर है, जिस पर न्यायाधीश पुलस्त्य ने बचाव पक्ष से बेवजह के सवाल पूछने के लिए मना करते हुए कहा कि गवाह ने सिर्फ तस्वीर खींची है. ये उस संपत्ति के मालिक या इस केस के जांच अधिकारी नहीं हैं. इसलिए कोई भी काल्पनिक सवाल न पूछे जाएं.
वकील ने कोर्ट को बताया कि फोटो से संबंधित जो सर्टिफिकेट पुलिस द्वारा जमा करवाया गया है वो विश्वसनीय सबूत नहीं है. इस पर गवाह ने सभी जरूरी फोटो व अन्य साक्ष्यों के बारे में कोर्ट को बताया व सबूतों की पहचान भी की. इस केस में दूसरे गवाह जो कोर्ट में उपस्थित थे, उनकी गवाही किसी कारणवश नहीं हो पाई. इसलिए सभी गवाहों को अगली तारीख पर उपस्थित होने के निर्देश दिए गए.
वहीं दिल्ली दंगे में हत्या से जुड़े एक अन्य मामले में फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के डॉक्टर सरबजीत सिंह को भी गवाही के लिए बुलाया गया. इसमें डॉक्टर ने बताया कि उसी ने मृतक के कपड़े, डीएनए सैंपल व अन्य सभी जरूरी जांच की थी. इस मामले में एफएसएल रोहिणी के डॉक्टर की गवाही को बहुत अहम माना जा रहा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि मृतक के सभी प्रकार के बायोलॉजिकल साक्ष्य की जांच के विषय में गवाही बहुत जरूरी होती है.
उन्हें रोहिणी दिल्ली एफएसएल लैबोरेटरी से बुलाया गया था, ताकि मृतक से जुड़े सभी साक्ष्यों की कड़ियों को जोड़ा जा सके. इस दौरान उन्होंने रिपोर्ट के माध्यम से बताया कि उस समय मृतक ने कौन से कपड़े पहने थे. साथ ही उन्होंने उन सभी कपड़ों और उनपर लगे खून की जांच, मिलान व मृतक के अंदरूनी शारीरिक साक्ष्यों के बारे में भी बताया. हत्या से जुड़े तीन पार्सल डिब्बे में मृतक से जुड़ी चीजें उस समय एफएसएल द्वारा प्राप्त की गई थी, जिनको कोर्ट में डॉक्टर द्वारा पहचान लिया गया. हत्या से जुड़े इस मामले में करावल नगर थाने के एएसआई जुनैद द्वारा कोर्ट में मृतक से जुड़ी अन्य वस्तुएं पेश की गई. वहीं एफएसएल के डॉक्टर ने इन चीजों को देखकर कोर्ट में उनसे संबंधित बयान दर्ज कराए और सभी चीजों की पहचान भी की.
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इस दौरान बचाव पक्ष की और से एडवोकेट महमूद प्राचा पेश हुए. उन्होंने एफएसल से गवाही देने आए डॉक्टर से मृतक के खून के सैंपल, डीएनए, कपड़े व उनपर लगे खून के मिलान व अन्य कई वस्तुओं की जांच से संबंधित कई सवाल किए. उन्होंने डॉक्टर से पूछा कि एफएसल ने उस समय जो जांच की थी उससे संबंधित कई कागजात कोर्ट में क्यों नहीं पेश किए गए. क्या आपने वह कागजात तैयार नहीं किए थे? इसपर डॉक्टर ने जवाब दिया कि सभी जरूरी दस्तावेज तैयार है लेकिन बिना वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश के उन्हें पेश नहीं किया जा सकता है. प्राचा द्वारा कई काल्पनिक प्रश्न पूछने की कोशिश भी गयी लेकिन अतरिक्त सत्र न्यायाधीश ने उन्हें ऐसे प्रश्न पूछने पर सख्त लहजे में मना किया. अब इस मामले में अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी, जिसपर एफएसल डॉक्टर को गवाही के दौरान फिर से पेश होने के निर्देश दिये गए हैं.
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