ETV Bharat / state

फिरोजशाह कोटला स्टेडियम का नाम बदलने पर मुस्लिम बुद्धिजीवियों का विरोध, बोले साजिश हो रही है

मुस्लिम समुदाय के लोग इसे केंद्र सरकार की एक सोची समझी साजिश बता रहे हैं. मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कहा कि सरकार को पुरानी चीजों का नाम बदलने के बजाए, नई चीजें बनाकर उनका नामकरण जेटली के नाम पर करना चाहिए था.

स्टेडियम का नाम बदलने पर मुस्लिम बुद्धिजीवियों का विरोध
author img

By

Published : Sep 8, 2019, 12:01 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में फिरोज शाह कोटला स्टेडियम का नाम बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली के नाम पर रखने की कवायद अभी ढंग से शुरू भी नहीं हुई थी कि मुस्लिम बुद्धिजियों ने इसे लेकर कड़ा विरोध जताना शुरू कर दिया है.

फिरोजशाह कोटला स्टेडियम का नाम बदलने पर मुस्लिम बुद्धिजीवियों का विरोध

मुस्लिम समुदाय के लोग इसे केंद्र सरकार की एक सोची समझी साजिश बता रहे हैं. मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कहा कि सरकार को पुरानी चीजों का नाम बदलने के बजाए, नई चीजें बनाकर उनका नामकरण जेटली के नाम पर करना चाहिए था.

गौरतलब है कि पिछले दिनों BJP के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के निधन के बाद DDCA ने फिरोजशाह कोटला स्टेडियम का नाम जेटली के नाम पर रखने का प्रस्ताव पास किया था. आने वाली 12 सितंबर को होने वाले एक कार्यक्रम में इसे विधिवत किया जाना है.

बीजेपी के सीनियर लीडर भले ही दुनिया के अलविदा कह चुके हैं, लेकिन अरुण जेटली का नाम क्रिकेट प्रेमी के तौर पर हमेशा जाना जाएगा. अरुण जेटली एक लंबे समय तक दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

इतना ही नहीं फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के कायाकल्प को भी जेटली की ही देन माना जाता है. बीमारी से जूझ रहे बीजेपी नेता की मौत के बाद DDCA के चेयरमैन रजत शर्मा ने स्टेडियम का नाम बदलकर अरुण जेटली के नाम पर किये जाने का न केवल ऐलान किया बाकायदा इसके लिए डीडीसीए की तरफ से एक प्रस्ताव भी पास कराया.

फिरोजशाह स्टेडियम का नाम जेटली के नाम पर रखने के लिए आगामी 12 सितंबर को एक कार्यक्रम भी किया जा रहा है.

जमीअत उलेमा ए हिंद के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने कहा कि यह सिलसिला आज से नहीं बल्कि जब से यह सरकार आई है तब से चल रहा है. सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए इस तरह की चीज है कर रही है देश में रोजगार का मामला हो, महंगाई का मामला देख लो,देश किस कगार पर खड़ा हुआ है,इन तमाम चीजों को देखते हुए लगता है कि सरकार अपनी नाकामी छिपा रही है.

'इस सरकार ने नया क्या बनाया है'
शमा एजुकेशन सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिर्ज़ा शाहिद चंगेजी ने कहा कि यह तो सरकार की हठधर्मी है, जैसा मन कर रहा है वैसा कर रही है, छह साल होने को हैं आप बताइए क्या नया बनाया है, मुसलमानों ने इस देश को अपना सब कुछ दिया है, इमारतें बनाई हैं किले बनाये हैं, आप बनाये. नई स्कीम लाएं उनका नाम रख लें.

एपीजे कलाम साहब ने मिसाइल बनाई हैं ,उनके नाम पर क्यों नहीं रखते. आप अर्जुन रख रहे हैं, क्यों रख रहे हैं जब वह उनकी देन है तो उनके नाम पर रखिये.

'ये मुस्लिमों से खुली दुश्मनी का प्रदर्शन है'
मुस्लिम बुद्धिजीवी डॉ.फहीम बेग ने कहा कि एक तरफ आप विश्वास में लेने की बात करते हैं, दूसरी तरफ गलियों के, शहरों के और इमारतों के नाम बदले जा रहे हैं. इस तरह से यह मुसलमानों से खुली दुश्मनी का प्रदर्शन है.

उन्होंने ये भी कहा कि मुसलमान के नाम पर जो इमारतें हैं ये उनके टारगेट पर हैं. उन्होंने कहा कि क्यों आप पुराने नामों से छेड़छाड़ करके इतिहास के पन्नों को फाड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
कुछ लोगों का ये भी कहना है कि सरकार हजारों करोड़ खर्च करके मूर्तियां बनवा रही है, अगर उनको अपने नेताओं से प्यार है तो फिर पुरानी इमारतों के नाम बदलने के बजाय उनके नाम पर नई चीजें बनाकर समर्पित की जाएं.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में फिरोज शाह कोटला स्टेडियम का नाम बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली के नाम पर रखने की कवायद अभी ढंग से शुरू भी नहीं हुई थी कि मुस्लिम बुद्धिजियों ने इसे लेकर कड़ा विरोध जताना शुरू कर दिया है.

फिरोजशाह कोटला स्टेडियम का नाम बदलने पर मुस्लिम बुद्धिजीवियों का विरोध

मुस्लिम समुदाय के लोग इसे केंद्र सरकार की एक सोची समझी साजिश बता रहे हैं. मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कहा कि सरकार को पुरानी चीजों का नाम बदलने के बजाए, नई चीजें बनाकर उनका नामकरण जेटली के नाम पर करना चाहिए था.

गौरतलब है कि पिछले दिनों BJP के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के निधन के बाद DDCA ने फिरोजशाह कोटला स्टेडियम का नाम जेटली के नाम पर रखने का प्रस्ताव पास किया था. आने वाली 12 सितंबर को होने वाले एक कार्यक्रम में इसे विधिवत किया जाना है.

बीजेपी के सीनियर लीडर भले ही दुनिया के अलविदा कह चुके हैं, लेकिन अरुण जेटली का नाम क्रिकेट प्रेमी के तौर पर हमेशा जाना जाएगा. अरुण जेटली एक लंबे समय तक दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

इतना ही नहीं फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के कायाकल्प को भी जेटली की ही देन माना जाता है. बीमारी से जूझ रहे बीजेपी नेता की मौत के बाद DDCA के चेयरमैन रजत शर्मा ने स्टेडियम का नाम बदलकर अरुण जेटली के नाम पर किये जाने का न केवल ऐलान किया बाकायदा इसके लिए डीडीसीए की तरफ से एक प्रस्ताव भी पास कराया.

फिरोजशाह स्टेडियम का नाम जेटली के नाम पर रखने के लिए आगामी 12 सितंबर को एक कार्यक्रम भी किया जा रहा है.

जमीअत उलेमा ए हिंद के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने कहा कि यह सिलसिला आज से नहीं बल्कि जब से यह सरकार आई है तब से चल रहा है. सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए इस तरह की चीज है कर रही है देश में रोजगार का मामला हो, महंगाई का मामला देख लो,देश किस कगार पर खड़ा हुआ है,इन तमाम चीजों को देखते हुए लगता है कि सरकार अपनी नाकामी छिपा रही है.

'इस सरकार ने नया क्या बनाया है'
शमा एजुकेशन सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिर्ज़ा शाहिद चंगेजी ने कहा कि यह तो सरकार की हठधर्मी है, जैसा मन कर रहा है वैसा कर रही है, छह साल होने को हैं आप बताइए क्या नया बनाया है, मुसलमानों ने इस देश को अपना सब कुछ दिया है, इमारतें बनाई हैं किले बनाये हैं, आप बनाये. नई स्कीम लाएं उनका नाम रख लें.

एपीजे कलाम साहब ने मिसाइल बनाई हैं ,उनके नाम पर क्यों नहीं रखते. आप अर्जुन रख रहे हैं, क्यों रख रहे हैं जब वह उनकी देन है तो उनके नाम पर रखिये.

'ये मुस्लिमों से खुली दुश्मनी का प्रदर्शन है'
मुस्लिम बुद्धिजीवी डॉ.फहीम बेग ने कहा कि एक तरफ आप विश्वास में लेने की बात करते हैं, दूसरी तरफ गलियों के, शहरों के और इमारतों के नाम बदले जा रहे हैं. इस तरह से यह मुसलमानों से खुली दुश्मनी का प्रदर्शन है.

उन्होंने ये भी कहा कि मुसलमान के नाम पर जो इमारतें हैं ये उनके टारगेट पर हैं. उन्होंने कहा कि क्यों आप पुराने नामों से छेड़छाड़ करके इतिहास के पन्नों को फाड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
कुछ लोगों का ये भी कहना है कि सरकार हजारों करोड़ खर्च करके मूर्तियां बनवा रही है, अगर उनको अपने नेताओं से प्यार है तो फिर पुरानी इमारतों के नाम बदलने के बजाय उनके नाम पर नई चीजें बनाकर समर्पित की जाएं.

Intro:दिल्ली के ऐतिहासिक फिरोज़ शाह कोटला स्टेडियम का नाम भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के नाम पर रखने की क्वायद अभी ढंग से शुरू भी नहीं हुई थी कि मुस्लिम बुद्धिजियों ने इसे लेकर कड़ा विरोध जताते हुए इसे मुसलमानों के खिलाफ केंद्र सरकार की एक सोची समझी साजिश बताया. मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कहा कि सरकार को पुरानी चीजों का नाम बदलने के बजाए, नई चीजें बनाकर उनका नामकरण जेटली के नाम पर रख ले.




Body:
गौरतलब है कि पिछले दिनों भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली की मौत के बाद डीडीसीए ने फोरोजशाह कोटला स्टेडियम का नाम जेटली के नाम पर रखने का प्रस्ताव पास किया था, आने वाली 12 सितंबर को होने वाले एक कार्यक्रम में विधिवत किया जाना है.
वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली को न केवल क्रिकेट प्रेमी कहा जाता है बल्कि वह एक लंबे समय तक दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इतना ही नहीं फ़िरोजशाह कोटला स्टेडियम के कायाकल्प को भी जेटली की ही देन माना जाता है. बीमारी से जूझ रहे भाजपा नेता की मौत के बाद डीडीसीए के चेयरमैन रजत शर्मा ने स्टेडियम का नाम बदलकर अरुण जेटली के नाम पर किये जाने का न केवल ऐलान किया बाकायदा इसके लिए डीडीसीए की तरफ से एक प्रस्ताव भी पास कर दिया. फिरोजशाह स्टेडियम का नाम जेटली के नाम पर रखने क्व लिए आगामी 12 सितंबर को एक कार्यक्रम भी किया जा रहा है.

जमीअत उलेमा ए हिंद के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने कहा कि यह सिलसिला आज से नहीं बल्कि जब से यह सरकार आई है तब से चल रहा है. सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए इस तरह की चीज है कर रही है देश में रोजगार का मामला हो, महंगाई का मामला देख लो,देश किस कगार पर खड़ा हुआ है,इन तमाम चीजों को देखते हुए लगता है कि सरकार अपनी नाकामी छुपा रही है.


शमा एजुकेशन सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिर्ज़ा शाहिद चंगेजी ने कहा कि यह तो सरकार की हठधर्मी है, जैसा मन कर रहा है वैसा कर रही है, छह साल होने को हैं आप बताइए क्या नया बनाया है, मुसलमानों ने इए देश को अपना सबकुछ दिया है, इमारतें बनाई हैं किले बनाये हैं, आप बनाये. नई स्कीम लाएं उनका नाम रख लें.एपीजे कलाम ने मिसाइल बनाई हैं ,उनके नाम पर क्यों नहीं रखते. आप अर्जुन रख रहे हैं, क्यों रख रहे हैं जब वह उनकी देन है तो उनके नाम पर रखिये.

मुस्लिम बुद्धिजीवी डॉ.फहीम बेग ने कहा कि एक तरफ आप विश्वास में लेने की बात करते हैं, दूसरी तरफ गलियों के, शहरों के और इमारतों के नाम बदले जा रहे हैं.इस तरह से यह मुसलमानों से खुली दुश्मनी का प्रदर्शन है.आज आप मुसलमान के नाम पर जो तारीखी इमारतें हैं यह उनके टारगेट पर हैं.उन्होंने कहा कि क्यों आप पुराने नामों से छेड़छाड़ करके इतिहास के पन्नों को फाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. मैं पूछना चाहता हूँ कि सरकार हजारों करोड़ खर्च करके मूर्तियां बनवा रही है, अगर आप
अपने नेता को प्यार करते हैं तो फिर पुरानी इमारतों के नाम बदलने के बजाय उनके नाम पर नई चीजें बनाकर समर्पित की जाएं, किसने रोक है, ऐसा करने से शायद ही किसी को कोई ऐतराज हो.


Conclusion:बाईट 1
मौलाना आबिद कासमी
अध्यक्ष, जमीअत उलेमा ए हिंद दिल्ली

बाईट 2
मिर्ज़ा शाहिद चंगेजी
अध्यक्ष, शमा एजुकेशनल सोसाइटी

बाईट 3
डॉ.फहीम बेग
प्रमुख समाजसेवी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.