नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी जिले के उस्मानपुर इलाके में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द दिल्ली प्रदेश की एक बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में आगामी 5 अगस्त को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले अमन एकता सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लिया गया.
इस मौके पर जमीयत के वक्ताओं ने कहा कुछ सालों से ऐसा संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि यह देश सिर्फ बहुसंख्यकों का है और बाकी लोगों का इस मुल्क के मामले में कोई हक नहीं. इस तरह की चीजें देश से अमन भाईचारे को मिटा रही हैं और आये दिन मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं देश का माहौल बिगाड़ रही हैं.
5 अगस्त को दिल्ली में अमन एकता सम्मेलन
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की एक बैठक न्यू उसमानपुर इलाके में स्थित खत वाली मस्जिद, मदरसा फलाहे दारेन के प्रांगण में आयोजित की गई. बैठक में आगामी 5 अगस्त को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले अमन एकता सम्मेलन की तैयारियों और दिल्ली के हिसाब से दी जाने वाली जिम्मेदारियों पर चर्चा की गई.
'प्रधानमंत्री करते हैं जुमलेबाजी'
दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष मौलाना मौ. आबिद कासमी ने कहा कि आज पूरा देश अमन पसंद लोग यह महसूस कर करे हैं उनके अंदर बैचेनी है. सड़कों पर चलना-फिरना दूभर हो गया है. जमीयत उलेमा-ए-हिन्द और मजहब-ए-इस्लाम अमन पसंद है. प्रधानमंत्री की बातें सिर्फ जुमले होती हैं जबकि उसपर अमल कुछ भी नहीं होता है.
'मॉब लिंचिंग देश की अमन शांति के खिलाफ'
मौलाना ने कहा कि पिछले कुछ सालों से लोगों के जरिये यह संदेश पहुंचाने की कोशिश की जा रही है कि यह देश बहुसंख्यकों का है. बाकी लोगों को इस देश के मामले में बोलने का कोई हक नहीं है. जमीयत उलेमा-ए-हिन्द देशवासियों को अमन भाईचारे का संदेश सदियों से देते आ रहे हैं. देश में जो मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं हो रही हैं वह देश की अमन शांति के खिलाफ हैं. कभी कानून बनाने की धमकी दी जाती है, कभी पार्लियामेंट में कानून पास किया जाता है. इस तरह की चीजों से क्या देश का अमन कायम रह पायेगा.