नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत से तबलीगी जमात के सदस्यों को रिहा किए जाने के मामले में जमीयत उलेमा हिंद ने दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से माफी मांगने की मांग की है.
तबलीगी जमात को बदनाम करने की कोशिश
तबलीगी जमात के सदस्यों को कोरोना काल में इस महामारी का संवाहक बताते हुए कार्रवाई कर जेल भेजे जाने के मामले में दिल्ली की अदालत से बरी होने बाद मुस्लिम समुदाय में दिल्ली सरकार के प्रति गहरा आक्रोश व्याप्त है. जमीयत उलेमा हिंद के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि यकीनन इस मामले में कोर्ट से जमात के सदस्यों को बरी किए जाने के बाद यह बात साफ हो गई है कि दिल्ली सरकार ने केंद्र के इशारे पर तबलीगी जमात को न केवल बदनाम करने की कोशिश की बल्कि जमात के सदस्यों को क्वारंटीन करने के नाम पर भी उत्पीड़ित किया गया.
माफी मांगें मुख्यमंत्री केजरीवाल
मौलाना आबिद ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को माफी मांगनी चाहिए. केंद्र के इशारे पर तबलीगी जमात को साजिश के तहत निशाना बनाया गया है. हम न्यायपालिका के शुक्र गुजार हैं कि उन्होंने इंसाफ से काम लिया है. अगर ऐसा नहीं होता तो न जाने जमात के साथियों के साथ और क्या-क्या बर्ताव किया जाता. पहले ही दुनिया के सामने जमात के सदस्यों को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है.
दिल्ली दंगों के पीड़ितों को नहीं मिला मुआवजा
मौलाना आबिद ने दिल्ली दंगों में पीड़ितों को मिलने वाली सहायता राशि पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि इस पर भी जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ. आज भी पीड़ित मुआवजे के इंतजार में हैं. इस मामले पर शमा एजुकेशनल एंड पॉलिटिकल सोसाइटी के अध्यक्ष हाजी शाहिद चंगेजी ने कहा यकीनन ऊपर के दबाव के चलते केजरीवाल ने तबलीगी जमात पर सख्ती बरती और जमात को निशाना बनाया गया. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वोट के समय तो नजर नहीं आता लेकिन बाद में मुसलमान आतंकवादी लगने लगते हैं. दहशतगर्द लगने लगते हैं.
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सरकार के कदम से मुसलमानों ही नहीं भारतीयों का नुकसान
उन्होंने कहा कि सरकार ने तीन चीजों पर बात कही चाहे वह CAA/NRC के खिलाफ होने वाला विरोध प्रदर्शन हो, तबलीगी जमात का मामला और अब किसान आंदोलन. क्या सब मामले मुसलमानों से ही जुड़े हुए हैं. जबकि ऐसा नहीं है यह सभी मामले भारतीयों से जुड़े हैं. सरकार यह क्यों नहीं समझ रही है. सरकार को यह समझना चाहिए कि इस तरह की चीजों से मुसलमानों का नहीं बल्कि भारत के लोगों का नुकसान होता है. देश में मुसलमान महज 20 प्रतिशत हैं. सरकार को समझना चाहिए किसी भी चीज का नुकसान मुसलमानों से ज्यादा गैर मुस्लिमों का होता है. जिन लोगों के दम पर सरकार बनी है वह उन्हीं लोगों का नुकसान कर रही है. बेरोजगारी बढ़ी हुई है. हर कारोबारी परेशान है. ऐसे में सरकारों को न केवल सोचना चाहिए बल्कि उन जगहों पर जाकर काम करना चाहिए.