नई दिल्ली: डीटीसी बसों में कैमरे और पैनिक बटन लगाने की केजरीवाल सरकार की योजना 4 साल बाद भी अधर में ही लटकी हुई है. साल 2015-16 के वित्तीय बजट में इसकी घोषणा की गई थी.
चौथी बार मांगे गए आवेदन
बताया जा रहा है कि बार-बार प्रपोजल मांगने के बाद भी कोई एजेंसी इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. हाल ही में परिवहन विभाग ने चौथी बार इसके लिए आवेदन मांगे हैं. दरअसल, महिला यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार की ओर से सभी बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का फैसला किया गया था. सभी बसों में निर्भया फंड से सीसीटीवी कैमरे लगने थे. जिसके लिए 140 करोड़ रुपये आवंटित करने की बात कही गई थी. ट्रायल बेसिस पर 200 बसों में सीसीटीवी लगवाए भी गए, लेकिन उसके बाद योजना ठंडे बस्ते में ही चली गई.
एजेंसियों ने नहीं दिखाई रुचि
बड़ा प्रोजेक्ट होने के नाते सबसे पहले इसमें यहां की एजेंसियों से डिटेल प्रपोजल तैयार कराया जाता है. इस रिपोर्ट में बताया जाता है कि प्रोजेक्ट को किस-किस तरह अमल में लाया जाएगा. इन्हीं प्रपोजल के आधार पर योजना को आगे बढ़ाया जाता. हालांकि बार-बार आवेदन मांगने के बावजूद आज तक किसी एजेंसी ने इसमें अपनी रुचि नहीं दिखाई. इस बीच हर बार सरकार सीसीटीवी के नाम पर सुर्खियां जरूर बटोरती रही.
कैलाश गहलोत ने नहीं दिया जबाब
दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री और डीटीसी के चेयरमैन कैलाश गहलोत से जब इसी संबंध में सवाल किया गया तब खबर लिखे जाने तक उनका कोई जवाब नहीं आया. वहीं परिवहन विभाग के स्पेशल कमिश्नर के के दहिया से भी इस विषय में पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क किया गया. हालांकि वहां से भी कुछ जवाब नहीं मिल पाया.
बता दें कि तत्कालीन कमिश्नर वर्षा जोशी ने अप्रैल महीने तक बसों में कैमरे, जीपीएस और पैनिक बटन लग जाने की बात कही थी. वहीं परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत भी कई बार कैमरे और जीपीएस की बात कह चुके है. सच्चाई सबके सामने है. अब देखना यह है कि विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल सरकार अपनी इस योजना को जमीन पर ला पाती है या नहीं.