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हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा-साफ-साफ बताएं कि असोला और सेंट्रल रिज में अतिक्रमण हटा कि नहीं

Delhi High Court: असोला भाटी और सेंट्रल रिज इलाके से अतिक्रमण से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वन विभाग से कहा कि साफ-साफ बताएं कि अतिक्रमण हटाया गया है कि नहीं?

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 11, 2024, 8:51 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के वन विभाग से कहा कि वे साफ-साफ बताएं कि असोला भाटी और सेंट्रल रिज इलाके से अतिक्रमण हटाया गया है कि नहीं. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील से इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.

दरअसल, सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वन विभाग की ओर से पेश वकील ने कहा कि कुछ इलाकों में याचिकाकर्ताओं को अतिक्रमण हटाने पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश मिल चुका है. उन्होंने कोर्ट से कहा कि वे हलफनामा में उन मामलों का भी जिक्र करेंगे, जिनमें कोर्ट से अतिक्रमण हटाने पर अंतरिम रोक लगी हुई है. तब कोर्ट ने कहा कि जिन पर अंतरिम रोक लगी है उन्हें अतिक्रमण मुक्त किया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ेंः सुनहरी बाग मस्जिद को लेकर दायर याचिका सुनवाई योग्य है कि नहीं, इस पर 19 को सुनवाई

तब कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी कैलाश वासदेव ने कहा कि अगर कार्यपालिका की इच्छा नहीं होगी तो कोर्ट काफी कुछ नहीं कर सकती है. कोर्ट अवमानना के लिए उन्हें कहां तक खींचकर लाती रहेगी. इसके पहले 7 दिसंबर 2023 को कोर्ट ने दिल्ली के असोला भाटी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में ‘जंगल ऑन व्हील्स’, ’ साइक्लोथॉन ’ और ’ वाकाथॉन’ आयोजित करने पर अगले आदेश तक रोक लगा दिया था.

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने संबंधित उप वन संरक्षक का एक हलफनामे का जिक्र किया था, जिसमें रिज के अंदर सड़क बनाने के पहले रिज मैनेजमेंट बोर्ड की अनुमति नहीं ली गई थी. इस पर जस्टिस जसमीत सिंह ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि दिल्ली के वन उसके नागरिकों का है और वन विभाग अपनी मर्जी नहीं चला सकता है.

यह भी पढ़ेंः बृजभूषण सिंह के खिलाफ पॉक्सो मामले में दिल्ली पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट पर फैसला टला

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के वन विभाग से कहा कि वे साफ-साफ बताएं कि असोला भाटी और सेंट्रल रिज इलाके से अतिक्रमण हटाया गया है कि नहीं. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील से इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.

दरअसल, सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वन विभाग की ओर से पेश वकील ने कहा कि कुछ इलाकों में याचिकाकर्ताओं को अतिक्रमण हटाने पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश मिल चुका है. उन्होंने कोर्ट से कहा कि वे हलफनामा में उन मामलों का भी जिक्र करेंगे, जिनमें कोर्ट से अतिक्रमण हटाने पर अंतरिम रोक लगी हुई है. तब कोर्ट ने कहा कि जिन पर अंतरिम रोक लगी है उन्हें अतिक्रमण मुक्त किया जाना चाहिए.

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तब कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी कैलाश वासदेव ने कहा कि अगर कार्यपालिका की इच्छा नहीं होगी तो कोर्ट काफी कुछ नहीं कर सकती है. कोर्ट अवमानना के लिए उन्हें कहां तक खींचकर लाती रहेगी. इसके पहले 7 दिसंबर 2023 को कोर्ट ने दिल्ली के असोला भाटी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में ‘जंगल ऑन व्हील्स’, ’ साइक्लोथॉन ’ और ’ वाकाथॉन’ आयोजित करने पर अगले आदेश तक रोक लगा दिया था.

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने संबंधित उप वन संरक्षक का एक हलफनामे का जिक्र किया था, जिसमें रिज के अंदर सड़क बनाने के पहले रिज मैनेजमेंट बोर्ड की अनुमति नहीं ली गई थी. इस पर जस्टिस जसमीत सिंह ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि दिल्ली के वन उसके नागरिकों का है और वन विभाग अपनी मर्जी नहीं चला सकता है.

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