नई दिल्ली: दिल्ली दंगे से जुड़े एक मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल की कोर्ट में चल रही थी. दयालपुर थाने से हेड कांस्टेबल निकेश कुमार को गवाही के लिए बुलाया गया था. गवाह ने कोर्ट के पूछने पर बताया कि 25 फरवरी 2020 को दंगे वाले समय वो सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे तक आपातकाल ड्यूटी पर था. सुबह अचानक कॉल आने पर वो और थाने के अन्य वरिष्ठ अधिकारी के साथ वारदात वाले स्थान पर पहुंचे.
गवाह बताया कि उस समय राजधानी पब्लिक स्कूल के पास 150 से 200 दंगा करने वालों की भीड़ थी. भीड़ ने पुलिस को देखते ही पत्थर फेंकने शुरू कर दिए. जिस समय ये वारदात हुई उस समय फैजल फारूक भी घटनास्थल पर था. गवाह ने बताया कि वह फैजल को दंगाइयों से बात करते हुए देखा था. उसके बात करने के दौरान ही अचानक दंगा भड़क गया. वहां मौजूद भीड़ के पास पेट्रोल बम, लाठी डंडे, पत्थर आदि थे.
कोर्ट ने पुलिस के गवाह से पूछा दंगा भड़कने पर पुलिस ने क्या किया? हवलदार निकेश ने बताया कि एसएचओ साहब ने माइक से सभी लोगों को वहां से चले जाने और कानून हाथ में ना लेने की हिदायत दी. गवाह ने बताया कि उसे क्राइम ब्रांच द्वारा भी नोटिस प्राप्त हुआ था. इसके बाद क्राइम ब्रांच ने उसे आरोपियों की फोटो व वीडियो दिखाई थी. तब उसके द्वारा चार आरोपियों की पहचान की गई थी.
कोर्ट के काम पर प्रश्न चिह्न लगाना बर्दाश्त नहीं: कोर्ट व पब्लिक प्रोसिक्यूटर द्वारा गवाह से सवाल किए जा रहे थे, तभी अचानक से एक आरोपी के वकील महमूद प्राचा ने कोर्ट की कार्यवाही के दौरान बेवजह सवाल करने शुरू कर दिए, जिसके बाद कोर्ट ने आपत्ति दर्ज कर कहा कि आपको मौका दिया जाएगा. आप इस तरह से कोर्ट का समय बर्बाद ना करें. वकील ने गुस्से में कहा कि समय तो वैसे भी कोर्ट द्वारा ही काफी खराब किया जा रहा है आप मेरी आपत्ति दर्ज करें. कड़कड़डुमा कोर्ट के अतरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल ने वकील महमूद प्राचा को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि कोर्ट अपने हिसाब से कार्य करेगा, किसी के कहने से नहीं. जानबूझकर कोर्ट के काम पर प्रश्नचिन्ह लगाना गलत है. कोर्ट ने अपने आदेश में वकील द्वारा की गई हरकत के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश को शिकायत की है.
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