नई दिल्ली: जिस किराया बढ़ोतरी के बाद दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार दिल्ली के ऑटो चालकों का दिल जीतने की कोशिश कर रही थी, उसी किराया बढ़ोतरी के बाद चालकों ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
परिणाम भुगतने की चेतावनी दी
आरोप है कि किराया बढ़ोतरी के नाम पर सिर्फ बेवकूफ बनाया गया है. चालकों ने चुनाव के दौरान किए गए वादों की एक लिस्ट भी बना ली है, जिसमें उचित कार्यवाही की मांग की जा रही है. ऐसा नहीं करने पर इसका परिणाम भुगतने की भी चेतावनी दी गई है.
सोमवार को स्वराज इंडिया के आव्हान पर मुख्यमंत्री आवास तक निकाली गई चेतावनी रैली में बड़ी संख्या में ऑटो चालकों की मौजूदगी रही. यहां चालकों ने ऐलान किया कि आगामी विधानसभा चुनाव तक या तो उनसे किए गए वादे पूरे कर दिए जाएं या फिर 'आप' इसका अंजाम सोच लें. उन्होंने साफ किया कि अपनी तरफ से कोई मांग नहीं जोड़ी है, बल्कि ये बस उन्ही वादों को दोहरा रहे हैं, जो चुनाव से पहले किए गए थे.
जीपीएस के नाम पर लूट
ऑटो चालकों ने आरोप लगाया कि आज उनसे जीपीएस की सिम के नाम पर लूट की जा रही है. जिस जीपीएस की अनिवार्यता फिर सरकार द्वारा खत्म कर दी गई है, केजरीवाल सरकार उसी को लागू करने पर अड़ी हुई है. इससे भी चालकों को कोई परेशानी नहीं, लेकिन वो कहते हैं कि इसके नाम पर लूट की जा रही है और इसमें उनकी खून पसीने की कमाई जा रही है.
'किराया बढ़ोतरी महज छलावा'
किराया बढ़ोतरी को भी ये लोग महज छलावा ही बता रहे हैं. बताया जा रहा है कि किराया बढ़ोतरी भोले-भाले ऑटो चालकों को बेवकूफ बनाने का तरीका है. इसमें न तो अभी कोई गैजेट नोटिफिकेशन निकाला गया है और न ही मीटर बदलने के लिए कोई प्रावधान किया गया है. यह तक कि मीटर बदलवाने के लिए अभी कोई रेट तक निर्धारित नहीं किए गए हैं. ऐसे में ऑटो चालक तो परेशान हैं ही, साथ ही वो लोग भी परेशान हैं जो इनमें सफर करते हैं.
चुनावी वादे नहीं हुए पूरे
चालकों का कहना है कि चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी द्वारा किया गया एक भी वादा पूरा नहीं किया गया है. यहां तक कि जिस भ्रष्टाचार को चुनाव से पहले खत्म करने की बात की गई थी, वही भ्रष्टाचार केजरीवाल सरकार के राज में और ज्यादा बढ़ गया है. ऑटो चालकों से संवाद की बात कही गई थी, लेकिन मुलाकात तो दूर अगर कोई मुख्यमंत्री से मिलने जाता है तो उसे अलग-अलग बहाने देकर भगा दिया जाता है.
चालकों ने साफ किया है कि यह अभी शुरुआत है. आने वाले दिनों में अगर केजरीवाल सरकार ऑटो चालकों के पक्ष में कोई कदम नहीं उठाती है तो उसे हर्जाना भरना पड़ेगा. आने वाले दिनों में जहां विरोध प्रदर्शन तेज होगा तो वहीं चुनाव में कोई भी केजरीवाल को वोट नहीं देगा.