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'ना लिट्टी से मिलेगा, ना गाने से मिलेगा, वोट सिर्फ काम के दम पर मिलेगा'

लोगों ने बताया कि उनकी प्राथमिकता प्रत्याशी होगा और पूर्वांचली एक शिक्षित तबका है, जो सोच-समझकर वोट करेगा न कि चुनाव प्रचार के बहकावे में आकर.

'ना लिट्टी से मिलेगा, ना गाने से मिलेगा, वोट सिर्फ काम के दम पर मिलेगा'
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Published : May 10, 2019, 2:59 PM IST

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में राजनीतिक पार्टियों ने जीत के लिए दम-खम लगा दिया है. प्रचार के लिए जहां पहले सियासी दिग्गज आया करते थे तो इस बार फिल्मी सितारों ने लोगों के बीच अपनी चमक बिखेरी है. दिल्ली में प्रचार पूर्वांचलियों की तरफ झुकता हुआ देखने को मिला.

देश की राजधानी दिल्ली में जहां पहले चुनाव प्रचार में यूपी, हरियाणा और पंजाब के नेताओं का वर्चस्व होता था वहीं अब फिल्मी सितारों, कलाकारों और गायकों का होता है. दिल्ली के चुनाव प्रचार में सपना चौधरी से लेकर सनी देओल तक और प्रकाश राज से लेकर भोजपुरी गायकों तक सब की मौजूदगी देखने को मिली.

एक तरफ बीजेपी दिल्ली में बसे पूर्वांचली वोटर्स को साधने के लिए पूर्वांचली कलाकारों और गायकों का सहारा ले रही है, तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने भी पूर्वांचलियों का वोट पाने के लिए लिट्टी चोखा जैसे कार्यक्रम आयोजित किए.

दिल्ली की उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से दो पूर्वांचली मैदान में हैं. एक तरफ बीजेपी के टिकट पर मौजूदा सांसद मनोज तिवारी हैं तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने दिलीप पांडे को चुनावी मैदान में उतारा है.

जब ईटीवी भारत ने पूर्वांचल के मतदाताओं से बात की और जानने की कोशिश की कि क्या पूर्वांचल केंद्रित चुनाव प्रचार और कार्यक्रम पूर्वांचलियों के वोटों को साधने में सफल होंगे. इस पर उन्होंने कहा कि पूर्वांचली मुद्दों और प्रत्याशियों की योग्यता को देखकर वोट करेंगे.

लोगों ने बताया कि उनकी प्राथमिकता प्रत्याशी होगा और पूर्वांचली एक शिक्षित तबका है, जो सोच-समझकर वोट करेगा न कि चुनाव प्रचार के बहकावे में आकर. कुछ लोगों ने ये भी कहा कि लिट्टी-चोखा खाने और गाना सुनाने से वोट नहीं मिलेगा, वोट तो सिर्फ काम के दम पर मिलेगा.

दिल्ली में पूर्वांचली वोटर्स के साथ खास बातचीत

पूर्वांचली मतदाताओं का ये भी कहना है कि पूर्वांचल केंद्रित चुनावी कार्यक्रम उन्हें आकर्षित करते हैं और इन कार्यक्रमों के जरिए उनकी प्रत्याशी से मुलाकात हो जाती है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि इन कार्यक्रमों के आधार पर हम वोट करें.

देखना होगा कि दिल्ली की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाला पूर्वांचली वोटर किस पार्टी का साथ देता है.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में राजनीतिक पार्टियों ने जीत के लिए दम-खम लगा दिया है. प्रचार के लिए जहां पहले सियासी दिग्गज आया करते थे तो इस बार फिल्मी सितारों ने लोगों के बीच अपनी चमक बिखेरी है. दिल्ली में प्रचार पूर्वांचलियों की तरफ झुकता हुआ देखने को मिला.

देश की राजधानी दिल्ली में जहां पहले चुनाव प्रचार में यूपी, हरियाणा और पंजाब के नेताओं का वर्चस्व होता था वहीं अब फिल्मी सितारों, कलाकारों और गायकों का होता है. दिल्ली के चुनाव प्रचार में सपना चौधरी से लेकर सनी देओल तक और प्रकाश राज से लेकर भोजपुरी गायकों तक सब की मौजूदगी देखने को मिली.

एक तरफ बीजेपी दिल्ली में बसे पूर्वांचली वोटर्स को साधने के लिए पूर्वांचली कलाकारों और गायकों का सहारा ले रही है, तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने भी पूर्वांचलियों का वोट पाने के लिए लिट्टी चोखा जैसे कार्यक्रम आयोजित किए.

दिल्ली की उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से दो पूर्वांचली मैदान में हैं. एक तरफ बीजेपी के टिकट पर मौजूदा सांसद मनोज तिवारी हैं तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने दिलीप पांडे को चुनावी मैदान में उतारा है.

जब ईटीवी भारत ने पूर्वांचल के मतदाताओं से बात की और जानने की कोशिश की कि क्या पूर्वांचल केंद्रित चुनाव प्रचार और कार्यक्रम पूर्वांचलियों के वोटों को साधने में सफल होंगे. इस पर उन्होंने कहा कि पूर्वांचली मुद्दों और प्रत्याशियों की योग्यता को देखकर वोट करेंगे.

लोगों ने बताया कि उनकी प्राथमिकता प्रत्याशी होगा और पूर्वांचली एक शिक्षित तबका है, जो सोच-समझकर वोट करेगा न कि चुनाव प्रचार के बहकावे में आकर. कुछ लोगों ने ये भी कहा कि लिट्टी-चोखा खाने और गाना सुनाने से वोट नहीं मिलेगा, वोट तो सिर्फ काम के दम पर मिलेगा.

दिल्ली में पूर्वांचली वोटर्स के साथ खास बातचीत

पूर्वांचली मतदाताओं का ये भी कहना है कि पूर्वांचल केंद्रित चुनावी कार्यक्रम उन्हें आकर्षित करते हैं और इन कार्यक्रमों के जरिए उनकी प्रत्याशी से मुलाकात हो जाती है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि इन कार्यक्रमों के आधार पर हम वोट करें.

देखना होगा कि दिल्ली की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाला पूर्वांचली वोटर किस पार्टी का साथ देता है.

Intro:एक दिन के बाद दिल्ली में लोकसभा चुनाव होने हैं और चुनाव प्रचार थमने में अब कुछ ही घंटे बाकी हैं. दिल्ली में दो हफ्तों से जारी चुनाव प्रचार बाकी देश में हो रहे चुनाव प्रचार से काफी अलग दिखाई दिया, चुनाव प्रचार में हर तबके को लेकर चुनाव प्रचार की रणनीति बनाई गई थी और तबको को आकर्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम भी किए गए.


Body:राजनीतिक पार्टियां, राजनीति और प्रत्याशी भले ही चुनाव के बाद जनता की तरफ ध्यान ना देते हो लेकिन इनके लिए चुनाव से पहले जनता के बीच जाना बेहद जरूरी होता है. सभी पार्टियों ने चुनाव प्रचार में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया, देश की राजधानी दिल्ली जहां पहले चुनाव प्रचार में यूपी हरियाणा और पंजाब के नेताओं का वर्चस्व होता था वह अब फिल्मी सितारों कलाकारों और गायकों का होता है. दिल्ली के चुनाव प्रचार में सपना चौधरी से लेकर सनी देओल तक और प्रकाश राज से लेकर भोजपुरी गायकों तक सब की मौजूदगी चुनाव प्रचार में देखने को मिली. समाज के हर तबके को आकर्षित करने के लिए राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव प्रचार के लिए विभिन्न रणनीतियां बनाई थी, लेकिन इस बार दिल्ली के चुनाव में पूर्वांचल की तरफ राजनीतिक पार्टियों का रुझान काफी अधिक देखने को मिला, एक तरफ भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में बसे पूर्वांचल वोटरों को साधने के लिए पूर्वांचली कलाकारों और गायकों का सहारा ले रही थी तो वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने भी पूर्वांचलयो का वोट पाने के लिए लिट्टी चोखा जैसे कार्यक्रम किए और पुरानी चूड़ियों से वोटों की अपील की. अगर दिल्ली की उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट की बात करें तो वहां से दो पूर्वांचली मैदान में है एक तरफ भाजपा के टिकट पर मौजूदा सांसद मनोज तिवारी है तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने दिलीप पांडे को चुनावी मैदान में उतारा है, दोनों प्रत्याशी पूर्वांचली है. हालांकि जब ईटीवी भारत ने पूर्वांचलियों से बात की और जानने की कोशिश की कि क्या पूर्वांचली केंद्रित चुनाव प्रचार और कार्यक्रम पूर्वांचलइयों के वोटों को साधने में सफल होंगे या नहीं तो पूर्वांचलयो ने बताया कि पूर्वांचली मुद्दों और प्रत्याशी की योग्यता को देखकर वोट करेंगे, लोगों ने बताया कि उनकी प्राथमिकता प्रत्याशी होगा और पूर्वांचली एक शिक्षित तबका है जो कि सोच-समझकर वोट करेगा न कि इन चुनाव प्रचार के बहकावे में आकर. हालांकि पूर्वांचली का कहना यह भी था कि पूर्वांचली केंद्रित चुनावी कार्यक्रम उन्हे आकर्षित करते हैं और और इन कार्यक्रमों के द्वारा उनकी प्रत्याशी से मुलाकात हो जाती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इन कार्यक्रमों के आधार पर हम वोट करें हालांकि सभी पार्टियों के चुनावी कार्यक्रम पूर्वांचली शामिल होते हैं लेकिन आखरी फैसला उन्हीं का होता है कि वह किसे वोट करेंगे.


Conclusion:अब देखना यह है कि दिल्ली की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाला पूर्वांचली वोटर किस पार्टी की तरफ झुकता है.
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