नई दिल्ली : मूर्ति विसर्जन को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अपील का असर होता दिखाया जा रहा है. इस बार यमुना घाट पर कोई गंदगी नहीं है, जबकि हर साल यमुना नदी किनारे मूर्ति विसर्जन के दूसरे दिन यमुना किनारे हजारों मूर्तियों का ढेर दिखाई देता था. इसके साथ ही गंदगी का अंबार लग जाता था, जिससे यमुना नदी भी प्रदूषित होती थी और वातावरण भी दूषित हो जाता था.
दरअसल, इस बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से अपील की थी कि कोई भी श्रद्धालु गणपति बप्पा की मूर्ति यमुना में विसर्जित न करें, क्योंकि ऐसा करने से कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन होगा और यमुना नदी भी प्रदूषित होगी. इसके साथ ही जनता ने स्वयं भी जागरूकता दिखाई और इस बार यमुना में मूर्ति विसर्जन नहीं किया गया है. यही वजह है कि इस बार विसर्जन के अगले दिन भी यमुना प्रदूषण मुक्त दिखाई दी.
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ईटीवी की टीम यमुना किनारे रियलिटी चेक करने के लिए पहुंची. टीम ने यमुना घाटों का मुआयना किया तो पाया कि यमुना किनारे कहीं भी किसी प्रकार की कोई मूर्ति दिखाई नहीं दी और गंदगी का अंबार भी नहीं है. यमुना जैसी साफ-सुथरी पहले थी वैसी की वैसी ही है. हालांकि कुछ श्रद्धालु यमुना किनारे मूर्ति विसर्जन करने जरूर पहुंचे थे, लेकिन यमुना किनारे खड़े दिल्ली पुलिस के जवान और सिविल डिफेंसकर्मियों ने श्रद्धालुओं को यमुना तक जाने की अनुमति नहीं दी. उन्हें यमुना नदी से पहले ही रोक दिया गया और जहां मूर्ति विसर्जन करने का स्थल बनाया गया था, वहां के बारे में लोगों को अवगत कराया.
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यमुना नदी के घाट नंबर 17 पर गणेश विसर्जन के वक्त हर साल गन्दगी का अंबार लग जाता था. लाखों श्रद्धालु यहां पर मूर्ति विसर्जन करने आते थे और पूजा-पाठ करते थे. जिसके बाद मूर्तियां व पूजा पाठ में इस्तेमाल होने वाली सामग्री को छोड़कर चले जाते थे. ऐसे में यमुना घाट पर गंदगी फैल जाती थी और यमुना नदी का पानी प्रदूषित होता था. दिल्ली सरकार ने यमुना नदी को साफ करने के लिए एक बड़ी मुहिम छेड़ी हुई है और जनता भी सरकार का भरपूर साथ दे रही है.