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'कॉरपोरेट घरानों के हक में काला किसान कानून, केंद्र सरकार ले वापस'

कृषि बिल के विरोध में निरंकारी मैदान में डटे किसानों ने सरकारी सुविधाओं से दूरी बनाई हुई है. दो से तीन हजार के करीब किसान निरंकारी मैदान में जुटे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान किसानों ने कहा कि यह केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट घरानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाया है.

Farmers Bill Corporate Houses Supported,  central government withdraws black bill
निरंकारी मैदान में डटे किसान
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Published : Dec 1, 2020, 2:29 PM IST

Updated : Dec 1, 2020, 7:59 PM IST

नई दिल्ली: कृषि बिल के विरोध में निरंकारी मैदान में डटे किसानों ने सरकारी सुविधाओं से दूरी बनाई हुई है. दो से तीन हजार के करीब किसान निरंकारी मैदान में जुटे हैं. किसानों ने सरकारी सुविधाओं का प्रयोग करने से का इनकार कर दिया है और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को उन्होंने अपना घर बनाया है. यही नहीं वे अपने साथ 6 महीने का राशन भी साथ लेकर आए हैं. लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार किसान मांगे पूरा होने तक इसी तरह डटे रहेंगे. उनका कहना है कि एमएसपी किसानों का हक है, सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करे.

निरंकारी मैदान में डटे किसान
'कॉरपोरेट घरानों के हित में किसान कानून'

केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए किसान बिल के विरोध में बदस्तूर किसानों का विरोध जारी है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान किसानों ने स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार के ऊपर निशाना साधते हुए इसे काला कानून बताया. साथ ही कहा कि इसे केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट घरानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाया है. इससे किसानों को किसी भी प्रकार से कोई फायदा नहीं होने वाला, बल्कि किसानों का नुकसान होने वाला है. आज पंजाब ही नहीं पूरे देश के किसानों को अपनी फसलों के हक का दाम नहीं मिलता है. जिसकी वजह से किसान आत्महत्या करने को मजबूर है.

'मांगों को लेकर इसी तरह डटे रहेंगे किसान'

केंद्र सरकार को हर हालत में इसे वापस लेना होगा. जब तक केंद्र सरकार इसे वापस नहीं लेगी, तब तक हमारा विरोध-प्रदर्शन इसी तरह से जारी रहेगा. चाहे हमें कितना ही लंबा समय लगे, हम अपनी मांगों को लेकर इसी तरह डटे रहेंगे. बता दें कि 26 नवंबर से लगातार देश की राजधानी दिल्ली में किसानों का केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए किसान बिल के विरोध में प्रदर्शन जारी है.

नई दिल्ली: कृषि बिल के विरोध में निरंकारी मैदान में डटे किसानों ने सरकारी सुविधाओं से दूरी बनाई हुई है. दो से तीन हजार के करीब किसान निरंकारी मैदान में जुटे हैं. किसानों ने सरकारी सुविधाओं का प्रयोग करने से का इनकार कर दिया है और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को उन्होंने अपना घर बनाया है. यही नहीं वे अपने साथ 6 महीने का राशन भी साथ लेकर आए हैं. लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार किसान मांगे पूरा होने तक इसी तरह डटे रहेंगे. उनका कहना है कि एमएसपी किसानों का हक है, सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करे.

निरंकारी मैदान में डटे किसान
'कॉरपोरेट घरानों के हित में किसान कानून'

केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए किसान बिल के विरोध में बदस्तूर किसानों का विरोध जारी है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान किसानों ने स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार के ऊपर निशाना साधते हुए इसे काला कानून बताया. साथ ही कहा कि इसे केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट घरानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाया है. इससे किसानों को किसी भी प्रकार से कोई फायदा नहीं होने वाला, बल्कि किसानों का नुकसान होने वाला है. आज पंजाब ही नहीं पूरे देश के किसानों को अपनी फसलों के हक का दाम नहीं मिलता है. जिसकी वजह से किसान आत्महत्या करने को मजबूर है.

'मांगों को लेकर इसी तरह डटे रहेंगे किसान'

केंद्र सरकार को हर हालत में इसे वापस लेना होगा. जब तक केंद्र सरकार इसे वापस नहीं लेगी, तब तक हमारा विरोध-प्रदर्शन इसी तरह से जारी रहेगा. चाहे हमें कितना ही लंबा समय लगे, हम अपनी मांगों को लेकर इसी तरह डटे रहेंगे. बता दें कि 26 नवंबर से लगातार देश की राजधानी दिल्ली में किसानों का केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए किसान बिल के विरोध में प्रदर्शन जारी है.

Last Updated : Dec 1, 2020, 7:59 PM IST

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