नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली के बिजली उपभोक्ताओं को अब बिजली बिलों का भुगतान पहले से ज्यादा करना पड़ेगा. दरअसल बिजली वितरण कंपनी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड ने पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट (पीपीसीए) चार्ज के रुप में वसूला जाने वाला शुल्क बढ़ा दिया है. जिससे लगभग 2 किलोवाट उपभोग वाले बिजली के बिलों में करीब 80 रुपए की बढ़ोतरी हो गई है.
लोगों में रोष
इन बिलों को लेकर स्थानीय नागरिकों में रोष है. लोगों ने पीपीसीए चार्ज में बढ़ोतरी का विरोध किया है. लोगों का कहना है कि बिजली वितरण कंपनी की तरफ से उपभोक्ताओं को बिजली के जो नए बिल भेजे जा रहे है. उनमें गुपचुप तरीके से पीपीसीए चार्ज बढ़ा दिया गया है. अभी तक यह 4 प्रतिशत लगता था, जो अब 11.5 प्रतिशत लगकर आ रहा है. इन बिलों में जानबूझकर इसका प्रतिशत भी नहीं दर्शाया गया है. जबकि अन्य सभी चार्ज को प्रतिशत में दर्शाया गया है.
'कंपनियों को करोड़ों का मुनाफा करवा रही है'
दिल्ली की विभिन्न आरडब्ल्यूए के संयुक्त संगठन यूआरडी (यूनाइटेड रेजिडेंटस ऑफ़ दिल्ली) के सौरभ गांधी ने कहा कि सरकार फ्री लॉलीपोप बांट कर एक तरफ जनता को बेवकूफ बनाने का प्रयास करती है और दूसरी ओर बिजली बिल की एक मद में चुपके से रेट बढ़ा कर कंपनियों को करोड़ों का मुनाफा करवा रही है.
उन्होंने कहा कि बढ़ी दरों के बाद लगभग 40 रुपये वसूला जाने वाला शुल्क अब लगभग 118 रुपये हो गया है. जो दिल्ली सरकार के बिजली बिल में बढ़ोतरी न करने के दावे के खिलाफ है. यूआरडी इस बढ़ोतरी का पुरजोर विरोध करती है. यह जनता के साथ लूट है, क्योंकि अभी तक ऐसा कोई आदेश दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) की वेबसाइट पर नहीं आया है.
उधर, टाटा पावर डीडीएल के प्रवक्ता का कहना है कि हमने डीईआरसी से पीपीसीए बढ़ाने के लिए याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई के बाद डीईआरसी ने अक्टूबर माह में फैसला दिया कि टीपीडीडीएल अप्रैल से जून (तिमाही) के लिए 7.5 प्रतिशत अतिरिक्त पीपीसीए उपभोक्ताओं से वसूल सकती है. इसके बाद नई दरों के साथ उपभोक्ताओं बिजली के बिल भेजे गए हैं.