नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज में सुखमंच थियेटर ग्रुप की ओर से नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन किया गया. इस ग्रुप ने दिव्यांगता विषय पर छात्रों में और समाज में जागरुकता फैलाने के लिए यह नाटक की प्रस्तुती की.
इस नाटक में छात्रों और कई थिएटर कलाकारों ने अपने बेहतरीन और उत्साहवर्धक अभिलेख से इस विषय पर लोगों को मनोरंजक तरीके से जानकारी दी.
जैसे ही सुखमंच थिएटर ग्रुप के कलाकारों ने कॉलेज के ऑडिटोरियम में एंट्री ली वैसे ही सभी की निगाहें उन पर टिक गई. बुलंद आवाज और ढोल नगाड़ों की थाप पर एंट्री लेते हुए कलाकारों ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा.
'अभिशाप नहीं दिव्यांगता'
नाटक की प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने बताया कि दिव्यांगता समाज में कोई अभिशाप नहीं है. अगर उन बच्चों को और उन लोगों को अगर समाज में बराबरी और थोड़ी अधिक देखरेख मिले तो वह भी आगे बढ़कर समाज के बाकी लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकते हैं.
कलाकारों ने गिनाए मशहूर हस्तियों के नाम
कलाकारों ने समाज की ऐसी हस्तियों का उदाहरण देते हुए लोगों तक यह संदेश पहुंचाया, जिन्होंने विकलांगता को मात देते हुए दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. चाहे डांसर सुधा चंद्रन हो, जिनका एक पाव नकली है, उसके बावजूद उन्होंने अपने अभिनय और डांस की प्रतिभा से दुनिया में नाम कमाया हैं. ऐसे ही अमेरिका के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति रूजवेल्ट एक एक्सीडेंट के कारण चलने फिरने में लाचार हो गए थे. आंखों की रोशनी ना होने के बावजूद रविंद्र जैन संगीत की दुनिया के महान हस्ती हैं.
कलाकारों ने बताया कि अगर हम बात करें दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग की जिन्हें चलने फिरने में लाचारी थी लेकिन आज कौन नहीं उन्हें जानता है. इसके अलावा भौतिकी के क्षेत्र के सबसे चमकदार नाम आइंस्टाइन एक समय मानसिक रूप से बेहद कमजोर थे लेकिन वह दुनिया के महान वैज्ञानिक बने.
किया जाता है बुरा व्यवहार
नाटक के दौरान कलाकारों ने समाज में दिव्यांग और भिखारी लोगों के साथ किए जाने वाले बुरे व्यवहार का उदाहरण दिया कि किस तरीके से दिव्यांग लोगों को समाज में मजाकिया नजर से देखा जाता है. उनका अपमान करता है यहां तक कि यदि किसी परिवार में दिव्यांग होता है तो उस का शादी नहीं होती है.