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National Consumer Day: दिल्ली मेट्रो से जारी है लड़ाई, उपभोक्ता अधिनियम की श्रेणी में लाने का प्रयास जारी

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (National Consumer Day) के मौके पर समाजसेवी हरपाला राणा ने कहा कि पिछले 10 साल से लगातार दिल्ली मेट्रो को उपभोक्ता अधिनियम की श्रेणी में लाने का प्रयास किया जा रहा है. दिल्ली मेट्रो देश ही नहीं बल्कि दुनिया में अकेली ऐसी मेट्रो है जो उपभोक्ता अधिनियम श्रेणी में नहीं आती है.

National Consumer Day
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Published : Dec 24, 2022, 10:27 PM IST

हरपाल राणा, समाजसेवी

नई दिल्ली: देश में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (National Consumer Day) मनाया जा रहा है. इस मौके पर भी समाजसेवी हरपाल राणा द्वारा उपभोक्ताओं के लिए दिल्ली मेट्रो से लड़ी जा रही लड़ाई जारी है. हरपाल राणा की मांग है कि दिल्ली मेट्रो को अन्य राज्यों की मेट्रो की तरह उपभोक्ता अधिनियम की श्रेणी में लाना चाहिए, जो कि अब तक नहीं हो पाया है.

दिल्ली के सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों, विधायकों, सांसदों एवं दिल्ली और भारत सरकार के मंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति आदि सभी को 200 से अधिक पत्र लिखने और सूचना आवेदन के बावजूद, दिल्ली विधानसभा और भारत की लोकसभा, राज्यसभा यहां होने के बावजूद देश की राजधानी में ऐसा होना आश्चर्यचकित करता है. मेट्रो ने स्वयं अपने जवाब में कहा है कि हरपाल सिंह राणा के द्वारा वर्ष 2017 से 2019 तक 26 सूचना आवेदन और 37 शिकायत पत्र मेट्रो को प्राप्त हुए. दिल्ली मेट्रो वर्ष 2002 में आरंभ हुई थी, उपभोक्ता अधिकार को 19 वर्षों तक अपने ऊपर लागू नहीं होने दिया और अभी आधा-अधूरा ही लागू होने की बात कह रही है. इससे बचने के लिए मेट्रो द्वारा अलग-अलग बातें बताई गईं और 10 से अधिक बार बहुत ही आश्चर्यचकित और विरोधाभासी जवाब दिए.

National Consumer Day
दिल्ली मेट्रो से प्राप्त लेटर.

वर्ष 2014 में मेट्रो ने जवाब दिया कि आप यह जानकारी मांग नहीं सकते. 17 फरवरी 2015 को कहा कि यह जानकारी हमारे पास लिखित रूप में उपलब्ध नहीं है, तो 17 मार्च 2015 को कहा यह सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 2 (च) (Right to Information Act 2005) में वर्जित सूचना के परिभाषा में नहीं आती. 16 दिसंबर 2015 में कहा कि दिल्ली मेट्रो उपभोगता श्रेणी में आएगी, तो 24 अप्रैल 2018 को डीएमआरसी अपने पहले जवाब से पलटते हुए कहा कि मेट्रो को उपभोक्ता श्रेणी में रखना विधायिका के क्षेत्र में निहित है, इस लिए स्वयं डीएमआरसी कुछ नहीं कर सकती.

ये भी पढ़ें: दिल्ली के उपराज्यपाल ने किया आईएसबीटी और हनुमान मंदिर शेल्टर होम का दौरा किया

3 मई 2019 को लिखित में दिल्ली मेट्रो उपभोगता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2(डी) के तहत बताया गया है की उक्त अधिनियम के तहत विशेष श्रेणी सेवा को उपभोगता घोषित करने का प्रावधान नहीं करता है, तो 7 जुलाई 2018 जवाबी पत्र में कहा कि दिल्ली मेट्रो के प्रत्युतर में कोई विरोधाभास नहीं है. हरपाल राणा बताते हैं कि यह एक बड़ा झूठ है क्योंकि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 (डी) में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. उपभोक्ता कानून वर्ष 2002 में जोड़ी गई धारा 2 (डी) के स्पष्टीकरण के अनुसार व्यापारिक उद्देश्य तब तक नहीं माना जाता है, जबकि क्रय किया गया माल अथवा प्राप्त की गई सेवा पूर्णत स्वरोजगार द्वारा जीविकोपार्जन करने के लिए उपयोग किया गया है. मतलब यदि कोई बेरोजगार व्यक्ति टैक्सी, ई-रिक्शा, कंप्यूटर, टाइपराइटर, स्टेशनरी, फोटोस्टेट, कैमरा, फैक्स, छपाई की मशीन आदि मशीनरी खरीदकर अपना छोटा-मोटा कार्य करता है, तो वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है, लेकिन मेट्रो का यह तर्क बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है. हरपल राणा का कहना है कि यदि दिल्ली मेट्रो उपभोक्ता अधिनियम किस श्रेणी में आती है तो उससे लोगों को सीधा फायदा होगा पीने का साफ पानी शौचालय की नि:शुल्क सेवा और किसी भी तरीके के नुकसान पर क्लेम करने की सुविधा उपभोक्ताओं को मिल सकेगी जो कि अब तक नहीं है.

पिछले करीब 10 सालों से इस लड़ाई को समाजसेवी हरपाल राणा द्वारा उपभोक्ताओं के लिए लड़ा जा रहा है. उनका कहना है कि अगर जल्द ही इस पर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई तो वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए भी तैयार हैं.

ये भी पढ़ें: चित्र प्रदर्शनी में देखिए दिल्ली मेट्रो के 20 साल के ऐतिहासिक क्षण

हरपाल राणा, समाजसेवी

नई दिल्ली: देश में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (National Consumer Day) मनाया जा रहा है. इस मौके पर भी समाजसेवी हरपाल राणा द्वारा उपभोक्ताओं के लिए दिल्ली मेट्रो से लड़ी जा रही लड़ाई जारी है. हरपाल राणा की मांग है कि दिल्ली मेट्रो को अन्य राज्यों की मेट्रो की तरह उपभोक्ता अधिनियम की श्रेणी में लाना चाहिए, जो कि अब तक नहीं हो पाया है.

दिल्ली के सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों, विधायकों, सांसदों एवं दिल्ली और भारत सरकार के मंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति आदि सभी को 200 से अधिक पत्र लिखने और सूचना आवेदन के बावजूद, दिल्ली विधानसभा और भारत की लोकसभा, राज्यसभा यहां होने के बावजूद देश की राजधानी में ऐसा होना आश्चर्यचकित करता है. मेट्रो ने स्वयं अपने जवाब में कहा है कि हरपाल सिंह राणा के द्वारा वर्ष 2017 से 2019 तक 26 सूचना आवेदन और 37 शिकायत पत्र मेट्रो को प्राप्त हुए. दिल्ली मेट्रो वर्ष 2002 में आरंभ हुई थी, उपभोक्ता अधिकार को 19 वर्षों तक अपने ऊपर लागू नहीं होने दिया और अभी आधा-अधूरा ही लागू होने की बात कह रही है. इससे बचने के लिए मेट्रो द्वारा अलग-अलग बातें बताई गईं और 10 से अधिक बार बहुत ही आश्चर्यचकित और विरोधाभासी जवाब दिए.

National Consumer Day
दिल्ली मेट्रो से प्राप्त लेटर.

वर्ष 2014 में मेट्रो ने जवाब दिया कि आप यह जानकारी मांग नहीं सकते. 17 फरवरी 2015 को कहा कि यह जानकारी हमारे पास लिखित रूप में उपलब्ध नहीं है, तो 17 मार्च 2015 को कहा यह सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 2 (च) (Right to Information Act 2005) में वर्जित सूचना के परिभाषा में नहीं आती. 16 दिसंबर 2015 में कहा कि दिल्ली मेट्रो उपभोगता श्रेणी में आएगी, तो 24 अप्रैल 2018 को डीएमआरसी अपने पहले जवाब से पलटते हुए कहा कि मेट्रो को उपभोक्ता श्रेणी में रखना विधायिका के क्षेत्र में निहित है, इस लिए स्वयं डीएमआरसी कुछ नहीं कर सकती.

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3 मई 2019 को लिखित में दिल्ली मेट्रो उपभोगता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2(डी) के तहत बताया गया है की उक्त अधिनियम के तहत विशेष श्रेणी सेवा को उपभोगता घोषित करने का प्रावधान नहीं करता है, तो 7 जुलाई 2018 जवाबी पत्र में कहा कि दिल्ली मेट्रो के प्रत्युतर में कोई विरोधाभास नहीं है. हरपाल राणा बताते हैं कि यह एक बड़ा झूठ है क्योंकि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 (डी) में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. उपभोक्ता कानून वर्ष 2002 में जोड़ी गई धारा 2 (डी) के स्पष्टीकरण के अनुसार व्यापारिक उद्देश्य तब तक नहीं माना जाता है, जबकि क्रय किया गया माल अथवा प्राप्त की गई सेवा पूर्णत स्वरोजगार द्वारा जीविकोपार्जन करने के लिए उपयोग किया गया है. मतलब यदि कोई बेरोजगार व्यक्ति टैक्सी, ई-रिक्शा, कंप्यूटर, टाइपराइटर, स्टेशनरी, फोटोस्टेट, कैमरा, फैक्स, छपाई की मशीन आदि मशीनरी खरीदकर अपना छोटा-मोटा कार्य करता है, तो वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है, लेकिन मेट्रो का यह तर्क बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है. हरपल राणा का कहना है कि यदि दिल्ली मेट्रो उपभोक्ता अधिनियम किस श्रेणी में आती है तो उससे लोगों को सीधा फायदा होगा पीने का साफ पानी शौचालय की नि:शुल्क सेवा और किसी भी तरीके के नुकसान पर क्लेम करने की सुविधा उपभोक्ताओं को मिल सकेगी जो कि अब तक नहीं है.

पिछले करीब 10 सालों से इस लड़ाई को समाजसेवी हरपाल राणा द्वारा उपभोक्ताओं के लिए लड़ा जा रहा है. उनका कहना है कि अगर जल्द ही इस पर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई तो वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए भी तैयार हैं.

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