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शहीद हेड कांस्टेबल के घर में पसरा मातम, परिजनों ने की मुआवजे की मांग - delhi police

राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा में शहीद हेड कांस्टेबल रतन लाल के घर पर मातम पसरा हुआ है. साथ ही एक ही मांग की जा रही है कि सरकार द्वारा मुआवजे की रकम जल्द से जल्द मुहैया कराई जाए. क्योंकि पूरे परिवार में अब कमाने का कोई जरिया नहीं बचा है.

head constable Ratan Lal family
हेड कांस्टेबल रतन लाल
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Published : Feb 25, 2020, 5:04 PM IST

नई दिल्ली: मौजपुर हिंसा में शहीद हुए हेड कांस्टेबल रतन लाल के घर परिवार में शोक छाया हुआ है. घर में कोई कमाने वाला व्यक्ति नहीं था. इसी वजह से परिवार के लोग जल्द से जल्द मुआवजे की मांग कर रहे हैं. जिससे परिवार को आर्थिक दिक्कतों से ना गुजरना पड़े.

शहीद हेड कांस्टेबल के घर में पसरा मातम

शहीद हेड कांस्टेबल रतन लाल के घर पर मातम पसरा


राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा में शहीद हेड कांस्टेबल रतन लाल के घर पर मातम पसरा हुआ है. रिश्तेदार घर पर पहुंच चुके हैं और पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है. जैसे ही इसकी भनक बुराड़ी इलाके में मिली लोगों के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया. लेकिन हर कोई सवाल यही पूछ रहा है कि शहीद रतन लाल जो अपनी नौकरी करने के लिए वहां पहुंचे थे, उनका क्या कसूर था. उनके परिवार का क्या कसूर था कि उनके पूरे जीवन का सुख खुशी सब उजड़ गया.



सरकारी मुआवजा देने की मांग


शहीद हेड कांस्टेबल रतन लाल के तीन छोटे बच्चे हैं. सबसे बड़ी बेटी 11 साल की और उससे छोटे दो बच्चे जोकि अभी भी आस लगाए बैठे हैं कि उनके पिता घर आकर उन्हें गले से लगाएंगे. पत्नी अभी भी ये मानने को तैयार नहीं है कि उनके पति की मौत हो चुकी है.

सुबह से शहीद रतन लाल का परिवार यहां शव का इंतजार कर रहा है. साथ ही एक ही मांग की जा रही है कि सरकार द्वारा मुआवजे की रकम जल्द से जल्द मुहैया कराई जाए. क्योंकि पूरे परिवार में अब कमाने का कोई जरिया नहीं बचा और पैसे की तंगी की चिंता और रिश्तेदारों को सता रही है.

नई दिल्ली: मौजपुर हिंसा में शहीद हुए हेड कांस्टेबल रतन लाल के घर परिवार में शोक छाया हुआ है. घर में कोई कमाने वाला व्यक्ति नहीं था. इसी वजह से परिवार के लोग जल्द से जल्द मुआवजे की मांग कर रहे हैं. जिससे परिवार को आर्थिक दिक्कतों से ना गुजरना पड़े.

शहीद हेड कांस्टेबल के घर में पसरा मातम

शहीद हेड कांस्टेबल रतन लाल के घर पर मातम पसरा


राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा में शहीद हेड कांस्टेबल रतन लाल के घर पर मातम पसरा हुआ है. रिश्तेदार घर पर पहुंच चुके हैं और पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है. जैसे ही इसकी भनक बुराड़ी इलाके में मिली लोगों के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया. लेकिन हर कोई सवाल यही पूछ रहा है कि शहीद रतन लाल जो अपनी नौकरी करने के लिए वहां पहुंचे थे, उनका क्या कसूर था. उनके परिवार का क्या कसूर था कि उनके पूरे जीवन का सुख खुशी सब उजड़ गया.



सरकारी मुआवजा देने की मांग


शहीद हेड कांस्टेबल रतन लाल के तीन छोटे बच्चे हैं. सबसे बड़ी बेटी 11 साल की और उससे छोटे दो बच्चे जोकि अभी भी आस लगाए बैठे हैं कि उनके पिता घर आकर उन्हें गले से लगाएंगे. पत्नी अभी भी ये मानने को तैयार नहीं है कि उनके पति की मौत हो चुकी है.

सुबह से शहीद रतन लाल का परिवार यहां शव का इंतजार कर रहा है. साथ ही एक ही मांग की जा रही है कि सरकार द्वारा मुआवजे की रकम जल्द से जल्द मुहैया कराई जाए. क्योंकि पूरे परिवार में अब कमाने का कोई जरिया नहीं बचा और पैसे की तंगी की चिंता और रिश्तेदारों को सता रही है.

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