नई दिल्ली/नोएडा: एनटीपीसी से प्रभावित 24 गांव के किसानों ने और कई किसान संगठनों ने (Farmers march to Noida Collectorate) मिलकर बुधवार को कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च किया. इस दौरान यह लोग कलेक्ट्रेट पर ही धरने पर बैठ गए और रात करीब 11 बजे तक धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान रात में ही जिलाधिकारी के साथ किसानों की बैठक हुई, जिसमें आंदोलन के दौरान लाठीचार्ज के बाद पुलिस ने 12 किसानों को जेल भेज दिया था, उनकी रिहाई की बात की गई है. गंभीर धाराओं को हटाने और किसानों के रिहाई के आश्वासन को लेकर जिलाधिकारी ने किसानों से 48 घंटे का समय मांगा है.
एनटीपीसी से प्रभावित 24 गांवों के किसान 2 नवंबर से एनटीपीसी प्लांट के पास ही धरने पर बैठे हुए हैं. दरअसल किसान 1 नवंबर को धरना प्रदर्शन कर रहे थे, उसी दौरान पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया और वाटर कैनन से पानी की बौछार कर दी. जिसमें कई महिलाओ सहित किसान घायल हो गए. साथ ही 500 किसानों पर मुकदमा दर्ज किया गया और एक दर्जन किसानों को जेल भेज दिया. उसके बाद से ही एनटीपीसी प्लांट के पास किसानों का आंदोलन लगातार जारी है.
किसानों ने बताया कि अधिकारियों ने उन्हें लगातार आश्वासन दिया, लेकिन बुधवार को उनका समय खत्म हो गया, जिसके बाद 24 गांव के किसान इकट्ठा हुए और ग्रेटर नोएडा पहुंच गए. जहां एलजी गोल चक्कर से लेकर कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च किया और जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन की और जिलाधिकारी से वार्ता की मांग की, जिसके बाद देर रात जिलाधिकारी सुहास एलवाई किसानों से वार्ता करने के लिए पहुंचे.
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एनटीपीसी के लिए 24 गांवों की जमीन अधिग्रहण की गई थी, जिसे लेकर किसानों को एक समान मुआवजा नहीं दिया गया था. उसी को लेकर किसान अभी भी आंदोलन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि भू अधिनियम 1994 के तहत उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप 1986 से 1995 तक अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को एक समान मुआवजा दिया जाए. इसके साथ ही एनटीपीसी के लिए 22 सौ परिवारों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था और करार के मुताबिक प्रत्येक परिवार से एनटीपीसी में स्थाई नौकरी देने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन अभी तक केवल 180 परिवारों के सदस्य को ही नौकरी दी गई है. इसके साथ ही 24 गांवों में शिक्षा के लिए कॉलिज बनाने के साथ स्वास्थ्य सेवाओ के लिए अस्पताल बनाने की मांग किसान कर रहे है. एनटीपीसी से प्रभावित इन गांवों में मुफ्त बिजली देने का आश्वासन भी दिया गया था. यह सुविधाएं अभी तक नहीं दी गई है. इन्हीं मांग को लेकर किसान कई दशकों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
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