नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर दिल्ली विश्वविद्यालय(DU) में नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया(NSUI) ने सत्याग्रह की शुरुआत की. देशभर में नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ चल रहे आंदोलन को लेकर छात्रों ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित कर 24 घंटे की भूख हड़ताल भी की.
गांधीजी ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी थी लड़ाई
इस धरने में एनएसयूआई के तमाम कार्यकर्ता और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के सेक्रेटरी आशीष लांबा, पूर्व सेक्रेटरी आकाश चौधरी शामिल हुए. आशीष लांबा ने कहा कि जिस प्रकार गांधी जी ने देश के संविधान के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी ठीक उसी प्रकार हम शांतिपूर्ण तरीके से उनकी पुण्यतिथि के मौके पर सत्याग्रह कर रहे हैं. उन्होंने इस दौरान कहा कि जो सरकार संविधान का बंटवारा कर रही है, धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है.
'राष्ट्रपिता के पद चिन्हों पर चलकर लेंगे हक'
पूर्व डूसू सेक्रेटरी आकाश चौधरी का कहना था कि पिछले दिनों जिस तरीके से असंवैधानिक तरीके से छात्रों की आवाज को दबाया गया, सरकार ने अपने फैसले छात्रों पर थोपे, वो संविधान का दमन है. छात्रों के हकों को कुचला जा रहा है, जिसके खिलाफ हम आज अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, राष्ट्रपिता में जिस प्रकार पूरे देश को अहिंसा और एकता का संदेश दिया था, हम उसी को आगे बढ़ाते हुए आज धरना दे रहे हैं.
'संविधान की रक्षा के लिए कर रहे सत्याग्रह'
अन्य छात्रों का कहना था कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सत्य और अहिंसा के लिए याद किया जाता है. उन्होंने जो बलिदान देश के लिए दिया, उसे हर कोई याद करता है. छात्र जो अपने हक की लड़ाई के लिए आवाज उठाता है, आज उसे दबा दिया जा रहा है. अगर आज महात्मा गांधी जिंदा होते तो वे हर एक छात्र को यही बोलते कि तुम अपनी लड़ाई लड़ो, संघर्ष करो, संविधान तुम्हारी रक्षा करेगा. लेकिन यहां तो सरकार संविधान को ही बदल रही है, आज तानाशाही रवैया अपनाया जा रहा है, छात्रों की आवाज को दबाया जा रहा है.