नई दिल्लीः कोरोना काल में दिल्ली सरकार शिक्षकों का शोषण कर रही है. स्कूल बंद होने की वजह से सरकार शिक्षकों से स्वास्थ्य विभाग में डाटा एंट्री करवा रही है और सड़कों पर खड़ा कर बिना मास्क वालों का चालान करवा रही है. हद तो ये है कि इन्हे 15 अगस्त और 2 अक्टूबर की छुट्टी भी नहीं दी जा रही है.
अगर आपसे पूछा जाए कि एक शिक्षक का क्या काम होता है, तो आपका जवाब होगा विद्यार्थियों को पढ़ाना, लेकिन दिल्ली में ये जवाब अधूरा माना जाएगा. राजधानी में शिक्षकों के जिम्मे अध्यापन के साथ-साथ कंटेनमेंट जोन में पहरेदारी करना, स्वास्थ्य विभाग में डाटा एंट्री करना और सड़कों पर बिना मास्क वालों का चालान करना भी है.
'डीएम से मिला है 20 चालान का टारगेट'
खास बात ये है कि इन्हें डीएम की तरफ से रोजाना 20 चालान का टारगेट मिला हुआ है. अगर कोई शिक्षक इस टारगेट को पूरा नहीं कर पाता, तो उसे अपनी जेब से चालान का पैसा भरने के साथ ही शो कौज नोटिस का भी सामना करना पड़ता है.
'छह महीने से नहीं मिली छुट्टी'
दिल्ली सरकार के शिक्षकों का कहना है कि कोरोना काल में राशन बांटने से लेकर प्रवासियों को बस में बिठाने जैसी जाने क्या-क्या काम करवाए गए हैं. सबसे ज्यादा परेशानी की बात ये है कि इन्हें कार्यस्थल पर सम्मान भी नहीं मिल रहा है और 15 अगस्त और 2 अक्टूबर वाले दिन भी छुट्टी नहीं दी जा रही है.