नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने यमन में मौत की सजा पा चुकी केरल की नर्स निमिषा प्रिया की मां को निर्देश दिया है कि वो हलफनामा दाखिल कर बताए कि उनके साथ यमन कौन-कौन जाना चाहता है. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कल यानि 5 दिसंबर तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान निमिषा प्रिया की ओर से पेश वकील ने बताया कि यमन में व्यवसाय कर रहे तीन भारतीय अभी भारत में हैं और वो निमिषा प्रिया की मां के साथ यमन जाने को तैयार हैं. उसके बाद कोर्ट ने उन भारतीय नागरिकों की विस्तृत जानकारी हलफनामा के जरिए देने का निर्देश दिया.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि वो निमिषा प्रिया को यमन जाने की इजाजत नहीं दे सकते, क्योंकि यमन में भारतीय दूतावास बंद हो चुका है. मध्य-पूर्व की स्थिति नाजुक है और कुछ भी अनहोनी होने पर भारत सरकार मदद करने की स्थिति में नहीं है. निमिषा प्रिया की मां ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर अपनी बेटी को फांसी से बचाने के लिए यमन जाने की अनुमति देने की मांग की है.
2 दिसंबर को कोर्ट ने केंद्र से पूछा था सवालः 2 दिसंबर को विशेष सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या निमिषा की मां को यमन जाने की इजाजत दी जा सकती है. तब निमिषा प्रिया की मां प्रेमा कुमारी की ओर से पेश वकील सुभाष चंद्रन ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार से यमन जाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन केंद्र सरकार ने 1 दिसंबर को यमन जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. केंद्र सरकार ने कहा था कि यमन में सत्ता बदलने के बाद वहां फिलहाल भारत की कोई राजनयिक उपस्थिति नहीं है, इसलिए केंद्र निमिषा प्रिया की मां की सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं ले सकता.
बता दें, 7 मार्च 2022 को यमन की अदालत ने निमिषा प्रिया की अपील को खारिज कर दिया था. उस पर 2017 में यमन के नागरिक तलल आब्दो माहदी की हत्या का आरोप है. आरोप है कि उसने माहदी को नशीला पदार्थ पिलाया, जिसके ओवरडोज से उसकी मौत हो गई थी. निमिषा एक प्रशिक्षित नर्स है. उसने 2014 में यमन की राजधानी सना में अपना क्लीनिक स्थापित करने के लिए उससे मदद ली थी. बाद में संबंध बिगड़ने पर उसने उसको ओवरडोज देकर मार डाला.
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