नई दिल्ली: राजधानी में आज कैट व्यापारी संगठन की एक बड़ी बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई. जिसमें यह फैसला लिया गया कि राजधानी दिल्ली में कोरोना के चलते हालात काफी खराब हैं. जिसके चलते अभी बाजार और दुकानें खोलना सही नहीं है. ऐसे में व्यापारियों ने लॉकडाउन को 1 सप्ताह और आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है. यह निर्णय आज कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा बुलाई गई एक वीडियो मीटिंग में दिल्ली की विभिन्न प्रमुख व्यापारिक संगठनों ने लिया. जिसको देखते हुए कैट ने आज एक बार फिर दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल को एक पत्र भेजकर वर्तमान लॉक डाउन को 17 मई तक आगे बढ़ाने का आग्रह किया है.
'व्यापारियों को कोरोना की आग में जलने के लिए नहीं छोड़ सकते'
दिल्ली में वर्तमान में जारी लॉक डाउन 10 मई को समाप्त हो रहा है. दिल्ली के सभी भागों के प्रमुख व्यापारिक संगठनों ने मीटिंग में यह भी कहा कि दिल्ली में कोरोना को लेकर हालात ठीक नहीं हैं. इस लिए 10 मई से आगे एक सप्ताह अर्थात 17 मई तक दिल्ली के प्रमुख व्यापारी संगठन अपने बाज़ारों में स्वैच्छिक स्वयं लॉक डाउन करेंगे. मीटिंग में दिल्ली के 100 से अधिक व्यापारी संगठनों के व्यापारी नेता मौजूद थे. जिन्होंने स्पष्ट रूप से कहा की किसी भी सूरत में हम दिल्ली के व्यापारियों को कोरोना की आग में जलते रहने के लिए नहीं छोड़ सकते, इसलिए या तो सरकार द्वारा लॉकडाउन को एक सपताह के लिए आगे बढ़ाया जाए अथवा व्यापारियों द्वारा स्वैच्छिक लॉकडाउन किया जाना ही वर्तमान में एक मात्र विकल्प है.
'दिल्ली में नहीं हो रहा लॉक डाउन का पालन'
मीटिंग में यह भी कहा गया कि दिल्ली में लॉक डाउन का सख्ती से पालन नहीं हो रहा है. केवल दुकाने बंद हैं, जबकि आने-जाने पर कोई रोक टोक नहीं है. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए दिल्ली में सम्पूर्ण लॉक डाउन सख्ती के साथ लगाया जाना जरूरी है.
'दिल्ली को लोगों को रामभरोसे छोड़ा गया'
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि सरकार और विभिन्न सरकारी एजेंसियां कुछ भी दावा करें लेकिन सच्चाई यह है की लोग आवश्यक चिकित्सा सुविधा पाने के लिए बिलख रहे हैं, अस्पतालों में अभी भी कोई बेड मिल नहीं रहा है ,दवाइयों की मारामारी है ,ऑक्सीजन की किल्लत है, मरीज़ों को लाने ले जाने के लिए एम्बुलेंस या तो उपलब्ध ही नहीं है या फिर एम्बुलेंस सेवाएं अनाप-शनाप पैसे मांग रही हैं.
दिल्ली सरकार ने एक भी ऐसा अधिकारी नियुक्त नहीं किया है, जिसे फोन करके लोग अपनी चिकित्सा आवश्यकताओं के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर सकें. ऐसा साफ़ दिखाई पड़ता है कि दिल्ली के लोगों को राम भरोसे छोड़ दिया गया है. दिल्ली में बेहद दर्दनाक स्थिति है और उपलब्ध मेडिकल ढांचा पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है.