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कहानी दिल्ली के एंबुलेंसमैन की, जो 18 सालों से फ्री में कर रहा है लोगों की सेवा

ईटीवी भारत की टीम से एक्सक्लूसिव बातचीत में एंबुलेंसमैन के नाम से मशहूर हिमांशु कालिया से बात की. इस शख्स ने 18 साल के दौरान दो लाख से ज्यादा लोगों को अपनी एंबुलेंस से अस्पताल तक पहुंचाने में मदद की है. इन्होंने लॉकडाउन के दौरान करीब 200 लोगों को अस्पताल तक पहुंचाया. जिनमें 35 से 40 कोरोना संक्रमित भी है.

man helping people in lockdown
लोगों की मदद कर रहें हैं एम्बुलेंस मैन
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Published : May 16, 2020, 12:02 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में एक शख्स पिछले 18 सालों से मरीजों की मदद के काम में जुटा हुआ है. इस शख्स ने 18 साल के दौरान दो लाख से ज्यादा लोगों को अपनी एंबुलेंस से अस्पताल तक पहुंचाने में मदद की है. इसमें कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनकी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. उन्हें अपने एंबुलेंस से श्मशान घाट और कब्रिस्तान तक पहुंचाने में भी मदद करते हैं. इन्होंने लॉकडाउन के दौरान करीब 200 लोगों को अस्पताल तक पहुंचाया है. जिनमें 35 से 40 कोरोना संक्रमित भी हैं.

लोगों की मदद कर रहें हैं एम्बुलेंस मैन


पिता को लेकर कई घंटो तक लगाई अस्पताल की दौड़


ईटीवी भारत की टीम से एक्सक्लूसिव बातचीत में एंबुलेंसमैन के नाम से मशहूर हिमांशु कालिया ने बताया कि साल 1992 में ड्यूटी से घर आते हुए उनके पिताजी सड़क हादसे में घायल हो गए. घायल पिता को लेकर कई घंटों तक एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में दौड़ते रहे, लेकिन कहीं भी इलाज नहीं मिला. अंत में डॉक्टरों ने पिताजी को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान अस्पताल में ले जाने की सलाह दी. लोगों की मिन्नते करने के बाद रात ढाई बजे अस्पताल पहुंचे. इलाज में देरी की वजह से पिताजी दो साल तक कोमा में चले गए.

शादी में ली एम्बुलेंस

इसके बाद हिमांशु ने प्रण लिया कि दिल्ली में किसी भी गरीब या जरूरतमंद को एम्बुलेंस के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा. हिमांशु ने अपनी शादी में ससुराल वालों से गाड़ी की बजाय एम्बुलेंस मांगी. उसके बाद उससे दो लाख लोगों को अपनी एम्बुलेंस से अस्पताल तक पहुंचाने में मदद की. इस काम को पिछले 18 सालों से हिमांशु कालिया और उनकी पत्नी निशुल्क कर रहे हैं. जिसकी वजह से इलाके में इन्हें एम्बुलेंस मैन के नाम से जाना जाता है.



आज चलती है 16 फ्री एम्बुलेंस


हिमांशु कालिया ने बताया कि इन्होंने बीमार, दुर्घटनाग्रस्त और जरूरतमंद लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने का काम शुरू किया. धीरे-धीरे एम्बुलेंस का काफिला बढ़ता चला गया. जिसके लिए इन्हें शहीद भगत सिंह केयर सोसाइटी भी बनानी पड़ी. अब हिमांशु के पास सोलह एंबुलेंस है, जिसके लिए 6 ड्राइवर भी रखे हुए है. खुद हिमांशु ओर उनकी पत्नी भी एम्बुलेंस चलाती हैं.



200 लोगों को कोरोना काल में पहुंचाया अस्पताल

उन्होंने बताया कि सभी एंबुलेंस को अलग-अलग काम के लिए रखा गया है. दो एंबुलेंस छोटे बच्चों के लिए, दो बीमारों को अस्पताल ले जाने के लिए, दो एम्बुलेंस को अस्पताल से श्मशान घाट या कब्रिस्तान तक डेड बॉडी पहुंचाने के लिए और कोरोना संक्रमण काल के दौरान कोरोना संक्रमित लोगों को अस्पताल पहुंचाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण के दौरान भी हिमांशु 200 लोगों को अस्पताल तक पहुंचा चुके हैं. जिनमें करीब 35 से 40 लोग कोरोना संक्रमित भी हैं. इस काम के लिए इनकी पत्नी ट्विंकल कालिया भी साथ देती हैं.



राष्ट्रपति से मिला नारी शक्ति सम्मान


इस दौरान हिमांशु कालिया की पत्नी ट्विंकल कालिया को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित भी किया जा चुका है. कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति इनके पास आ सकता है और ये दिल्ली एनसीआर के किसी भी अस्पताल में लोगों को लाने ले जाने में सहायता करते हैं.


घर चलाने के लिए करते हैं एलआईसी एजेंट का काम

दंपत्ति ड्राइवरों की तनख्वाह और घर का चलाने के लिए एलआईसी एजेंट का काम करते हैं. जिसकी कमाई का 90 प्रतिशत हिस्सा ड्राइवरों की तनख्वाह और एम्बुलेंस के मेंटेनेंस में खर्च होता है. बाकी 10 प्रतिशत से बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च चलता है. पिछले 18 सालों से इस अनोखे काम के लिए लोग इनके हौसले ओर जज्बे को सम्मान के साथ सलाम भी कर रहे हैं.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में एक शख्स पिछले 18 सालों से मरीजों की मदद के काम में जुटा हुआ है. इस शख्स ने 18 साल के दौरान दो लाख से ज्यादा लोगों को अपनी एंबुलेंस से अस्पताल तक पहुंचाने में मदद की है. इसमें कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनकी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. उन्हें अपने एंबुलेंस से श्मशान घाट और कब्रिस्तान तक पहुंचाने में भी मदद करते हैं. इन्होंने लॉकडाउन के दौरान करीब 200 लोगों को अस्पताल तक पहुंचाया है. जिनमें 35 से 40 कोरोना संक्रमित भी हैं.

लोगों की मदद कर रहें हैं एम्बुलेंस मैन


पिता को लेकर कई घंटो तक लगाई अस्पताल की दौड़


ईटीवी भारत की टीम से एक्सक्लूसिव बातचीत में एंबुलेंसमैन के नाम से मशहूर हिमांशु कालिया ने बताया कि साल 1992 में ड्यूटी से घर आते हुए उनके पिताजी सड़क हादसे में घायल हो गए. घायल पिता को लेकर कई घंटों तक एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में दौड़ते रहे, लेकिन कहीं भी इलाज नहीं मिला. अंत में डॉक्टरों ने पिताजी को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान अस्पताल में ले जाने की सलाह दी. लोगों की मिन्नते करने के बाद रात ढाई बजे अस्पताल पहुंचे. इलाज में देरी की वजह से पिताजी दो साल तक कोमा में चले गए.

शादी में ली एम्बुलेंस

इसके बाद हिमांशु ने प्रण लिया कि दिल्ली में किसी भी गरीब या जरूरतमंद को एम्बुलेंस के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा. हिमांशु ने अपनी शादी में ससुराल वालों से गाड़ी की बजाय एम्बुलेंस मांगी. उसके बाद उससे दो लाख लोगों को अपनी एम्बुलेंस से अस्पताल तक पहुंचाने में मदद की. इस काम को पिछले 18 सालों से हिमांशु कालिया और उनकी पत्नी निशुल्क कर रहे हैं. जिसकी वजह से इलाके में इन्हें एम्बुलेंस मैन के नाम से जाना जाता है.



आज चलती है 16 फ्री एम्बुलेंस


हिमांशु कालिया ने बताया कि इन्होंने बीमार, दुर्घटनाग्रस्त और जरूरतमंद लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने का काम शुरू किया. धीरे-धीरे एम्बुलेंस का काफिला बढ़ता चला गया. जिसके लिए इन्हें शहीद भगत सिंह केयर सोसाइटी भी बनानी पड़ी. अब हिमांशु के पास सोलह एंबुलेंस है, जिसके लिए 6 ड्राइवर भी रखे हुए है. खुद हिमांशु ओर उनकी पत्नी भी एम्बुलेंस चलाती हैं.



200 लोगों को कोरोना काल में पहुंचाया अस्पताल

उन्होंने बताया कि सभी एंबुलेंस को अलग-अलग काम के लिए रखा गया है. दो एंबुलेंस छोटे बच्चों के लिए, दो बीमारों को अस्पताल ले जाने के लिए, दो एम्बुलेंस को अस्पताल से श्मशान घाट या कब्रिस्तान तक डेड बॉडी पहुंचाने के लिए और कोरोना संक्रमण काल के दौरान कोरोना संक्रमित लोगों को अस्पताल पहुंचाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण के दौरान भी हिमांशु 200 लोगों को अस्पताल तक पहुंचा चुके हैं. जिनमें करीब 35 से 40 लोग कोरोना संक्रमित भी हैं. इस काम के लिए इनकी पत्नी ट्विंकल कालिया भी साथ देती हैं.



राष्ट्रपति से मिला नारी शक्ति सम्मान


इस दौरान हिमांशु कालिया की पत्नी ट्विंकल कालिया को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित भी किया जा चुका है. कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति इनके पास आ सकता है और ये दिल्ली एनसीआर के किसी भी अस्पताल में लोगों को लाने ले जाने में सहायता करते हैं.


घर चलाने के लिए करते हैं एलआईसी एजेंट का काम

दंपत्ति ड्राइवरों की तनख्वाह और घर का चलाने के लिए एलआईसी एजेंट का काम करते हैं. जिसकी कमाई का 90 प्रतिशत हिस्सा ड्राइवरों की तनख्वाह और एम्बुलेंस के मेंटेनेंस में खर्च होता है. बाकी 10 प्रतिशत से बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च चलता है. पिछले 18 सालों से इस अनोखे काम के लिए लोग इनके हौसले ओर जज्बे को सम्मान के साथ सलाम भी कर रहे हैं.

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