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शारदीय नवरात्रि 2022 : ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें पूजा विधि, मंत्र और कथा... - मां ब्रह्मचारिणी का पूजा मंत्र

नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है. साधक इस दिन अपने मन को मां के चरणों में लगाते हैं. मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला और बांए हाथ में कमंडल रहता है. इन्हें साक्षात ब्रह्म का रूप माना जाता है. इनकी पूजा करने से कृपा और भक्ति की प्राप्ति होती है. तो चलिए आपको बताते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी देवी का महत्व, पूजा विधि और कथा.

Shardiya Navratri 2022
शारदीय नवरात्रि 2022
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Published : Sep 27, 2022, 12:07 AM IST

नई दिल्ली: नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ब्रह्म का अर्थ तपस्या होता है और चारिणी का अर्थ आचरण होता है, अर्थात तप का आचरण करने वाली. मां ब्रह्मचारिणी के दायें हाथ में जप के लिए माला और बाएं हाथ में कमंडल है. इन्हें साक्षात ब्रह्म का रूप माना जाता है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से कृपा और भक्ति की प्राप्ति होती है. मां ब्रह्मचारिणी के लिए मां पार्वती के वह समय का उल्लेख है. जब शिवजी को पाने के लिए माता ने कठोर तपस्या की थी.

उन्होंने तपस्या के प्रथम चरण में केवल फलों का आचरण किया और फिर निराहार रहके कई वर्षों तक तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया. देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा से तप, त्याग, संयम की प्राप्ति होती है. मां का यह स्वरुप अत्यंत ज्योतिर्मय और भव्य है. माता मंगल ग्रह की शाशंक है और भाग्य की दाता हैं.

शारदीय नवरात्रि 2022

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करना बहुत सरल है और उससे भी सरल है इनको प्रसन्न करना. मां ब्रह्मचारिणी को सच्ची श्रद्धा से अगर बुलाया जाए तो वह तुरंत आ जाती हैं. मां दुर्गा का यह स्वरूप अनंत फल देने वाला माना गया है. मां की पूजा करने से ज्ञान की वृद्धि होती है और सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है. मां ब्रह्मचारिणी ने अपने तप के माध्यम से ही हजारों राक्षसों का अंत किया था. तप करने से इनको असीम शक्ति प्राप्त हुई थी. मां अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बनाए रखती हैं और आशीर्वाद देती हैं. मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप दिव्य और अलौकिक प्रकाश लेकर आता है.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि: मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा शास्त्रीय विधि से की जाती है. सुबह शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की उपासना करें और मां की पूजा में पीले या सफेद रंग के वस्त्र का उपयोग करें. माता का सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराएं, इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन आदि अर्पित करें.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में गुड़हल या कमल के फूल का ही प्रयोग करें. माता को दूध से बनी चीजों का ही भोग लगाएं. साथ ही मन में माता के मंत्र या जयकारे लगाते रहें. इसके बाद पान-सुपारी भेंट करने के बाद प्रदक्षिणा करें. फिर कलश देवता और नवग्रह की पूजा करें. घी और कपूर से बने दीपक से माता की आरती उतारें और दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें.

ये भी पढ़ें: शारदीय नवरात्रि 2022 : जानें, नवरात्रि का मुहुर्त, कलश स्थापना की पूजा विधि और मंत्र

मां ब्रह्मचारिणी का पूजा मंत्र: मां ब्रह्मचारिणी को तप की देवी माना जाता है. हजारों वर्षों तक कठिन तपस्य करने के बाद माता का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा था. मां ब्रह्मचारिणी देवी की इस मंत्र से करें पूजा-

Shardiya Navratri 2022
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

दधाना कपाभ्या मक्ष माला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा: मां सती अग्नि की राख में भष्म होकर दूसरे जन्म में हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और उनका नाम शैलपुत्री रखा गया. जब वह बड़ी हुईं तब नारदजी ने उन्हें दर्शन दिए और बताया कि अगर वह तपस्या के मार्ग पर चलेंगी, तो उन्हें उनके पूर्व जन्म के पति शिवजी ही वर के रूप में प्राप्त होंगे.

इसीलिए उन्होंने कठोर तपस्या की तब उन्हें ब्रह्मचारिणी नाम दिया गया. उन्होंने एक हजार वर्ष केवल फल, फूल ही खाए और सौ वर्षों तक जमीन पर सोईं, कई वर्षों तक कठिन उपवास रखे और खुले आसमान के नीचे सर्दी-गर्मी में घोर कष्ट सहे. तीन हज़ार वर्षों तक टूटे हुए बेल पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना की. उसके बाद कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या की.

यह देखकर सारे देवता गण प्रसन्न हो गए और उन्होंने पार्वती जी को बोला की इतनी कठोर तपस्या केवल वही कर सकती हैं, इसीलिए उनको भगवान् शिवजी ही पति के रूप में प्राप्त होंगे, तो अब वह घर जाएं और तपस्या छोड़ दें. माता की मनोकामना पूर्ण हुई और भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी पंडित जय प्रकाश शास्त्री से बातचीत पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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नई दिल्ली: नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ब्रह्म का अर्थ तपस्या होता है और चारिणी का अर्थ आचरण होता है, अर्थात तप का आचरण करने वाली. मां ब्रह्मचारिणी के दायें हाथ में जप के लिए माला और बाएं हाथ में कमंडल है. इन्हें साक्षात ब्रह्म का रूप माना जाता है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से कृपा और भक्ति की प्राप्ति होती है. मां ब्रह्मचारिणी के लिए मां पार्वती के वह समय का उल्लेख है. जब शिवजी को पाने के लिए माता ने कठोर तपस्या की थी.

उन्होंने तपस्या के प्रथम चरण में केवल फलों का आचरण किया और फिर निराहार रहके कई वर्षों तक तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया. देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा से तप, त्याग, संयम की प्राप्ति होती है. मां का यह स्वरुप अत्यंत ज्योतिर्मय और भव्य है. माता मंगल ग्रह की शाशंक है और भाग्य की दाता हैं.

शारदीय नवरात्रि 2022

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करना बहुत सरल है और उससे भी सरल है इनको प्रसन्न करना. मां ब्रह्मचारिणी को सच्ची श्रद्धा से अगर बुलाया जाए तो वह तुरंत आ जाती हैं. मां दुर्गा का यह स्वरूप अनंत फल देने वाला माना गया है. मां की पूजा करने से ज्ञान की वृद्धि होती है और सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है. मां ब्रह्मचारिणी ने अपने तप के माध्यम से ही हजारों राक्षसों का अंत किया था. तप करने से इनको असीम शक्ति प्राप्त हुई थी. मां अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बनाए रखती हैं और आशीर्वाद देती हैं. मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप दिव्य और अलौकिक प्रकाश लेकर आता है.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि: मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा शास्त्रीय विधि से की जाती है. सुबह शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की उपासना करें और मां की पूजा में पीले या सफेद रंग के वस्त्र का उपयोग करें. माता का सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराएं, इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन आदि अर्पित करें.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में गुड़हल या कमल के फूल का ही प्रयोग करें. माता को दूध से बनी चीजों का ही भोग लगाएं. साथ ही मन में माता के मंत्र या जयकारे लगाते रहें. इसके बाद पान-सुपारी भेंट करने के बाद प्रदक्षिणा करें. फिर कलश देवता और नवग्रह की पूजा करें. घी और कपूर से बने दीपक से माता की आरती उतारें और दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें.

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मां ब्रह्मचारिणी का पूजा मंत्र: मां ब्रह्मचारिणी को तप की देवी माना जाता है. हजारों वर्षों तक कठिन तपस्य करने के बाद माता का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा था. मां ब्रह्मचारिणी देवी की इस मंत्र से करें पूजा-

Shardiya Navratri 2022
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

दधाना कपाभ्या मक्ष माला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा: मां सती अग्नि की राख में भष्म होकर दूसरे जन्म में हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और उनका नाम शैलपुत्री रखा गया. जब वह बड़ी हुईं तब नारदजी ने उन्हें दर्शन दिए और बताया कि अगर वह तपस्या के मार्ग पर चलेंगी, तो उन्हें उनके पूर्व जन्म के पति शिवजी ही वर के रूप में प्राप्त होंगे.

इसीलिए उन्होंने कठोर तपस्या की तब उन्हें ब्रह्मचारिणी नाम दिया गया. उन्होंने एक हजार वर्ष केवल फल, फूल ही खाए और सौ वर्षों तक जमीन पर सोईं, कई वर्षों तक कठिन उपवास रखे और खुले आसमान के नीचे सर्दी-गर्मी में घोर कष्ट सहे. तीन हज़ार वर्षों तक टूटे हुए बेल पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना की. उसके बाद कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या की.

यह देखकर सारे देवता गण प्रसन्न हो गए और उन्होंने पार्वती जी को बोला की इतनी कठोर तपस्या केवल वही कर सकती हैं, इसीलिए उनको भगवान् शिवजी ही पति के रूप में प्राप्त होंगे, तो अब वह घर जाएं और तपस्या छोड़ दें. माता की मनोकामना पूर्ण हुई और भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी पंडित जय प्रकाश शास्त्री से बातचीत पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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