नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के चलते जरूरी प्रोजेक्ट पर चल रहे निर्माण कार्यों को छोड़ अन्य सभी तरह के निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगा है. इस पर निगरानी के लिए पर्यावरण विभाग ने 586 टीमें बनाई है. मंगलवार को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय जब मध्य दिल्ली इलाके में औचक निरीक्षण के लिए निकले तो भाजपा के केंद्रीय कार्यालय का एक्सटेंशन बनाने वाली साइट पर निर्माण कार्य चल रहा था.
उन्होंने वहां के प्रोजेक्ट मैनेजर से बातचीत की और कारण पूछा, जिसका वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सके. इसके बाद मंत्री ने साइट पर काम करने वाली निजी कंपनी एल एंड टी पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाने का आदेश दिया. इस दौरान स्थानीय कर्मचारियों ने मंत्री को बताया कि यह भाजपा के केंद्रीय कार्यालय का एक्सटेंशन है. दिल्ली में बढ़े प्रदूषण स्तर को देख गत सप्ताह ग्रेप के तीसरे चरण में जो एहतियात बरती जानी चाहिए उस दिशा में काम शुरू हो चुका है. इसके तहत दिल्ली में कंस्ट्रक्शन का काम भी बंद है, लेकिन यहां अब भी काम जारी था.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर बढ़ते प्रदूषण को रोकने के दिल्ली सरकार बहुत सारे कदम उठा रही है. दिल्ली सरकार ने दिल्ली के अंदर ग्रेप सिस्टम को लागू किया है और एंटी डस्ट कैम्पेन चलाया जा रहा है. बायोमास वर्निंग को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं और पराली से निपटने के लिए बायो डी-कम्पोजर का छिड़काव किया जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार दिल्ली में वाहन प्रदूषण को रोकने के लिए पिछले दो सालों से 'रेड लाइट, ऑन गाड़ी ऑफ' अभियान चला रही थी. लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस बार दिल्ली के उपराज्यपाल इस जन जागरुकता अभियान को शुरू नहीं करने देना चाहते हैं. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि केन्द्र सरकार के अंतर्गत सीएसआईआर एक संस्था आती है.
सीएसआईआर के तहत आने वाली संस्था केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थानक (सीआरआरआई) के वैज्ञानिकों ने 2019 में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें अनुमान लगाया गया था कि दिल्ली में जो 960 रेड लाइट सिग्नल हैं. उस पर 9036 लीटर पेट्रोल/डीजल/एलपीजी और 5461 लीटर सीएनजी प्रतिदिन बर्बाद होता है. इसी प्रकार अर्बन एबीसन उसने पुणे के अंदर ट्रैफिक सिग्नल पर प्रदूषण का रिसर्च किया था और उनके अनुसार पुणे रेड लाईटों पर 17 हजार टन से ज्यादा पीएम 10 उत्सर्जित होता है. दिल्ली में तो पुणे से 4 गुना ज्यादा वाहन है और इस आधार पर देखे तो दिल्ली में रेडलाइट पर 60 से 70 हजार टन पीएम 10 उत्सर्जित होता है, जो हम बेवहज जलाते हैं.
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