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सरकार चुनने में 'आधी आबादी' की होगी अहम भूमिका, जानिए क्या हैं मुद्दे

नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में महिलाओं के बहुत मुद्दे हैं. महिलाएं महंगाई से परेशान हैं. महिलाओं ने ईटीवी भारत से बातचीत में रोजगार से लेकर महिला सुरक्षा तक सभी मुद्दों पर अपनी राय रखी.

जानिए इन चुनावों में क्या हैं महिलाओं के मुद्दे
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Published : May 11, 2019, 8:04 AM IST

Updated : May 11, 2019, 10:05 AM IST

नई दिल्ली: किसी भी चुनाव में महिलाओं की भागीदारी काफी अहम मानी जाती है. राजनीतिक दल भी अलग-अलग तरीके से महिला वोटरों को अपनी तरफ करने की कोशिश में रहते हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में महिलाओं के क्या कुछ मुद्दें हैं इसे जानने के लिए ईटीवी भारत ने नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में महिलाओं से बात की.

जानिए इन चुनावों में क्या हैं महिलाओं के मुद्दे

महंगाई का मुद्दा अहम
लोकतंत्र के इस महापर्व में महिलाएं बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं हैं. दिल्ली की अलग-अलग सीटों पर महिलाओं से बात करने के बाद पता चला कि महिलाओं के कई मुद्दे हैं. कुछ घरेलू महिलाओं ने बताया कि इन 5 सालों में महंगाई काफी बढ़ी है. जहां पहले सिर्फ 2000 रुपये में घर की रसोई का काम पूरा हो जाता था तो वहीं आज के समय में 10,000 भी पूरे नहीं पड़ते.

'कहीं नहीं है रोजगार'
एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि आज कहीं भी रोजगार नहीं है. उनके कई बच्चे हैं जो आज भी बेरोजगार बैठे हैं. सरकार ने जो वादे किए थे कि हर युवा को रोजगार दिया जाएगा, महिला सशक्तिकरण होगा, वो पूरा नहीं किया गया.

महिला सुरक्षा का मुद्दा भी अहम
बातचीत के दौरान महिलाओं ने बताया कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकारें काम नहीं कर रहीं. जब चुनाव होते हैं तो अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवार आते हैं और महिला सुरक्षा को लेकर कई वादे करते हैं लेकिन आज भी महिलाएं शाम के वक्त घर से बाहर निकलने से डरती हैं.

आपको बता दें कि दिल्ली में सिर्फ 18 महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जबकि कुल उम्मीदवार 164 हैं.

दिल्ली में कुल 64 लाख महिला वोटर शामिल हैं. इसी के साथ 72 लाख पुरुष वोटर हैं और 669 थर्ड जेंडर वोटर भी हैं.

नई दिल्ली: किसी भी चुनाव में महिलाओं की भागीदारी काफी अहम मानी जाती है. राजनीतिक दल भी अलग-अलग तरीके से महिला वोटरों को अपनी तरफ करने की कोशिश में रहते हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में महिलाओं के क्या कुछ मुद्दें हैं इसे जानने के लिए ईटीवी भारत ने नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में महिलाओं से बात की.

जानिए इन चुनावों में क्या हैं महिलाओं के मुद्दे

महंगाई का मुद्दा अहम
लोकतंत्र के इस महापर्व में महिलाएं बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं हैं. दिल्ली की अलग-अलग सीटों पर महिलाओं से बात करने के बाद पता चला कि महिलाओं के कई मुद्दे हैं. कुछ घरेलू महिलाओं ने बताया कि इन 5 सालों में महंगाई काफी बढ़ी है. जहां पहले सिर्फ 2000 रुपये में घर की रसोई का काम पूरा हो जाता था तो वहीं आज के समय में 10,000 भी पूरे नहीं पड़ते.

'कहीं नहीं है रोजगार'
एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि आज कहीं भी रोजगार नहीं है. उनके कई बच्चे हैं जो आज भी बेरोजगार बैठे हैं. सरकार ने जो वादे किए थे कि हर युवा को रोजगार दिया जाएगा, महिला सशक्तिकरण होगा, वो पूरा नहीं किया गया.

महिला सुरक्षा का मुद्दा भी अहम
बातचीत के दौरान महिलाओं ने बताया कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकारें काम नहीं कर रहीं. जब चुनाव होते हैं तो अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवार आते हैं और महिला सुरक्षा को लेकर कई वादे करते हैं लेकिन आज भी महिलाएं शाम के वक्त घर से बाहर निकलने से डरती हैं.

आपको बता दें कि दिल्ली में सिर्फ 18 महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जबकि कुल उम्मीदवार 164 हैं.

दिल्ली में कुल 64 लाख महिला वोटर शामिल हैं. इसी के साथ 72 लाख पुरुष वोटर हैं और 669 थर्ड जेंडर वोटर भी हैं.

Intro:सभी राजनीतिक पार्टियां महिला सशक्तिकरण की बात करती है लेकिन जब जमीनी स्तर पर उसको देखा जाता है तो महिलाओं की स्थिति बहुत ही ज्यादा दयनीय है अगर देश की राजधानी की दिल्ली की बात करें जो कि भारत में सबसे विकसित शहर है वहां से केवल 18 महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं जबकि कुल उम्मीदवार 164 हैं 17वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं उसकी बात करें तो उसमें कुल 64 लाख महिला वोटर शामिल है इसी के साथ 72 लाख पुरुष वोटर है 669 थर्ड जेंडर वोटर है


Body:यानी कि देश की आधी आबादी महिलाएं जो इस चुनाव में इस लोकतंत्र के महापर्व में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं इसके लिए जब हम महिलाओं के बीच इस चुनाव में उनके मुद्दे और उनकी समस्याएं जानने पहुंचे तो बहुत सी समस्याएं सामने निकल कर आई. 'महंगाई बढ़ी है' दिल्ली की अलग-अलग सीटों पर महिलाओं से बात करने के बाद पता चला कि महिलाओं के के कई मुद्दे हैं जब हम नई दिल्ली सीट पर कुछ घरेलू महिलाओं से बात करने पहुंचे तो महिलाएं बताती हैं कि इन 5 सालों में महंगाई का स्तर काफी बड़ा है जहां पहले सिर्फ 2000 में घर की रसोई का काम पूरा हो जाता था वही आज के समय में 10,000 भी पूरे नहीं पड़ते हैं 'कहीं नहीं है रोजगार' जब हमने एक बुजुर्ग महिला से बात की तो वह हमें बताती हैं कि आज के समय में कहीं भी रोजगार उपलब्ध नहीं है उनके कई बच्चे हैं जो कि आज के समय में बेरोजगार बैठे हैं सरकार ने जो वादे किए थे कि हर एक युवा को रोजगार दिया जाएगा महिलाओं को सशक्तिकरण दिया जाएगा वह पूरा नहीं किया गया रोजगार के नाम पर सिर्फ वादे किए गए जिन्हें पूरा नहीं किया गया आज भी सुरक्षित नहीं है महिलाएं इस दौरान जब भी महिलाओं की बात होती है तो सबसे बड़ा जो मुद्दा हमेशा बना रहता है और तू निकलकर सामने आता है वह होता है सुरक्षा का मुद्दा जोकि कई सालों से या यूं कहें कि यह लगातार जो समस्या है दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है महिलाओं की सुरक्षा की बात की जाए तो महिलाओं की सुरक्षा कहीं पर भी नहीं है और ना ही किसी सरकार ने महिला की सुरक्षा को लेकर कोई अहम कदम उठाए हैं हर बार जब चुनाव होते हैं तो सरकारें आती हैं जो कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई वादे करती हैं लेकिन आज भी महिलाएं शाम के समय घर से बाहर निकलने से डरती है बुजुर्ग महिलाओं के लिए नहीं कोई सुविधा इस दौरान जब हमने एक बुजुर्ग महिला से बात की तो उन्होंने बताया कि वह कई सालों से दिल्ली में रह रही हैं लेकिन उनका वोटर आईडी कार्ड ही नहीं बना हैं वही उनकी पेंशन की बातबकी जाए तो आज भी दिल्ली में कही ऐसी बुजुर्ग महिलायें है जिन्हें पेंशन ही नहीं मिलती... हमारे देश की सबसे मजबूत कड़ी है वह होती हैं घर की महिलाएं घरेलू महिला हैं लेकिन आज के समय में शिक्षा की बात की जाए उनके सशक्तिकरण से कमजोर नजर आते हैं कहने को तो वो पूरा घर संभालती हैं एक कामयाब परिवार के पीछे उसी घरेलू महिला का हाथ होता है घरेलू महिला के ही मेहनत होती है जिस तरीके से वह दिन रात मेहनत कर परिवार के लिए काम करती है लेकिन दौरान उन्हें घरेलू महिलाओं की स्थिति बेहद दयनीय नजर आती है की है जिस तरीके से मानो उनका संसार सिर्फ वह घर होता है जिसमें समेटकर वो रह जाते हैं राजनीति शिक्षा और बाहर की दुनिया से बिल्कुल अलग इस दौरान हमने कई महिलाओं से यह भी जाना जब उनकी सुरक्षा को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने साफ तौर पर यह कहा कि आज के समय में महिलाओं को खुद इतना सशक्त हो जाना चाहिए इतना मजबूत हो जाना चाहिए कि उसे किसी से सुरक्षा लेने की जरूरत ना पड़े वह खुद अपने आप में इतनी मजबूत हो जिससे कि वह खुद अपनी रक्षा कर सकें


Conclusion:जिस प्रकार से हमारा देश से पुरुष प्रधान देश है जहां पर हर क्षेत्र में पुरुषों को पहला स्थान लिया जाता है इसको लेकर भी महिलाओं ने कहा कि एक ऐसी सरकार होनी चाहिए जो महिलाओं को बराबरी का हक दे और महिलाओं के लिए काम करें साथ ही साथ व्यवसाय और बिजनेस के क्षेत्र में भी महिलाओं को पहला स्थान दिया जाना चाहिए महिलाएं कारोबार करें आगे बढ़े इसके लिए नए प्रावधान किए जाने चाहिए इसके लिए महिलाओं की मदद की जानी चाहिए आपको बता दें कि हर बार सरकारे कई वादे करती हैं बीजेपी की बात करें या कांग्रेस की बात करें या फिर आम आदमी पार्टी के हर एक ने महिलाओं को लेकर कई वादे किए हैं अपने मेनिफेस्टो में महिलाओं के लिए आरक्षण की बात की गई है साथ ही साथ महिला की सुरक्षा की बात भी की गई है लेकिन यह वादे आखिरकार कब तक पूरे होंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा क्योंकि वादे उसी प्रकार रहते हैं लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया जाता
Last Updated : May 11, 2019, 10:05 AM IST
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