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महिला सुरक्षा पर बोलीं दिल्ली की महिलाएं, 'सेफ नहीं राजधानी'

निर्भया केस को आज 8 साल पूरे हो चुके हैं. लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध आज भी कम नहीं हुए हैं. जानिए महिला सुरक्षा के मुद्दे पर क्या कहती हैं दिल्ली की महिलाएं.

Women of Delhi spoke on women's safety
महिला सुरक्षा पर बोलीं दिल्ली की महिलाएं
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Published : Dec 16, 2020, 1:39 PM IST

नई दिल्ली: 16 दिसंबर 2012 की रात को हुए निर्भया मामले को आज 8 साल पूरे हो चुके हैं इन 8 सालों में राजधानी दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा जैसा का तैसा ही बना हुआ है, सवाल यह है की निर्भया के आरोपियों को सजा दिए जाने के बाद क्या दिल्ली में महिलाएं खुद को सुरक्षित समझती हैं जो स्थिति 8 साल पहले थी क्या उस में कुछ सुधार हुए हैं?

महिला सुरक्षा पर बोलीं दिल्ली की महिलाएं

इसको लेकर ईटीवी भारत में दिल्ली की अलग-अलग महिलाओं से बात की जहां कुछ महिलाओं ने कहा कि 8 साल बाद स्थिति में कई बदलाव आए हैं, जहां पहले अंधेरी गलियां और सड़कें नजर आती थी वहां अब स्ट्रीट लाइट है, कुछ बसों में सीसीटीवी कैमरा भी है, मेट्रो आ जाने से आवाजाही में सहूलियत मिली है लड़कियों के लिए मेट्रो सुरक्षित भी है लेकिन अभी भी महिलाएं पूरी तरीके से सुरक्षित नहीं है.

यह भी पढ़ें- निर्भया केस में फैसले से संतुष्टि तो मिली लेकिन दर्द अभी भी है - सीमा कुशवाहा

कुछ महिलाओं ने कहा कि स्थिति अभी भी नहीं बदली है अंधेरा होते ही घर से निकलने में डर लगता है अभी भी हम शाम के 7:00 या 8:00 बजे के बाद किसी सुनसान जगह पर नहीं जा सकते और जब अंधेरा हो जाता है तो बस यह लगता है कि जल्द से जल्द घर पहुंच जाएं.

नई दिल्ली: 16 दिसंबर 2012 की रात को हुए निर्भया मामले को आज 8 साल पूरे हो चुके हैं इन 8 सालों में राजधानी दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा जैसा का तैसा ही बना हुआ है, सवाल यह है की निर्भया के आरोपियों को सजा दिए जाने के बाद क्या दिल्ली में महिलाएं खुद को सुरक्षित समझती हैं जो स्थिति 8 साल पहले थी क्या उस में कुछ सुधार हुए हैं?

महिला सुरक्षा पर बोलीं दिल्ली की महिलाएं

इसको लेकर ईटीवी भारत में दिल्ली की अलग-अलग महिलाओं से बात की जहां कुछ महिलाओं ने कहा कि 8 साल बाद स्थिति में कई बदलाव आए हैं, जहां पहले अंधेरी गलियां और सड़कें नजर आती थी वहां अब स्ट्रीट लाइट है, कुछ बसों में सीसीटीवी कैमरा भी है, मेट्रो आ जाने से आवाजाही में सहूलियत मिली है लड़कियों के लिए मेट्रो सुरक्षित भी है लेकिन अभी भी महिलाएं पूरी तरीके से सुरक्षित नहीं है.

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कुछ महिलाओं ने कहा कि स्थिति अभी भी नहीं बदली है अंधेरा होते ही घर से निकलने में डर लगता है अभी भी हम शाम के 7:00 या 8:00 बजे के बाद किसी सुनसान जगह पर नहीं जा सकते और जब अंधेरा हो जाता है तो बस यह लगता है कि जल्द से जल्द घर पहुंच जाएं.

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