नई दिल्ली: राजधानी में मानसिक रूप से बीमार एक महिला डॉक्टर को एक एमजीओ इलाज के लिए इहबास (IHBAS) में भर्ती करवाना चाहते थे, लेकिन अदालत के आदेश पर भी उन्हें वहां भर्ती नहीं किया जा रहा था. जिसके बाद डीएलएसए ने महिला की मदद की. मध्य जिला डीएलएसए ने महिला डॉक्टर को कानूनी मदद देकर उसे इहबास में दाखिला दिलवाया जहां उनको बेहतर उपचार एवं माहौल मिल रहा है.
ये है पूरा मामला
डीएलएसए मध्य जिला के सचिव संदीप गुप्ता ने बताया कि महिला डॉक्टर मलकागंज के एक एनजीओ में थी. वहां पर छोटी-छोटी बातों पर उन्हें गुस्सा आता था. वह अपना आपा खो बैठती थी. धीरे-धीरे यह बढ़ता जा रहा था. इसलिए एनजीओ ने विभिन्न संस्थाओं के जरिए उनका इलाज इहबास में कराने के लिए एप्लीकेशन लगाई. लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने कोर्ट का रुख किया.
उन्होंने कोर्ट में निवेदन किया कि महिला डॉक्टर को उपचार के लिए इहबास में भर्ती कराया जाए. कोर्ट ने इस बाबत जब इहबास से पूछा तो उन्होंने बताया कि कोर्ट के पास किसी को भर्ती कराने की शक्ति नये कानून में खत्म हो गई है. मेन्टल हेल्थ रिव्यू बोर्ड ही किसी मरीज की जांच करने के बाद उसे भर्ती कर सकता है, लेकिन यह बोर्ड अभी तक नहीं बना है.
डीएलएसए ने बनवाया अंतरिम मेंटल हेल्थ रिव्यू बोर्ड
अदालत से जब महिला डॉक्टर को भर्ती नहीं करवाया जा सका तो अदालत ने डीएलएसए को इस मामले में मदद के लिए कहा. डीएलएसए मध्य जिला के सचिव संदीप गुप्ता ने बताया कि इस मामले में दो परेशानियां थी. सबसे पहली की महिला बिना कानूनी सलाह के भर्ती नहीं होना चाहती थी. वह किसी पर विश्वास नहीं कर रही थी. दूसरा इसके लिए मेंटल हेल्थ रिव्यू बोर्ड बनाने की आवश्यकता थी जो यह तय करेगा की महिला को भर्ती किया जाएगा या नहीं.
सबसे पहले उन्होंने अधिवक्ता जुहेब कुरैशी के जरिए महिला को कानूनी मदद दी. दूसरी तरफ अदालत से आदेश लेकर इस पर अंतरिम मेंटल हेल्थ रिव्यू बोर्ड बनवाया, जिसमें महिला के मामले को रखा गया. इस बोर्ड ने जांच के बाद महिला को भर्ती कर लिया है. महिला को वहां उपचार मिल रहा है और वहां पर वह बेहद खुश हैं.
'विश्वास जीतना सबसे बड़ी चुनौती'
अधिवक्ता जुहेब कुरैशी ने बताया कि इस मामले में सबसे मुश्किल यह थी कि महिला को किसी पर विश्वास नहीं था. उन्होंने सबसे पहले महिला की काउंसलिंग कर उन्हें यह विश्वास दिलाया कि वह उनकी मदद करेंगे. इसके बाद उन्होंने अदालत के समक्ष एप्लीकेशन लगाई और बोर्ड बनवाने की अपील की.
उन्होंने बोर्ड में भी जाकर महिला का प्रजेंटेशन दिया. बोर्ड के सदस्य से मुलाकात कर महिला के बारे में पूरी जानकारी दी, जिसके बाद बोर्ड ने यह माना की महिला डॉक्टर को उपचार की आवश्यकता है. इस बोर्ड की सहमति के बाद उन्हें इहबाज़ में भर्ती कर लिया गया है.
'महिला डॉक्टर भर्ती होने से है खुश'
अधिवक्ता जुहेब कुरैशी ने बताया कि महिला वहां पर बेहद खुश हैं. उन्हें वह माहौल मिल रहा है जिसकी उन्हें आवश्यकता थी. वहां पर उन्हें पहले से काफी बेहतर महसूस हो रहा है. महिला रेडियोलॉजी की डॉक्टर थी. वहां पर उन्हें इससे संबंधित काम भी मिल रहा है, जिसकी वजह से उनमें काफी तेजी से सुधार हो रहा है.
उन्होंने बताया कि फिलहाल उन्हें 3 महीने के लिए भर्ती किया गया है. अगर 3 महीने में उनका व्यवहार पूरी तरीके से ठीक हो जाएगा तो उन्हें वहां से छोड़ दिया जाएगा. लेकिन अगर व्यवहार में सुधार की गुंजाइश रहेगी तो उन्हें आगे भर्ती रखा जाएगा.