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Suicide In Delhi: छोटी-छोटी बात पर जान दे रहे लोग, कम हो रही बर्दाश्त करने की क्षमता - दिल्ली में आत्महत्या के मामले

राजधानी दिल्ली में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, आत्महत्या के मामले में दिल्ली वर्ष 2021 में देश में पहले नंबर पर थी. जहां 2760 आत्महत्या हुई. दूसरे नंबर पर चेन्नई और तीसरे नंबर पर बेंगलुरु रहा.

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दिल्ली में बड़े सुसाइड केस
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Published : May 16, 2023, 9:08 PM IST

Updated : May 16, 2023, 10:41 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में लोग बात-बात पर आपा खो रहे हैं. लोगों में बर्दाश्त करने की क्षमता कम हो रही है और छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर आत्महत्या कर रहे हैं. कोई परीक्षा में फेल होने पर जान दे रहा है तो कोई नौकरी छूट जाने पर आत्महत्या कर लेता है. कहीं पति पत्नी के बीच वैवाहिक संबंधों के कारण आत्महत्या का मामला सामने आ रहा है तो कहीं बीमारी का इलाज न हो पाने के कारण लोग जान दे रहे हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, आत्महत्या के मामले में दिल्ली वर्ष 2021 में देश में पहले नंबर पर थी. जहां 2760 आत्महत्या हुई. दूसरे नंबर पर चेन्नई और तीसरे नंबर पर बेंगलुरु रहा.

दिल्ली मेट्रो के एक सुपरवाइजर ने मंगलवार को पत्नी और दो बच्चों पर चाकू से हमला करने के बाद फांसी लगाकर जान दे दी. पत्नी और एक बच्चे की मौत हो गई जबकि 13 साल का दूसरा बच्चा अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती है. पुलिस को अभी कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. हालांकि, उसके मोबाइल की जांच से पता चला की उसने आत्महत्या से पहले गूगल पर सर्च किया है.

आनंद विहार में आत्महत्या का मामला

आनंद विहार में सोमवार देर रात मूल रूप से बिहार निवासी युवक सुमंत ने फांसी लगाकर जान दे दी. रात में उसके परिवार के लोग गर्मी के कारण छत पर सो रहे थे. सुबह लोग नीचे आए तो देखा कमरा अंदर से बंद था और सुमन का शव पड़ा था. उसके बेड के सामने ऊंचाई पर उसका मोबाइल रखा था और उसका वीडियो कॉल ऑन था. हालांकि, सामने से कोई बात नहीं कर रहा था, लेकिन मोबाइल का व्हाट्सएप का वीडियो कॉल देख कर ऐसा लगा कि उसने किसी से वीडियो कॉल पर बात करते हुए सुसाइड किया है. यदि उस व्यक्ति ने समय रहते पुलिस को सूचना दे दी होती तो शायद युवक की जान बच जाती.

कम अंक आने पर छात्रों ने जान दी

सीबीएसई बोर्ड के 13 मई को आए 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम में कम अंक आने पर राजधानी में दो छात्राओं और एक छात्र ने आत्महत्या कर ली. इनकी पहचान पश्चिमी दिल्ली के हरि सीएमनगर की 16 वर्षीय एक छात्रा ने परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के बाद आत्महत्या कर ली. उसके 75 फीसदी अंक थे. वहीं, ओखला में एक छात्र ने 12वीं की परीक्षा में एक सब्जेक्ट में कंपार्टमेंट आने के बाद आत्महत्या कर ली. उसके 12वीं में इकोनॉमिक्स में 30 नंबर मिले थे. घरवालों के समझाने के बावजूद उसने फांसी लगा ली. वहीं, सुल्तानपुरी में 12वीं कक्षा की एक छात्रा ने परीक्षा में फेल हो जाने के बाद फांसी लगा ली. परिजनों का कहना है कि परीक्षा में फेल होने के बाद बेटी मानसिक रूप से काफी परेशान हो गई थी.

राजधानी दिल्ली में बड़े सुसाइड केस

1. बुराड़ी में एक घर में 11 लोगों ने एक साथ सुसाइड कर लिया था. जांच में पता चला कि घर के लोग तंत्र मंत्र में विश्वास करते थे और उसी को लेकर आत्महत्या की.
2: वसंत विहार में घर को गैस चैंबर में तब्दील करके मां और दो बहनों ने सुसाइड किया था. जांच में पता चला कि इनके पिता की कोरोना के दौरान मृत्यु हो गई थी. उसके बाद से पूरा परिवार डिप्रेशन में चला गया और भविष्य की चिंता को लेकर परिवार ने सुसाइड कर लिया.

अभिभावक और शिक्षक जिम्मेदार

आजकल बच्चों में आत्महत्या का ट्रेंड बढ़ गया है. दरअसल इसके लिए अभिभावक और शिक्षक दोनों जिम्मेदार हैं. परीक्षा में सफलता जीवन और असफलता मृत्यु के समान है, बच्चों को यह अहसास तो अभिभावक ही कराते हैं. अभिभावक खुद डॉक्टर नहीं बन सके तो बच्चों का डॉक्टर बनने का प्रेशर, खुद आईएएस नहीं बन सके लेकिन बच्चों को आईएएस बनने का प्रेशर. कम उम्र में ही जब बच्चों पर इतना दबाव होगा तो वह गलत कदम उठा सकते हैं इसकी आशंका हमेशा बनी रहेगी. पति-पत्नी में विवाद अक्सर आत्महत्या तक पहुंच जाता है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आजकल दंपति अपने विवाद में किसी को बीच-बचाव करने की गुंजाइश ही नहीं छोड़ते. वह अपने विवाद या मनमुटाव के बारे में ना घर वालों को बताते हैं और ना ही पड़ोसियों को. इससे लोगों में अकेलापन आता है और समस्याओं को बर्दाश्त करने या उन्हें सुलझाने की क्षमता कम हो जाती है.
- प्रो. डॉ. गुरविंदर अहलूवालिया, साइकोलॉजिस्ट, लिंग्याज यूनिवर्सिटी

आत्महत्या के बाद लोग सबसे पहले उसका कारण खोजते हैं. जबकि सच बात यह है कि आत्महत्या का कोई कारण नहीं होता. यह लंबे समय तक किसी परिस्थिति के बने रहने से उत्पन्न होती है जब व्यक्ति को ऐसा लगने लगता है कि उसके पास उसकी समस्या का कोई समाधान नहीं है. इसलिए यह जरूरी है कि जब हम किसी को परेशान देखें, हताश देखें, चिड़चिड़ापन, अकेलापन देखें या उसमें ऐसे कुछ लक्षण देखे कि वह आम लोगों से कटने लगा है, अकेला और गुमसुम रहने लगा है या फिर उसका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है तो उससे बात करनी चाहिए. उसे इस बात का अहसास कराना चाहिए कि वह अकेला नहीं है. उसकी समस्या के समाधान का प्रयास करना चाहिए. परीक्षा में फेल होने वाला हर बच्चा सुसाइड नहीं कर लेता है. इससे यह साफ है कि जिन बच्चों ने सुसाइड किया उनके अंदर ऐसी समस्याओं का सामना करने की क्षमता कम होती है. इसलिए उनको ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
- डॉ. ओम प्रकाश, प्रोफेसर, मनोचिकित्सा विभाग एवं चिकित्सा उपाधीक्षक, इहबास


आत्महत्या के 3 बड़े कारण

1.मनोचिकित्सक के अनुसार, आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण पारिवारिक विवाद बनता है. क्योंकि परिवार में होने वाले झगड़े अक्सर संबंधों में खटास डालते हैं जिससे आत्महत्या तक बात पहुंच जाती है.

2. वैवाहिक संबंधों के कारण भी आत्महत्या के मामले बड़ी संख्या में सामने आते हैं. इसमें विवाहेत्तर संबंधों को सबसे बड़ा कारण माना जाता है.

3. गंभीर बीमारी और उसका सही इलाज न हो पाने के कारण भी बड़ी संख्या में लोग आत्महत्या करते हैं. कोरोना के दौरान ऐसे मामले बड़ी संख्या में सामने आए जब लोगों ने बीमारी के डर से आत्महत्या कर ली.

आत्महत्या से बचाव के 3 तरीके

1. मनोचिकित्सक का मानना है कि कोई व्यक्ति आत्महत्या का कदम तभी उठाता है जब उसे अपनी जिंदगी में हर तरफ से निराशा मिलती है और उम्मीद का हर रास्ता बंद हो जाता है. इसलिए जब भी कोई व्यक्ति ऐसा दिखे चाहे वह घर परिवार का हो या समाज का. उसे मनोचिकित्सक तक पहुंचाना चाहिए ताकि उसकी सही काउंसलिंग हो सके.

2. हम दूसरों के झगड़े में क्यों पड़े, इस मानसिकता से बाहर आना चाहिए और हमें अपने आस-पड़ोस के लोगों और समाज के बारे में सहयोग करना चाहिए.

3. अपने बच्चों पर पढ़ाई का अतिरिक्त बोझ न डालें. वे जिस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं उसमें सहयोग करें. उनका मार्गदर्शन करें, लेकिन अपनी इच्छा उन पर थोपे नहीं.

ये भी पढ़ें : Delhi Crime: मेट्रो सुपरवाइजर ने पत्नी और बेटी की हत्या कर किया सुसाइड, गूगल पर खोजा आत्महत्या का तरीका

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में लोग बात-बात पर आपा खो रहे हैं. लोगों में बर्दाश्त करने की क्षमता कम हो रही है और छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर आत्महत्या कर रहे हैं. कोई परीक्षा में फेल होने पर जान दे रहा है तो कोई नौकरी छूट जाने पर आत्महत्या कर लेता है. कहीं पति पत्नी के बीच वैवाहिक संबंधों के कारण आत्महत्या का मामला सामने आ रहा है तो कहीं बीमारी का इलाज न हो पाने के कारण लोग जान दे रहे हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, आत्महत्या के मामले में दिल्ली वर्ष 2021 में देश में पहले नंबर पर थी. जहां 2760 आत्महत्या हुई. दूसरे नंबर पर चेन्नई और तीसरे नंबर पर बेंगलुरु रहा.

दिल्ली मेट्रो के एक सुपरवाइजर ने मंगलवार को पत्नी और दो बच्चों पर चाकू से हमला करने के बाद फांसी लगाकर जान दे दी. पत्नी और एक बच्चे की मौत हो गई जबकि 13 साल का दूसरा बच्चा अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती है. पुलिस को अभी कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. हालांकि, उसके मोबाइल की जांच से पता चला की उसने आत्महत्या से पहले गूगल पर सर्च किया है.

आनंद विहार में आत्महत्या का मामला

आनंद विहार में सोमवार देर रात मूल रूप से बिहार निवासी युवक सुमंत ने फांसी लगाकर जान दे दी. रात में उसके परिवार के लोग गर्मी के कारण छत पर सो रहे थे. सुबह लोग नीचे आए तो देखा कमरा अंदर से बंद था और सुमन का शव पड़ा था. उसके बेड के सामने ऊंचाई पर उसका मोबाइल रखा था और उसका वीडियो कॉल ऑन था. हालांकि, सामने से कोई बात नहीं कर रहा था, लेकिन मोबाइल का व्हाट्सएप का वीडियो कॉल देख कर ऐसा लगा कि उसने किसी से वीडियो कॉल पर बात करते हुए सुसाइड किया है. यदि उस व्यक्ति ने समय रहते पुलिस को सूचना दे दी होती तो शायद युवक की जान बच जाती.

कम अंक आने पर छात्रों ने जान दी

सीबीएसई बोर्ड के 13 मई को आए 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम में कम अंक आने पर राजधानी में दो छात्राओं और एक छात्र ने आत्महत्या कर ली. इनकी पहचान पश्चिमी दिल्ली के हरि सीएमनगर की 16 वर्षीय एक छात्रा ने परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के बाद आत्महत्या कर ली. उसके 75 फीसदी अंक थे. वहीं, ओखला में एक छात्र ने 12वीं की परीक्षा में एक सब्जेक्ट में कंपार्टमेंट आने के बाद आत्महत्या कर ली. उसके 12वीं में इकोनॉमिक्स में 30 नंबर मिले थे. घरवालों के समझाने के बावजूद उसने फांसी लगा ली. वहीं, सुल्तानपुरी में 12वीं कक्षा की एक छात्रा ने परीक्षा में फेल हो जाने के बाद फांसी लगा ली. परिजनों का कहना है कि परीक्षा में फेल होने के बाद बेटी मानसिक रूप से काफी परेशान हो गई थी.

राजधानी दिल्ली में बड़े सुसाइड केस

1. बुराड़ी में एक घर में 11 लोगों ने एक साथ सुसाइड कर लिया था. जांच में पता चला कि घर के लोग तंत्र मंत्र में विश्वास करते थे और उसी को लेकर आत्महत्या की.
2: वसंत विहार में घर को गैस चैंबर में तब्दील करके मां और दो बहनों ने सुसाइड किया था. जांच में पता चला कि इनके पिता की कोरोना के दौरान मृत्यु हो गई थी. उसके बाद से पूरा परिवार डिप्रेशन में चला गया और भविष्य की चिंता को लेकर परिवार ने सुसाइड कर लिया.

अभिभावक और शिक्षक जिम्मेदार

आजकल बच्चों में आत्महत्या का ट्रेंड बढ़ गया है. दरअसल इसके लिए अभिभावक और शिक्षक दोनों जिम्मेदार हैं. परीक्षा में सफलता जीवन और असफलता मृत्यु के समान है, बच्चों को यह अहसास तो अभिभावक ही कराते हैं. अभिभावक खुद डॉक्टर नहीं बन सके तो बच्चों का डॉक्टर बनने का प्रेशर, खुद आईएएस नहीं बन सके लेकिन बच्चों को आईएएस बनने का प्रेशर. कम उम्र में ही जब बच्चों पर इतना दबाव होगा तो वह गलत कदम उठा सकते हैं इसकी आशंका हमेशा बनी रहेगी. पति-पत्नी में विवाद अक्सर आत्महत्या तक पहुंच जाता है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आजकल दंपति अपने विवाद में किसी को बीच-बचाव करने की गुंजाइश ही नहीं छोड़ते. वह अपने विवाद या मनमुटाव के बारे में ना घर वालों को बताते हैं और ना ही पड़ोसियों को. इससे लोगों में अकेलापन आता है और समस्याओं को बर्दाश्त करने या उन्हें सुलझाने की क्षमता कम हो जाती है.
- प्रो. डॉ. गुरविंदर अहलूवालिया, साइकोलॉजिस्ट, लिंग्याज यूनिवर्सिटी

आत्महत्या के बाद लोग सबसे पहले उसका कारण खोजते हैं. जबकि सच बात यह है कि आत्महत्या का कोई कारण नहीं होता. यह लंबे समय तक किसी परिस्थिति के बने रहने से उत्पन्न होती है जब व्यक्ति को ऐसा लगने लगता है कि उसके पास उसकी समस्या का कोई समाधान नहीं है. इसलिए यह जरूरी है कि जब हम किसी को परेशान देखें, हताश देखें, चिड़चिड़ापन, अकेलापन देखें या उसमें ऐसे कुछ लक्षण देखे कि वह आम लोगों से कटने लगा है, अकेला और गुमसुम रहने लगा है या फिर उसका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है तो उससे बात करनी चाहिए. उसे इस बात का अहसास कराना चाहिए कि वह अकेला नहीं है. उसकी समस्या के समाधान का प्रयास करना चाहिए. परीक्षा में फेल होने वाला हर बच्चा सुसाइड नहीं कर लेता है. इससे यह साफ है कि जिन बच्चों ने सुसाइड किया उनके अंदर ऐसी समस्याओं का सामना करने की क्षमता कम होती है. इसलिए उनको ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
- डॉ. ओम प्रकाश, प्रोफेसर, मनोचिकित्सा विभाग एवं चिकित्सा उपाधीक्षक, इहबास


आत्महत्या के 3 बड़े कारण

1.मनोचिकित्सक के अनुसार, आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण पारिवारिक विवाद बनता है. क्योंकि परिवार में होने वाले झगड़े अक्सर संबंधों में खटास डालते हैं जिससे आत्महत्या तक बात पहुंच जाती है.

2. वैवाहिक संबंधों के कारण भी आत्महत्या के मामले बड़ी संख्या में सामने आते हैं. इसमें विवाहेत्तर संबंधों को सबसे बड़ा कारण माना जाता है.

3. गंभीर बीमारी और उसका सही इलाज न हो पाने के कारण भी बड़ी संख्या में लोग आत्महत्या करते हैं. कोरोना के दौरान ऐसे मामले बड़ी संख्या में सामने आए जब लोगों ने बीमारी के डर से आत्महत्या कर ली.

आत्महत्या से बचाव के 3 तरीके

1. मनोचिकित्सक का मानना है कि कोई व्यक्ति आत्महत्या का कदम तभी उठाता है जब उसे अपनी जिंदगी में हर तरफ से निराशा मिलती है और उम्मीद का हर रास्ता बंद हो जाता है. इसलिए जब भी कोई व्यक्ति ऐसा दिखे चाहे वह घर परिवार का हो या समाज का. उसे मनोचिकित्सक तक पहुंचाना चाहिए ताकि उसकी सही काउंसलिंग हो सके.

2. हम दूसरों के झगड़े में क्यों पड़े, इस मानसिकता से बाहर आना चाहिए और हमें अपने आस-पड़ोस के लोगों और समाज के बारे में सहयोग करना चाहिए.

3. अपने बच्चों पर पढ़ाई का अतिरिक्त बोझ न डालें. वे जिस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं उसमें सहयोग करें. उनका मार्गदर्शन करें, लेकिन अपनी इच्छा उन पर थोपे नहीं.

ये भी पढ़ें : Delhi Crime: मेट्रो सुपरवाइजर ने पत्नी और बेटी की हत्या कर किया सुसाइड, गूगल पर खोजा आत्महत्या का तरीका

Last Updated : May 16, 2023, 10:41 PM IST
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