नई दिल्ली: उपराज्यपाल वीके सक्सेना की मंजूरी के बाद दिल्ली में करीब 10 हजार सिविल डिफेंस वालंटियर्स की सेवा 31 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगी. सरकार के इस प्रस्ताव और उपराज्यपाल के अंतिम निर्णय का विरोध हो रहा है. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में वालंटियर्स धरना और प्रदर्शन कर रहे हैं. वे सरकार के इस फैसले से काफी आहत है. उनका कहना है कि हम सबने ठाना है कि हमारी जान चली जाए तो चली जाए, लेकिन हम विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे. ETV भारत एक्सप्लेनर में जानिए क्या है यह मामला...
दिल्ली में सार्वजनिक बसों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए 2015 में परिवहन विभाग ने बस मार्शल योजना शुरू की थी. इसके तहत सिविल डिफेंस वालंटियर्स और होमगार्ड को (जिन्हें बस मार्शल कहा जाता है) डीटीसी और कलेक्टर बसों में नियुक्त किया गया. राजस्व विभाग और होमगार्ड निदेशालय ने उनकी भर्ती की थी.
सिविल डिफेंस वालंटियर्स को क्या दी गई जिम्मेदारीः दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद महिला सुरक्षा के मद्देनजर बसों में मार्शलों की तैनाती की बात आई थी. तब जाकर केजरीवाल सरकार ने सिविल डिफेंस वालंटियर्स को नियुक्ति कर उन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी दी. इनमें से अधिकांश सिविल डिफेंस वालंटियर्स बस मार्शल के रूप में अभी तक अपनी सेवा दे रहे थे. बस मार्शल और सिविल डिफेंस वालंटियर्स अपने वेतन भुगतान की मांग को लेकर समय-समय पर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं. इसके बाद भी अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.
सिविल डिफेंस वालंटियर्स को कितना मिलता है मेहनतानाः संविदा पर काम करने वाले मार्शलों को प्रतिदिन 844 रुपए दिया जाता है. इनकी ड्यूटी 8 घंटे की है, लेकिन यह 10 घंटे तक ड्यूटी करते हैं. डीटीसी और क्लस्टर बसों में बस मार्शल के रूप में करीब 8,000 सिविल डिफेंस वालंटियर्स इस समय तैनात हैं. उनकी नियुक्ति के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य था महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा प्रदान करना है.
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सिविल डिफेंस वालंटियर्स को लेकर पिछले कुछ दिनों से क्यों चल रहा है बवाल?: आमतौर पर केजरीवाल सरकार सिविल डिफेंस वालंटियर्स के साथ खड़ी रही है. दिल्ली सरकार ने वित्त विभाग द्वारा सिविल डिफेंस वालंटियर्स की सैलरी रोक जाने को लेकर नाराजगी भी जताती रही है. पिछले सप्ताह ही दिल्ली की राजस्व मंत्री आतिशी ने इनकी रुकी हुई सैलरी जारी करने को लेकर प्रधान राजस्व सचिव को निर्देश दिया था.
अचानक से सिविल डिफेंस वालंटियर्स की सेवा समाप्त करने के लिए क्यों लिया गया फैसला?: बीते शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गृहमंत्री कैलाश गहलोत को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने सिविल डिफेंस वालंटियर्स को होमगार्ड के रूप में तैनात करने के लिए योजना तैयार करने का आदेश दिया था. साथ ही मुख्यमंत्री ने सिविल डिफेंस वालंटियर्स को होमगार्ड के रूप में नियुक्त करने के लिए उपराज्यपाल को भी प्रस्ताव भेजा. इसमें कहा था कि पर्याप्त संख्या में होमगार्ड की नियुक्ति होने तक सिविल डिफेंस वालंटियर को बतौर बस मार्शल तैनात रखा जाए और इसलिए इन्हें होमगार्ड के रूप में नियुक्त करने के लिए योजना बनाई जानी चाहिए. ऐसा करने से सरकार को अनुभवी लोग मिल जाएंगे और सिविल डिफेंस वालंटियर्स की नौकरी भी नहीं जाएगी.
उपराज्यपाल ने क्यों सभी सिविल डिफेंस वालंटियर्स की सेवा 31 अक्टूबर को समाप्त करने का लिया फैसला?: मुख्यमंत्री द्वारा भेजे गए इसी प्रस्ताव पर उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मौजूदा 10 हजार के करीब सिविल डिफेंस वालंटियर्स की सेवा 31 अक्टूबर को समाप्त करने को मंजूरी दे दी. साथ ही उन्होंने सरकार से कहा कि वह होमगार्ड की नियुक्ति की प्रक्रिया भी शुरू करें. लेकिन उपराज्यपाल के इस आदेश के बाद सिविल डिफेंस के वालंटियर्स खासे नाराज हैं और उन्हें डर सता रहा है कि अगर उनकी सेवा 31 अक्टूबर को समाप्त कर दी जाती है और होमगार्ड में उनकी नियुक्ति नहीं हुई तो वे कहां जाएंगे.
सिविल डिफेंस वालंटियर्स को क्यों सता रहा डर?: दरअसल, बस मार्शल के रूप में इनकी तैनाती जारी रखने को लेकर कानूनी आपत्ति जताई गई है. इसमें कहा गया है कि सिविल डिफेंस वालंटियर्स को लगातार ड्यूटी पर नहीं लगाया जा सकता. इन्हें सिर्फ किसी आपदा के दौरान ही ड्यूटी पर लगाया जा सकता है. इसीलिए यह सुझाव दिया कि सिविल डिफेंस वालंटियर्स की जगह इन्हें होमगार्ड के रूप में नियुक्त करके बसों में बस मार्शल तैनात किया जाए. अब सिविल डिफेंस वालंटियर को इस बात का डर सता रहा है कि होमगार्ड की नियुक्ति अगर नहीं हो पाई तो वह कहां जाएंगे. मापदंड फिट नहीं बैठने पर वह होमगार्ड के तौर पर उनकी नियुक्ति नहीं होगी. ऐसे में उन्हें अपनी नौकरी से ही हाथ धोना पड़ेगा. इसलिए वह बीते कुछ दिनों से दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर सरकार और उपराज्यपाल तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश में जुटे हैं.