नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों के प्रमुखों की बैठक पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं. विपक्षी एकता दल की इस मीटिंग से आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सबसे अधिक उम्मीदें हैं. मीटिंग में शामिल होने से पहले वे जिस तरह कहते रहे हैं कि दिल्ली सरकार के अधिकारों को कम करने के लिए केंद्र ने जो अध्यादेश लाया है, इस बैठक के सबसे पहले इस पर चर्चा होगी.
बैठक से कुछ घंटे पहले ही कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बयान देते हुए कहा कि संसद के मुद्दे पर संसद में जब मीटिंग होगी, उस समय फैसला लिया जाएगा, ऐसे में इसकी पूरी संभावना है कि आज पटना में हो रही विपक्षी दलों की मीटिंग में दिल्ली के अध्यादेश को लेकर कांग्रेस अपना रुख स्पष्ट ना करें. ऐसे में अरविंद केजरीवाल अब क्या करेंगे? विपक्षी एकता दल की मीटिंग में इस पर सबकी नजर टिकी हुई हैं.
'आप' प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ की प्रतिक्रियाः वहीं, आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि राहुल गांधी और बीजेपी के बीच समझौता हो गया है और वह इस अवैध अध्यादेश पर बीजेपी के साथ खड़े हैं. इस असंवैधानिक अध्यादेश के खिलाफ अपना रुख स्पष्ट करने में कांग्रेस को इतना समय क्यों लग रहा है? असंवैधानिक अध्यादेश से संविधान छीना जा रहा है. उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए.
दिल्ली के सियासी गलियारे में गुरुवार को जिस तरह यह चर्चा शुरू हो गई थी कि पटना में विपक्षी दल की मीटिंग में अध्यादेश पर चर्चा नहीं होती है तो आम आदमी पार्टी इस मीटिंग का बहिष्कार भी कर सकती है. दिल्ली के पूर्व सांसद व कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने आम आदमी पार्टी के बहिष्कार की चर्चा पर ही तल्ख टिप्पणी करते हुए कह दिया था कि वह सौदेबाजी ना करें. अगर आम आदमी पार्टी विपक्षी एकता दल की मीटिंग में शामिल नहीं होती है तो कोई उन्हें मिस नहीं करेंगे.
क्यों विपक्षी दलों का समर्थन चाहते हैं केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि पटना में होने वाली बैठक में सभी राजनीतिक दल पहुंचेंगे. उन्होंने कहा था कि इस बैठक का पहला एजेंडा केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली पर लाया गया अध्यादेश होगा. केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर दिल्ली के अंदर जनतंत्र को खत्म करने का प्रयास किया गया है. विपक्षी दलों की बैठक में वे संविधान लेकर जाएंगे और सभी राजनीतिक दलों को समझाएंगे कि आप ये न समझें कि दिल्ली आधा राज्य है, इसलिए केंद्र दिल्ली पर आध्यादेश लेकर आया है. यह अध्यादेश तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, पंजाब समेत किसी भी राज्य में आ सकता है. केंद्र सरकार अगर इसी तरह का अध्यादेश लाती है तो पूर्ण राज्यों के अंदर भी समवर्ती सूची के जितने भी विषय हैं, उनको खत्म कर सकती है. समवर्ती सूची के अंदर बिजली और शिक्षा समेत कई विषय हैं, जिनको पूर्ण राज्यों के अंदर दिल्ली की तरह ही अध्यादेश लाकर खत्म किया जा सकता है.