नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में आप को आरोपी बनाने का विचार रखने के बाद राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं. इस बात के बाद कई तरह के बयान सामने आ रहे हैं. ईडी द्वारा मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धारा 70 के तहत आरोपी बनाने का विचार किया जा रहा है. आम आदमी पार्टी को वर्ष 2013 में राज्य पार्टी का और इसी साल अप्रैल में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था.
सोमवार को ईडी ने रखी थी बात: सीबीआई और ईडी ने सोमवार को देश के उच्चतम न्यायालय के सामने कहा कि दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में आप पार्टी को आरोपी बनाने पर विचार कर रही हैं. ईडी ने कहा कि वह आप को मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धारा 70 के तहत आरोपी बनाने का विचार कर रहे हैं. यह सवाल तब उठा जब अदालत में इस मामले में गिरफ्तार नेता मनीष सिसोदिया की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई की जा रही थी.
पार्टी के नेतृत्व पर पड़ता है असर: आम आदमी पार्टी को शराब घोटाले से जुड़े हुए मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी बनाया गया तो बड़ी संख्या में यहां संगठन के तौर पर आम आदमी पार्टी और इसके संगठन का काम प्रभावित होगा. जानकारों का कहना है कि एक संगठन के रूप में आरोपी बनाए जाने पर इसके नेतृत्व पर सीधा और प्रभावी असर पड़ेगा. धारा 70 के तहत कार्रवाई करने की धारा कंपनियां और संगठनों से संबंधित है. सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता सुनीता भारद्वाज का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज होने के बाद आम आदमी पार्टी का संगठन से लेकर के दिल्ली सरकार, पंजाब सरकार और दिल्ली नगर निगम का कामकाज भी प्रभावित होगा.
उन्होंने बताया कि पीएमएलए के कठोर प्रावधानों के तहत पहली नजर में अपराध की प्रक्रिया से संबंधित मनी ट्रेल (पैसे का लेनदेन) मिलने पर संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है. इसके अलावा ईडी आम आदमी पार्टी के संगठन के पदाधिकारी और जन प्रतिनिधियों से भी पूछताछ कर सकती है. इनके खातों की जांच और पार्टी के खातों की जांच भी कर सकती है.
ये भी पढ़ें: Delhi liquor policy scam : मनीष सिसोदिया की जमानत पर फैसला सुरक्षित, सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात
चुनाव आयोग कर सकता है मान्यता रद्द: चुनाव आयोग भी पार्टी को किसी असंवैधानिक कामकाज में लिप्त पाता है तो चुनाव आयोग भी पार्टी के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. सुनीता भारद्वाज ने आगे बताया कि संविधान के अनुच्छेद 324 और रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1951 की धारा 291 का इस्तेमाल करते हुए चुनाव आयोग किसी पार्टी की मान्यता भी रद्द कर सकता है.राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव में प्रदर्शन के आधार पर किसी दल को राज्य व राष्ट्रीय दल का दर्जा मिलता है.
ये भी पढें: SC on Raghav Chadha Plea: सुप्रीम कोर्ट ने राघव चड्ढा के निलंबन के खिलाफ दायर याचिका पर जारी किया नोटिस