नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी के सिलेबस से मोहम्मद इकबाल का चैप्टर गायब होने और BA तीन साल के कोर्स से महात्मा गांधी के गायब होने पर विवाद जारी है. कुछ लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं तो कुछ समर्थन. इस बीच DU के वीसी प्रो योगेश सिंह ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि इकबाल ने भले ही 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता' लिखा हो पर कभी माना नहीं. पाकिस्तान के निर्माण में उनकी भूमिका अहम रही. उनकी जगह पर हमें अपने नेशनल हीरो को पढ़ाना चाहिए. वह पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि हैं उनका हमारे से कुछ भी लेना देना नहीं है.
सिलेबस में सावरकर के चैप्टर शामिल करने का फैसला स्वागत योग्य: वीर सावरकर के चैप्टर को लेकर वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा कि देखिए मैं इसको कोई विवाद नहीं मानता हूं. राजनीति विज्ञान डिपार्टमेंट ने तय किया कि एक इलेक्टिव पेपर वीर सावरकर के लिए जोड़ा जाएगा. यह एक अच्छा स्टेप है और स्वागत किया जाना चाहिए. एकेडमिक काउंसिल ने इसे माना है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने की आजादी है. 110 लोगों की एकेडमिक काउंसिल है. 4 से 5 लोगों ने इसका विरोध किया है. राजनीति विज्ञान डिपार्टमेंट को लगता है कि पढ़ाना चाहिए. सावरकर ने इस देश के लिए बहुत त्याग किया है. बेवजह उनके नाम को विवादों में न घसीटा जाए, वह ठीक रहेगा.
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#WATCH | DU vice-chancellor Yogesh Singh speaks on the removal of chapter on Muhammad Iqbal and the addition of chapter on Indian revolutionary Veer Savarkar in Political Science syllabus, says, "I don't know why we were teaching his (Muhammad Iqbal's) part in the syllabus for… pic.twitter.com/f24CfKVbI8
— ANI (@ANI) May 30, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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सावरकर के पौत्र ने भी किया फैसले का स्वागत: विनायक दामोदर सावरकर के पौत्र रंजीत सावरकर ने राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में भारतीय क्रांतिकारी वीर सावरकर का चैप्टर शामिल करने पर कहा कि ये एक बहुत अच्छी खबर है. सावरकर न सिर्फ एक क्रन्तिकारी थे, बल्कि वह एक अच्छे कवि, लेखक और समाजसेवी भी थे. इसके साथ ही वह एक राजनीतिक विचारक भी थे. वे समय से आगे होने वाली राजनितिक घटनाओं का अंदाजा पहले ही लगा लेते थे. दुर्भाग्यपूर्ण, हमारे देश ने भविष्य के बारे में उनकी चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया और भारत का विभाजन हो गया.
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#WATCH | Vinayak Damodar Savarkar's Grand Son Ranjit Savarkar speaks on the removal of chapter on Muhammad Iqbal and the addition of chapter on Indian revolutionary Veer Savarkar in Political Science syllabus, says, "This is very great news." pic.twitter.com/wCLyAEZao1
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उन्होंने कहा कि सावरकर के पास अंतरराष्ट्रीय संबंधों का एक बड़ा दृष्टिकोण था, मुझे लगता है कि यह छात्रों के लिए राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को समझने का एक अच्छा मौका है. सावरकर हमेशा कहते थे कि अंतरराष्ट्रीय संबंध आपसी जरूरतों पर आधारित होने चाहिए न कि किसी महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर. दुर्भाग्य से इन पर भी ध्यान नहीं दिया जाता. मगर अब पिछले दस सालों में हम देख सकते हैं कि सावरकर के विजन के मुताबिक भारत किस तरह अंतरराष्ट्रीय संबंध स्थापित कर रहा है. उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों को बधाई देता हूं कि उन्हें एक महान राजनीतिक विचारक और विश्लेषक के जीवन पर आधारित राजनीति विज्ञान को सीखने का अवसर मिला है.
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